6.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

कई रोगों की एक दवा है नृत्य

II मोनिका अग्रवाल II महान सुधारक जीन जार्ज नावेरे के जन्म दिवस के रूप में हर साल 29 अप्रैल को ‘अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस’ मनाया जाता है. यूनेस्को के इंटरनेशनल थियेटर इंस्टिट्यूट की इंटरनेशनल डांस कमिटी ने वर्ष 1982 में इसे मनाने की शुरुआत की थी. इसका उद्देश्य जनसाधारण के बीच नृत्य के आकर्षण और उसके […]

II मोनिका अग्रवाल II
महान सुधारक जीन जार्ज नावेरे के जन्म दिवस के रूप में हर साल 29 अप्रैल को ‘अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस’ मनाया जाता है. यूनेस्को के इंटरनेशनल थियेटर इंस्टिट्यूट की इंटरनेशनल डांस कमिटी ने वर्ष 1982 में इसे मनाने की शुरुआत की थी. इसका उद्देश्य जनसाधारण के बीच नृत्य के आकर्षण और उसके महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है. इस वर्ष विश्व नृत्य दिवस की थीम है- ‘डिप्रेशन लेट्स टॉक’.
तन-मन दोनों का स्ट्रेस बस्टर
नृत्य अर्थात डांस को “हिडेन लैंग्वेज ऑफ द सोल ऑफ बॉडी” कहा जाता है. डांस हमारे तन के साथ मन की कई उलझनों को दूर करने में अहम भूमिका निभाता है. हमारे कॉन्फिडेंस और कम्युनिकेशन स्किल्स को बेहतर बनाता है.
संगीत जहां हमारे जीभ, तालु, होंठ, कंठ आदि को सक्रिय करता है, वहीं नृत्य मांसपेशियों और जोड़ों को मजबूत बनाता है. यह मन के नकारात्मकता भावों को दूर करके सकारात्मक विचारों का प्रवाह में मदद करता है. इस दिशा में निरंतर शोध व अध्ययन किये जा रहे हैं.
कई मामलों में दवा से ज्यादा कारगर
ब्लडप्रेशर, शूगर, अस्थमा और हृदयरोगियों को नृत्य-संगीत से काफी राहत मिलती है. अमेरिका के नेशनल हार्ट, लंग एंड ब्लड इंस्टीट्यूट के अध्ययन में भी इस बात का खुलासा हुआ है. व्यक्ति में अधिक मात्रा में ऑक्सीजन लेने और कार्बन डाइ ऑक्साइड रिलीज करने की क्षमता बढ़ जाती है.
नाचते समय ताली बजाने व अनेक प्रकार की भाव-भंगिमाएं बनाने से पूरे शरीर की कसरत हो जाती है. वजन कम करने में डांस को बेस्ट थैरेपी माना गया है. सिर्फ आधे घंटे नृत्य करने से आप करीब 200 से 400 कैलोरीज तक कम कर सकती हैं.
मनोरोग की सबसे बड़ी दवा
डिप्रेशन, डिमेंशिया, मूड स्विंग्स,लो कॉन्फिडेंस, एंग्जाइटी जैसी विभिन्न मानसिक समस्याओं के शुरुआती स्टेज पर कई मनोचिकित्सक आजकल प्रभावित व्यक्ति को दवा के बदले नृत्य-संगीत या किसी अन्य परफॉर्मिग आर्ट से जुडऩे की सलाह देते हैं. इसका शीघ्र फायदा मिलता है.
क्या कहते हैं कलाकार
मशहूर भजन गायक अनूप जलोटा की मानें, तो संगीत में ऐसी शक्ति है कि वह मरीज पर दवा से भी ज्यादा असर करती है. जरूरी नहीं है कि हर कोई शास्त्रीय गीत या राग गाये, पर उन पर आधारित गीत सुन कर भी वे म्यूजिक थैरेपी ले सकते हैं.
नृत्य गुरु गौरव शर्मा कहते हैं कि शास्त्रीय नृत्य हो या एरोबिक, जब व्यक्ति संगीत की धुनों के साथ ताल मिलाता है तो, उसका तन और मन एक हो जाता है. ऐसे में शरीर से सेरोटॉनिन नामक हार्मोन निकलता है, जिससे व्यक्ति खुद को हैप्पी व रिलैक्स फील करता है.
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel