Travel: यदि आप प्रकृति के दिलकश नजारों का आनंद उठाना चाहते हैं, तो एक बार बिहार के नवादा जिला स्थित ककोलत जलप्रपात का दीदार करना तो बनता ही है. सच्चाई यही है कि आप मंत्रमुग्ध हो इसे निहारते रह जायेंगे. प्रकृति के इस अद्भुत नजारे को देख यहीं खो जायेंगे. ककोलत झरना नवादा से लगभग 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. बिहार और झारखंड की सीमा पर स्थित यह झरना प्रकृति की अद्भुत कलाकारी का नमूना है, जो बताता है कि मनुष्य चाहे कितना भी सुंदर कुछ क्यों न रच ले, प्रकृति की रचना के आसपास टिक भी नहीं सकता. इस झरने का पानी जमीन से लगभग 150 से 160 फीट की ऊंचाई से नीचे एक प्राकृतिक सरोवर में गिरता है. चारों ओर फैली हरियाली के कारण यहां का दृश्य अत्यंत मनोरम बन पड़ा है. ऐसे में झरने के पानी को नीचे गिरते देखना रोमांच से भर देता है. यह जलप्रपाप भारत के सबसे अच्छे जलप्रपात यानी झरने में से एक माना जाता है. इसका पानी वर्ष भर ठंडा बना रहता है. चैत संक्राति के दिन इस स्थान पर मेले का आयोजन किया जाता है.
झरने से जुड़ी है पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रेता युग में एक राजा को ऋषि ने अजगर रूप धारण कर यहीं रहने का श्राप दिया था. तब से वह राजा श्राप के अनुसार इसी स्थान पर निवास कर रहा था. अपने वनवास के दौरान जब पांडव इस स्थान पर आये, जब जाकर राजा को श्राप से मुक्ति मिली. इसके बाद राजा ने घोषणा की कि जो कोई भी इस झरने में नहायेगा, उसका पुनर्जन्म कभी भी सांप के रूप में नहीं होगा. इसके बाद से ही श्रद्धालुओं द्वारा इस झरने के पानी में स्नान करने की परंपरा आरंभ हुई. इस स्थल से एक लोककथा भी जुड़ी हुई है, जो कहती है कि कृष्ण अपनी रानियों के साथ यहां स्नान करने के लिए आया करते थे. इस कारण भी इस झरने का पानी काफी पवित्र माना जाता है.
कैसे जाएं
हवाई मार्ग से : जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है.
रेल से : नवादा रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है. नवादा लखिसराय और गया रेलवे स्टेशन से सीधे जुड़ा हुआ है.
सड़क मार्ग से : नवादा नजदीकी स्थानों से सड़क से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है.