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माॅनसून में प्रकृति के अनुपम सौंदर्य का मजा लेना है तो ,कर्नाटक की वादियों को है आपका इंतजार

अपने विस्तृत भूगोल, प्राकृतिक सौंदर्य एवं लंबे इतिहास के कारण कर्नाटक राज्य बड़ी संख्या में पर्यटन आकर्षणों से परिपूर्ण है. राज्य में एक ओर प्राचीन शिल्पकला से परिपूर्ण मंदिर हैं, तो दूसरी ओर आधुनिक नगर की व्यस्त व्यावसायिक कार्यकलापों में उलझे शहरी मार्ग के साथ-साथ नैसर्गिक पर्वतमालाएं, घनी वन संपदा, सुनहरे रेतीले सागरतट भी हैं. […]

अपने विस्तृत भूगोल, प्राकृतिक सौंदर्य एवं लंबे इतिहास के कारण कर्नाटक राज्य बड़ी संख्या में पर्यटन आकर्षणों से परिपूर्ण है. राज्य में एक ओर प्राचीन शिल्पकला से परिपूर्ण मंदिर हैं, तो दूसरी ओर आधुनिक नगर की व्यस्त व्यावसायिक कार्यकलापों में उलझे शहरी मार्ग के साथ-साथ नैसर्गिक पर्वतमालाएं, घनी वन संपदा, सुनहरे रेतीले सागरतट भी हैं. कर्नाटक राज्य को भारत के राज्यों में सबसे प्रचलित पर्यटन गंतव्यों की सूची में चौथा स्थान मिला है. राज्य में उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक राष्ट्रीय संरक्षित उद्यान एवं वन हैं, जिनके साथ ही यहां राज्य पुरातत्त्व एवं संग्रहालय निदेशलय द्वारा संरक्षित 752 स्मारक भी हैं. इनके अलावा अन्य 25,000 स्मारक भी संरक्षण प्राप्त करने की सूची में हैं. हर साल जून से सितंबर महीने के बीच राज्य में मॉनसून अपने चरम पर होता है. पूरे इलाके में बरसती बारिश की बूंदें यहां की हरियाली को तिलिस्मी खूबसूरती प्रदान करती हैं. साथ ही मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधों आदि सबको भीषण गरमी से राहत प्रदान करती हैं.

