Vidur Niti: महाभारत ग्रंथ से बहुत बातें सीखने को मिलती हैं. महाभारत में अनेक पात्र हैं. इनमें से एक अहम पात्र है महात्मा विदुर. महात्मा विदुर को उनकी बुद्धिमत्ता के लिए जाना जाता है. इनके विचारों के बारे में विदुर नीति के माध्यम से जाना जा सकता है. विदुर नीति आज भी लोगों का सही मार्गदर्शन करने में सहायक है. इसमें व्यक्ति के जीवन से जुड़े अलग-अलग पहलुओं के बारे में बताया गया है. हर व्यक्ति जीवन में सफल होना चाहता है. इसके लिए कोशिश भी करता है. लेकिन, कई बार कोशिश करने के बाद भी सफलता हासिल नहीं हो पाती है ऐसे में व्यक्ति को हताश नहीं होना चाहिए. इस बारे में विदुर नीति में बताया गया है. तो आइए इस आर्टिकल के जरिए जानते हैं इस बारे में विस्तार से.
महात्मा विदुर के विचार
विदुर नीति के दूसरे अध्याय के श्लोक के अनुसार,
तथैव योगविहितं यत्तु कर्म न सिध्यति।
उपाययुक्तं मेधावी न तत्र ग्लपयेन्मनः।।
- इस श्लोक के अनुसार, अच्छे उपायों का इस्तेमाल कर के अगर कुछ काम किया जाता है और काम में असफलता हाथ लगती है तो बुद्धिमान व्यक्ति को मन में दुख नहीं करना चाहिए.
- ये श्लोक से हम इस बात को सीख सकते हैं कि काम को लेकर कोशिश करते रहना चाहिए. कई बार सही तरीके से काम करने के बाद भी इंसान सफल नहीं हो पाता है. ऐसे में मन में पछतावा नहीं रखना चाहिए.
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अनुबंधानपेक्षेत सानुबन्धेषु कर्मसु।
सम्प्रधार्य च कुर्वीत न वेगेन समाचरेत्।।
- विदुर नीति के इस श्लोक के अनुसार, किसी भी काम को करने से पहले उसके उद्देश्य को ध्यान में रखें और लक्ष्य को अच्छे से समझ लें. काम को जल्दी में शुरू नहीं करें. अच्छे से सोच विचार करने के बाद ही काम को करना चाहिए.
- जीवन में आगे बढ़ने के लिए लक्ष्य का होना जरूरी है. कुछ पाने के लिए जरूरी है सही लक्ष्य का होना और सोच समझकर उस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए. जल्दबाजी में फैसले लेने से बचना चाहिए.
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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

