नयी दिल्ली : सुप्रीमकोर्ट ने कथावाचक आसाराम के खिलाफ बलात्कार के मामले की धीमी प्रगति पर सोमवार को चिंता व्यक्त करते हुए गुजरात सरकार को प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि इस मामले में अभी तक पीड़ित से पूछताछ क्यों नहीं की गयी है. न्यायालय पहले ही आसाराम की अनेक जमानत याचिकाएं खारिज कर चुका है और इस समय उनकी नयी याचिका पर सुनवाई कर रहा था.
न्यायमूर्ति एनवी रमण और न्यायमूर्ति अमिताव राय की पीठ ने सवाल किया, ‘मुकदमे की सुनवाई तेजी से करने के निर्देश के बावजूद इसमें विलंब क्यों हो रहा है? अभी तक पीड़ित से पूछताछ क्यों नहीं हुई है? ‘इस पर राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मुकदमे में साक्ष्यों को दर्ज करने का काम तेजी से करने संबंधी निर्देश अप्रैल में दिये गये थे.
पीठ ने सवाल किया, ‘इस मामले में अभी तक पीड़ित का बयान क्यों नहीं दर्ज हुआ. वह इस मामले की सबसे अहम गवाह है.’ मेहता ने पीठ को बताया कि इस मामले के दो अहम गवाहों की हत्या हो चुकी है. एक लापता है और 17 अन्य कथित हमलों में जख्मी हुए हैं. उन्होंने कहा कि पीड़ित की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बाद ही अदालत द्वारा उससे पूछताछ की जायेगी.
आसाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगडे और वकील सौरभ अजय गुप्ता ने कहा कि उन्हें अपने मुवक्किल का बचाव करना है और यह सिर्फ पीड़ित से पूछताछ के बाद ही होगा. इसलिए वह जमानत का अनुरोध कर सकते हैं. पीड़ित के वकील ने इस मामले की तेजी से सुनवाई कराने का अनुरोध किया और कहा कि न्यायालय को उससे 23 सितंबर से पहले ही पूछताछ करने का निर्देश देना चाहिए. निचली अदालत में इस मामले की सुनवाईअब 23 सितंबर को होनी है. पीठ ने इस पर गुजरात सरकार को मुकदमे की सुनवाई की स्थिति का विवरण देते हुए एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और फिर इसे दीवाली के बाद सूचीबद्ध कर दिया.
शीर्ष अदालत ने 12 अप्रैल को गुजरात की निचली अदालत से कहा था कि सूरत की दो बहनों द्वारा आसाराम के खिलाफ दर्ज यौन हिंसा के मामले में अभियोजन के गवाहों के साक्ष्य दर्ज करने का काम तेज किया जाये. न्यायालय ने निचली अदालत से कहा था कि इस मामले में पीड़िता सहित अभियोजन के शेष 46 गवाहों के बयान दर्ज किये जायें. न्यायालय इससे पहले राजस्थान और गुजरात में यौन हिंसा के दो अलग-अलग मामलों में गिरते स्वास्थ्य सहित विभिन्न आधारों पर जमानत के लिए आसाराम की याचिकाएं खारिज कर चुका है. न्यायालय ने 30 जनवरी को आसाराम की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि आरोपी ने जमानत के लिए न्यायालय के समक्ष फर्जी दस्तावेज पेश किये हैं और उसने इस मामले में ऐसे दस्तावेज तैयार करने और कथित फर्जी दस्तावेज दाखिल करने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश भी दिया था. आसाराम को जोधपुर में यौन हिंसा के एक मामले में 31 अगस्त 2013 को गिरफ्तार किया गया था और तभी से वह जेल में हैं.

