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राज्यसभा चुनाव : राजपूत की याचिका पर हाइकोर्ट ने आयोग, अहमद, शाह व स्मृति को भेजा नोटिस

अहमदाबाद: राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के दो बागी विधायकों के मत अमान्य करार देने के निर्वाचन आयोग के निर्णय को चुनौती देने वाली भाजपा उम्मीदवार बलवंतसिंह राजपूत की याचिका पर गुजरात उच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग और कांग्रेस नेता अहमद पटेल को आज नोटिस जारी किए. न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी ने निर्वाचन आयोग, अहमद पटेल और […]

अहमदाबाद: राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के दो बागी विधायकों के मत अमान्य करार देने के निर्वाचन आयोग के निर्णय को चुनौती देने वाली भाजपा उम्मीदवार बलवंतसिंह राजपूत की याचिका पर गुजरात उच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग और कांग्रेस नेता अहमद पटेल को आज नोटिस जारी किए. न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी ने निर्वाचन आयोग, अहमद पटेल और भाजपा के दो अन्य उम्मीदवारों-पार्टी अध्यक्ष अमित शाह एवं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को भी नोटिस जारी किए.

अदालत ने 21 सितंबर को नोटिस का जवाब देने को कहा है. गुजरात से राज्यसभा चुनाव हारने वाले भाजपा उम्मीदवार राजपूत ने कांग्रेस के दो बागी विधायकों के वोट रद्द करने के निर्वाचन आयोग के निर्णय के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने आठ अगस्त को हुए चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ दी थी. राजपूत ने दावा किया है कि दो अन्य कांग्रेस विधायकों के वोट भी गिने नहीं जाने चाहिए क्योंकि उन्होंने भी अपने मतपत्र अनधिकृत लोगों को दिखाए थे और उन्हें (राजपूत को) विजेता घोषित किया जाना चाहिए.

निर्वाचन आयोग के निर्णय से कांग्रेस के उम्मीदवार पटेल की जीत का मार्ग प्रशस्त हुआ था जिन्हें जीत के लिए न्यूनतम आवश्यक 44 मत मिले थे. राजपूत को 38 मत मिले थे. राजपूत की याचिका में कहा गया है कि दो मतों को वैध घोषित करते समय निर्वाचन अधिकारी द्वारा अपने विवेक का प्रयोग किए जाने के बाद आयोग के पास, ‘ ‘निर्वाचन अधिकारी को कोई मत स्वीकार या खारिज करने का कोई निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं है ‘ ‘.

आयोग ने कांग्रेस के पूर्व विधायकों राघवजी पटेल और भोलाभाई गोहिल के मत अवैध घोषित कर दिए थे. कांग्रेस के पोलिंग एजेंट शक्तिसिंह गोहिल ने मतगणना शुरू होने से पहले शिकायत दर्ज कराई थी और कहा था कि दो विधायकों ने अपने मत पत्र मतदान पेटी में डालने से पहले भाजपा प्रतिनिधियों को दिखाए थे.

शक्तिसिंह गोहिल ने कहा था कि विधायकों को उनकी पार्टी के अधिकृत पोलिंग एजेंट के अलावा किसी अन्य को अपने मत पत्र दिखाने की अनुमति नहीं होती. इन दोनों विधायकों ने पटेल के बजाए राजपूत को वोट दिया था, लेकिन मतों को अवैध करार दिए जाने के कारण पटेल को (शाह एवं ईरानी के साथ) विजेता घोषित किया गया. यदि पटेल को 44 के कम मत मिलते तो राजपूत भाजपा के द्वितीय प्राथमिकता मतों के आधार पर चुनाव जीत सकते थे.

राजपूत ने अपनी याचिका में कहा है कि आयोग के आदेश को दरकिनार किया जाए क्योंकि यह ‘ ‘स्पष्टत: अवैध ‘ ‘ है. याचिका में कहा गया है कि निर्वाचन अधिकारी द्वारा इन मतों को वैध बताने में अपने विवेकाधिकार का प्रयोग किए जाने के बाद, आयोग के पास इस आदेश के खिलाफ कोई याचिका सुनने का अधिकार नहीं है. असंतुष्ट पक्ष के पास एक मात्र रास्ता अदालत के पास जाना है.

राजपूत ने आरोप लगाया कि पटेल ‘ ‘भ्रष्ट ‘ ‘ कार्यों की वजह से जीते. याचिका में कहा गया है कि कांग्रेस के दो अन्य विधायकों ने अपने मतपत्र अनधिकृत व्यक्तियों को दिखाए थे. पटेल को मिले इन दो मतों को भी अवैध घोषित किया जाना चाहिए था. इसमें कहा गया है कि यदि इन दो मतों को खारिज किया जाता है तो राजपूत को और मत मिलेंगे और इसलिए उन्हें पटेल की जगह राज्यसभा चुनाव में विजयी घोषित किया जाना चाहिए.

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