जामताड़ा. कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की किल्लत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. इसी संकट को देखते हुए सदर अस्पताल में करीब 70 लाख रुपये की लागत से ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया गया था, ताकि मरीजों को राहत मिल सके. लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी यह प्लांट चालू नहीं हो पाया. जिले का सबसे बड़ा अस्पताल सदर अस्पताल खुद बीमार पड़ा है. यह कोई कोरी अफवाह नहीं, बल्कि अस्पताल की बदहाल स्थिति और मरीजों की पीड़ा इसे साबित करती है. ऑक्सीजन प्लांट तो मौजूद है, लेकिन अब तक शुरू नहीं किया जा सका, जिससे गंभीर मरीजों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. स्थिति और भी चिंताजनक हो जाती है जब पता चलता है कि अस्पताल में 50% डॉक्टरों की कमी है. ओपीडी सेवाएं भी सुचारू रूप से नहीं चल पा रही हैं.
टाटा कंपनी ने दिया था प्लांट, फिर भी नहीं हुई शुरुआत
कोरोना महामारी के दौरान टाटा कंपनी ने सीएसआर फंड के तहत इस ऑक्सीजन प्लांट को स्थापित किया था. योजना चार साल पहले बनी थी, पाइपलाइन भी बिछाई गई, लेकिन अब तक मरीजों को एक बूंद भी ऑक्सीजन नसीब नहीं हुई.
पाइपलाइन तैयार, मगर ऑक्सीजन का अता-पता नहीं
अस्पताल के सभी वार्डों में ऑक्सीजन पाइपलाइन का काम पूरा हो चुका है. लेकिन इन पाइपलाइनों में ऑक्सीजन कब बहेगी, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं.
कोविड के भयावह दौर को देखकर भी विभाग मौनचार साल से ऑक्सीजन प्लांट बंद पड़ा है और विभाग मौन बैठा है. जबकि, पांच साल पहले कोविड महामारी के भयावह दौर को याद करके ही लोग चिंतित हो जाते हैं. 70 लाख रुपये की लागत से बना यह ऑक्सीजन प्लांट सिर्फ दिखावे के लिए है या मरीजों की जान बचाने के लिए. सुविधाएं और उपकरण मिलने के बाद भी इसका लाभ मरीजों को नहीं मिल पाना साफ तौर पर लापरवाही दर्शाता है.क्या कहते हैं सिविल सर्जन
ऑक्सीजन प्लांट को चालू करने के प्रयास किये जा रहे हैं. मरीजों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए लगातार कोशिशें जारी हैं. मैन पावर की कमी है, जिसके लिए विभाग को अवगत कराया गया है.– डॉ आनंद मोहन सोरेन, सीएस, जामताड़ा
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