मिशा शर्मा
mishasharma19865@gmail.com
घर-परिवार की जिम्मेदारियां निभाते हुए और पति व बच्चों का ख्याल रखते-रखते अक्सर महिलाएं खुद का ख्याल रखना भूल जाती हैं. जीवन की भाग-दौड़ में जीने की ललक और उमंग कहीं पीछे छूट जाती है. उस पर से अगर कोई महिला नौकरीपेशा है, तब तो हालात और भी बुरे हैं, क्योंकि घर और ऑफिस की दोहरी जिम्मेदारियों के बीच उनके लिए अपने बारे में सोचने की फुर्सत शायद ही मिल पाती है. क्यूं न आनेवाले नये साल में हम एक नयी शुरुआत करें. अपने लिए कुछ कदम उठाएं. अपने आपसे कुछ वादे करें और उन्हें पूरी शिद्दत से निभाएं. अपनी व्यस्ततम दिनचर्या में से थोड़ा-सा वक्त अपने लिए भी चुराएं और फिर बरसों पुरानी अपनी ख्वाहिशों में एहसासों के रंग भरें.
किताबें पढ़िए: याद कीजिए आपने अपने लिए पिछली बार कब कोई किताब खरीदी थी? क्या हुआ, नहीं याद आ रहा? कैसे याद आयेगा… आप खुद को वक्त ही कहां दे रही थीं अब तक! जबकि आपके दिल के किसी कोने में किताब पढ़ने की योजना जरूर दबी-छिपी होगी. कोई बात नहीं, अब कर लीजिए अपनी योजना को पूरा. जब भी थोड़ा वक्त मिले, तो मोबाइल फोन में व्यस्त रहने के बजाय, किताबों के साथ समय व्यतीत कीजिए. किताबों से अच्छा कोई मित्र नहीं होता. किताबें आपको, अपने आपसे रूबरू कराती हैं. अपनी रुचि के अनुसार साहित्य, जीवनशैली, विज्ञान से संबंधित किताबें पढ़िए. नौकरीपेशा महिलाएं अपने पर्स में एक किताब रख सकती हैं. रोज बस या ट्रेन में सफर के दौरान उसे पढ़ने से लंबा रास्ता कैसे कट गया, यह पता भी नहीं चलेगा और कुछ नया जानने और सीखने को भी मिलेगा.
निकल पड़ें सैर को: खुद से मुलाकात करने का सबसे अच्छा तरीका है, घूमना या टहलना. रोज टहलने का नियम बना लीजिए. सुबह समय न मिले, तो शाम को टहलने जाइए. यह आपका ‘मी टाइम’ होगा. यह समय आपको आपके बारे में, आपके स्वास्थ्य के बारे में, दिनचर्या के बारे में सोचने का समय देगा. अपने साथ बिताया गया यह थोड़ा-सा समय आपको दिन भर तरोताजा और खुश रखेगा. साथ ही आपको इस बात की संतुष्टि भी देगा कि आपने, अपने लिए कुछ किया है. इस आदत से आपके स्वास्थ्य में भी नि:संदेह सुधार होगा.
दोस्तों से मिलिए: अपने व्यस्तता भरे जीवन में आप अपनी जिंदगी के उन खूबसूरत पलों को पक्का मिस करतीं होंगी, जो आपने कभी अपने स्कूल और कॉलेज के दोस्तों के साथ बिताये थे, लेकिन बाद में फिर शादी-ब्याह होने और घर-परिवार की जिम्मेदारियों में उलझ कर एक-दूसरे का साथ छूट गया. अब एक बार फिर से समय निकालिए और अपने उन्हीं दोस्तों से संपर्क कीजिए. उनसे मिलने की योजना बनाइए. अपने पुराने दिनों को पुनर्जीवित कीजिए. हो सकता हैं आपकी दोस्त दूसरे शहर में रहती हों या एक ही शहर में आपसे बस थोड़ी ही दूरी पर हो. वक्त निकाल कर इन दूरियों को मिटाइए. उनके साथ मिल कर कहीं घूमने की योजना बनाएं और अपनी पुरानी यादों को ताजा करें. कुछ दिनों या कुछ घंटों की यह मुलाकात आपको लंबे समय तक ऊर्जा और उत्साह से भर देंगी.
म्यूजिक सुनें : संगीत भावनाओं को उत्कर्ष प्रदान करता है. चेहरे पर मुस्कान लाता है. जीवन में उत्साह और उमंग भरता है. म्यूजिक थेरेपी को चिकित्सा क्षेत्र में भी स्वीकार किया गया है और इसके लिए तो अलग से समय निकालने की भी जरूरत नहीं है. घर में काम करने के दौरान भी आप मंद आवाज में अपनी पसंद का गीत-संगीत सुन सकती हैं. इससे काम करने का आनंद दोगुना हो जायेगा और आपका मूड भी अच्छा रहेगा. आप खुद को युवा और तंदुरुस्त भी महसूस करेंगी.