कर्नाटक हमेशा से ही अपने प्राकृतिक धरोहर और वन्यजीवन के लिए जाना जाता रहा है. बारिश के मौसम में इसकी खूबसूरती दोगुनी बढ़ जाती है. इस दौरान यहां के अधिकांश इलाकों में भारी वर्षा होती है, इतनी कि उनकी गिनती भारत के सर्वाधिक वर्षावाले क्षेत्रों में होती है. प्रकृति के इस अनुपम सौंदर्य का मजा लेने के लिहाज से देखा जाये, तो यह कर्नाटक घूमने का सबसे अच्छा समय है. इसी मौसम में आप कर्नाटक में ‘वन स्टेट, मेनी वर्ल्डस’ की अवधारणा को बेहतर रूप में महसूस कर पायेंगे.
पश्चिमी घाट पर स्थित हिल स्टेशन
भारत के पश्चिमी तट पर स्थित पर्वत शृंखला को पश्चिमी घाट या सह्याद्रि कहते हैं. दक्कनी पठार के पश्चिमी किनारे के साथ उत्तर से दक्षिण तक 1600 किमी में फैले यह क्षेत्र गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा केरल के कन्याकुमारी को कवर करता है. जैविकीय विविधता की दृष्टि से विश्व में इसका 8वां स्थान है. 2012 में यूनेस्को ने पश्चिमी घाट क्षेत्र के 39 स्‍थानों को विश्व धरोहर स्‍थल घोषित किया है. इस क्षेत्र में भारत के लगभग 45% बेहतरीन घाट शामिल हैं, जिनमें विश्व के 25 जैव-विविधतावाले हॉट-स्पॉट्स एरिया आते हैं. भारत का करीब 30% वनस्पति और जीव-जंतु भी इसी इलाके में पाये जाते हैं. पश्चिमी घाट के कुछ प्रमुख माॅनसूनी पर्यटन इलाकों में शामिल हैं:
कुर्ग : समुद्र तल से 1525 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कुर्ग या कोडागु को ‘स्कॉटलैंड ऑफ इंडिया’ नाम से भी जाना जाता है. कुर्ग के पहाड़, हरे-भरे जंगल, चाय और कॉफी के बागान और यहां के लोग मन को लुभाते हैं. कावेरी नदी का यह उद्गम स्थल वाटर राफ्टिंग, हाइकिंग, ट्रैकिंग, रॉक क्लाइंबिंग/बोल्डरिंग, क्रॉस कंट्री टेल्स व ऐरो-स्पोर्ट्स के लिए मशहूर है.
चिकमंगलूर : बाबाबूदान की पहाड़ियों से घिरा चिकमंगलूर बेंग्लुरु से 200 कि.मी. की दूरी पर स्थित है. यहां पहाड़, झरने, अभयारण्य और कई धार्मिक स्थल हैं, जो सैलानियों को आकर्षित करते हैं. यह क्षेत्र चाय और कॉफी बागानों के लिए बेहद प्रसिद्ध है. मौसम पूरे साल सुहावना रहता है,
कुद्रेमुख : चिकमंगलूर से 95 कि.मी. दूरी पर दक्षिण-पश्चिम में स्थित कुद्रेमुख भारत में पश्चिमी घाट का नम उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन के अंतर्गत दूसरा सबसे बड़ा वन्यजीव संरक्षित क्षेत्र है. 1987 में इस क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया है. प्राकृतिक संपदा से भरपूर कुद्रेमुख में स्थित गुफाएं और ट्रैकिंग मार्ग हैं पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र हैं. केम्मानागुडी : बाबा बूदान की पहाड़ियों के बीच फैला यह इलाका बादलों से घिरी पहाड़ियों, हरी-भरी वादियों, ऊंचे-ऊंचे झरनों और गहरी घाटियों के लिए जाना जाता है.
कोडाचडरी : समुद्र तल से 1343 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कोडाचडरी की पहाड़ी चोटियों से आप सूर्योदय और सूर्यास्त का अद्भुत नजारा दिखता है. यहां से 12 किमी दूर कोल्लुर मंदिर है. कर्नाटक का यह क्षेत्र भारत के सबसे घने वन क्षेत्रों में से एक है.
मलयानगिरी और अंगुबे : पश्चिमी घाट के बाबा बूदान पहाड़ी श्रृंखला में ये क्षेत्र दुनिया के सबसे खूबसूरत ट्रैंकिंग प्वाइंट्स में शामिल हैं.
बीआर पहाड़ियां : बी आर हिल्स या बिलगिरी रंगना पहाड़ियां पश्चिमी घाट की पूर्वी सीमा पर स्थित एक पर्वतीय श्रृंखला है. 5091 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह प्राकृतिक रिजर्व पश्चिमी और पूर्वी घाटों को जोड़ता है. यहां शुष्क,पर्णपाती तथा सदाबहार वनस्पतियों की कई किस्में पायी जाती हैं.
नंदी हिल्स : बेंग्लुरु से 60 किमी. की दूरी पर समुद्र तल से 4,851 फीट की ऊंचाई पर नंदी पहाड़ियां अवस्थित है. अमृत सरोवर वॉटर टैंक और होरटीकल्‍चर गार्डन यहां के प्रसिद्ध पिकनिक स्पॉट हैं. यह स्थान पैराग्लाइडिंग और साइकि‍लिंग आदि एक्टिविटीज के लिए फेमस है.
कर्नाटक के प्रमुख जलप्रपात
मॉनसूनी बारिश की वजह से राज्य में स्थित जलप्रपातों की सुंदरता काफी बढ़ जाती है. इस राज्य में देश के कुछ बेहतरीन जलप्रपात हैं. शिमोगा,कर्नाटक से 104 कि.मी. की दूरी पर स्थित जोग जलप्रपात एशिया के सबसे ऊंचा यह जल प्रपात यहां का मुख्य पर्यटक स्थल और आकर्षण का केन्द्र है. इसके अलावा, गोकक प्रपात, उन्चल्ली प्रपात, मगोड प्रपात, एब्बे प्रपात एवं शिवसमुद्रम प्रपात सहित अन्य प्रसिद्ध जल प्रपातों को भी इस सूची में शामिल किया गया है. इनके अलावा इरुप्पु प्रपात, एबे प्रपात, हेबे प्रपात, मैगोड प्रपात, लालगुली प्रपात, सतोदि प्रपात व उंचाली प्रपात की खूबसूरती भी देखने लायक है. मानसून के दौरान धुंध, कुहासे और बारिश के बीच से गुजरते हुए इनकी खूबसूरती को आप अपने कैमरे में कैद कर सकते हैं.

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