लंदन : स्वीडन की एक यूनिवर्सिटी के अध्ययन में यह दावा किया गया है कि भारत के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली ज्यादातर महिलाओं को स्तन कैंसर की बीमारी की जानकारी ही नहीं है. उनका कहना है कि देश के ग्रामीण इलाकों में महिलाएं स्तन कैंसर के इलाज में काफी देर करती है औरज्यादातर मामलों में इसका कारण इलाज महंगा होना होता है. यह अध्ययन स्वीडन में ऊमेओ विश्वविद्यालय के छात्र नीतिन गंगाने ने किया है. इसमें पाया गया कि ज्यादातर भारतीय महिलाओं को अपने स्तन में होने वाली गांठों का खुद से पता लगाने का तरीका नहीं मालूम है.
गंगाने ने कहा, ‘‘ स्तन कैंसर के सफल इलाज के लिए समय रहते उसके बारे में पता चलना अहम होता है. अत: महिलाओं को इसके लक्षणों तथा इसके इलाज के बारे में जागरूक करना महत्वपूर्ण है.” उन्होंने कहा, ‘‘ अशिक्षा, नजरअंदाज करना, गरीबी और अंधविश्वास के कारण कई महिलाएं अस्पताल जाने में बहुत देर करती हैं.” गंगाने ने मुख्यत: महाराष्ट्र के ग्रामीण जिले वर्धा में महिलाओं पर दो अध्ययन किए हैं. अध्ययन में शामिल महिलाओं में से बमुश्किल ही किसी को अपने स्तनों में गांठों का पता लगाने का तरीका मालूम था.
इसमें पाया गया कि हर तीसरी महिला ने कभी भी स्तन कैंसर के बारे में नहीं सुना था. दूसरी ओर, काफी महिलाओं ने इसके बारे में और अधिक जानने में काफी रूचि दिखाई. महिलाएं शुरुआत में ही इलाज क्यों नहीं कराती है, इसकी सबसे आम वजह यह पायी गयी कि उन्हें स्तन में होने वाली गांठ में कोई दर्द महसूस नहीं हुआ. साथ ही पाया गया कि इसका इलाज महंगा होने के कारण भी महिलाएं इलाज में देरी करती हैं.