Sadhguru: सद्गुरु अक्सर अपने प्रवचनों में जीवन की गहराइयों को सरल शब्दों में व्यक्त करते हैं. गुरु पूर्णिमा के अवसर पर उन्होंने एक अनमोल विचार साझा किया- “गुरु बैसाखी नहीं, वह एक पुल हैं.” यह कथन हमें गुरु के वास्तविक स्वरूप को समझने की ओर प्रेरित करता है. यह विचार केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि जीवन के हर मोड़ पर मार्गदर्शन की गहराई को दर्शाता है.
Sadhguru की नजरों में गुरु का असली अर्थ
गुरु बैसाखी नहीं हैं जो आपको सहारा दें, बल्कि वह एक पुल हैं जो आपको उस पार पहुंचाते हैं.
-सद्गुरु
गुरु के मायने सद्गुरु की नजरों में

सद्गुरु के अनुसार गुरु केवल एक इंसान नहीं होता जो हमें कठिनाइयों में सहारा दे या हमारी पीठ थपथपाए, बल्कि वह एक माध्यम होता है जो हमें अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाता है. सद्गुरु कहते हैं, गुरु का कार्य हमें अपनी आत्मिक संभावनाओं को पहचानने में सहायता करना है, न कि जीवन भर हमारे सहारे बने रहना.
उनकी दृष्टि में गुरु वह शक्ति है जो हमें हमारे भीतरी भ्रमों, भय और सीमाओं से मुक्त करता है. वह हमें उस सत्य की ओर ले जाता है जिसे हम अक्सर जीवन की आपाधापी में भूल जाते हैं.
True Meaning of Guru by Sadhguru: गुरु बैसाखी नहीं, पुल क्यों?
सद्गुरु यह समझाते हैं कि जब हम गुरु को ‘बैसाखी’ मानते हैं, तो हम उसे एक सहारा समझने की गलती करते हैं. लेकिन गुरु का उद्देश्य हमारी आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता की ओर मार्ग प्रशस्त करना होता है. वे हमें थामने के लिए नहीं, बल्कि छोड़ने के लिए होते हैं—छोड़ने के लिए उन बातों को जो हमें रोकती हैं.
वे कहते हैं, “गुरु कोई ऐसा नहीं है जो आपके जीवन में स्थायी तौर पर सहारा बने, बल्कि वह आपको स्वयं का सहारा बनना सिखाते हैं.” यही कारण है कि सद्गुरु उन्हें ‘पुल’ कहते हैं, क्योंकि एक पुल केवल पार करवाता है- वह मंजिल नहीं, माध्यम है.
Role of Guru in Life | गुरु का मार्ग-भीतर की यात्रा

सद्गुरु बताते हैं कि आध्यात्मिक मार्ग पर चलना एक भीतरी यात्रा है, और गुरु उस यात्रा के मार्गदर्शक हैं. वह हमें हमारी चेतना के उच्च स्तर तक पहुंचाने के लिए प्रेरित करते हैं.
गुरु का साथ हमें आत्म-चिंतन, ध्यान और सच्चाई की ओर ले जाता है. यह यात्रा आसान नहीं होती, परंतु गुरु के माध्यम से यह संभव होती है. सद्गुरु के शब्दों में- “गुरु वह रोशनी हैं जो अंधेरे में जलती है, लेकिन प्रकाश आपका ही होता है.”
गुरु का महत्व केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है. वह जीवन में एक गहराई लाते हैं, एक दिशा देते हैं. सद्गुरु का यह दृष्टिकोण हमें यह सिखाता है कि गुरु को बाहरी सहारा न समझें, बल्कि एक ऐसे सेतु के रूप में देखें जो आपको आत्म-ज्ञान और पूर्णता की ओर ले जाए.
यह समझना बेहद आवश्यक है कि सच्चा गुरु आपको पकड़ कर नहीं, बल्कि आपको उड़ना सिखाकर जीवन के हर स्तर पर सक्षम बनाता है.
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