Relationship Tips, Intercaste Marriage Tips: लव मैरेज में माता पिता को मनाना अपने आप में ही बड़ा चैलेंजिंग होता है. यह काम मुश्किल तब और हो जाता है जब आपका पार्टनर अलग जाति का हो. क्योंकि ऐसी स्थिति में मामला बेहद संवेदनशील हो जाता है ऐसी स्थिति में फूंक फंककर कदम बढ़ाना ही बेहतर होता है. इस काम में प्यार, धैर्य और समझदारी की जरूरत होती है. यहां कुछ प्रभावी तरीकों और सलाहों की सूची दी जा रही है जिससे आप अपने माता-पिता को समझाने में मदद पा सकते हैं.
पहले खुद से पूछे सवाल
किसी भी रिश्ते को शादी में बदलने के लिए खुद से सवाल पूछना जरूरी है कि आप खुद इस रिश्ते को लेकर कितने गंभीर हैं आपको यह सोचना जरूरी है कि मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से इस रिश्ते को निभाने के लिए तैयार हैं अथवा नहीं.
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माता पिता के पास धीरे-धीरे अपनी बात रखें
अगर आप सीधा “हम फलाने से शादी करना चाहते हैं” ऐसा कहेंगे तो मामला शुरुआत में ही गड़बड़ा जाएगा. इसके बजाय आप समय समय पर अपने पार्टनर के गुणों का बखान करें. जाति के बजाय उसके स्वभाव, पढ़ाई, नौकरी, संस्कार इत्यादि पर उनका ध्यान खींचे.
माता-पिता के डर और चिंता को समझें
हो सकता है कि माता पिता को समाज, रिश्तेदार, प्रतिष्ठा या आपके भविष्य की चिंता हो. इसलिए उनकी बात ध्यान से सुनें और उनकी भावनाओं को ध्यान में रखकर ही कुछ भी बात कहे. ऐसा कुछ न बोले जिससे उनको ठेस पहुंचे.
तार्किक और भावनात्मक दोनों दृष्टिकोण अपनाएं
जब आप दोनों की शादी के लिए माता पिता राजी न हो तो उन्हें समझाएं कि इंटरकास्ट मैरेज आजकल आम हो गयी है. उनके डर को तथ्यों से दूर करें. उन्हें बताएं कि उनकी जीवनशैली, उनका करियर सब पहले जैसा ही चलेगा. उन्हें बताएं कि जीवन में कोई भी रिश्ता तभी सफल होता है जब पति और पत्नी में प्यार और समझदारी दोनों है. यह एक रिश्ते की नीव है.
अपने पार्टनर से मिलवाएं
कोशिश करें कि जब घर का माहौल थोड़ा सकारात्मक हो तभी अपने पार्टनर को माता-पिता से मिलवाएं. कोई फॉर्मल अवसर चुनें. जैसे चाय पर बातचीत. अपने पार्टनर के साथ उन्हें सहज महसूस होने दें. इसके लिए आप अपने पार्टनर को घर वालों के पसंद और नपसंद को जरूर बता दें. इससे आपके पार्टनर को मदद मिलेगी.
रिश्तेदार, काउंसलर या पारिवार के किसी मित्र का साथ लें
यदि माता-पिता आपकी बात नहीं मान रहे, तो किसी ऐसे करीबी रिश्तेदार या फैमिली फ्रेंड से मदद लें जिनकी बात वे मानते हैं. कभी-कभी बाहरी व्यक्ति का नजरिया प्रभावी साबित होता है.
धैर्य रखें और अपने माता पिता को समय दें
माता-पिता का “ना” हमेशा स्थायी नहीं होता. उन्हें सोचने, समझने और बदलने का समय दें. किसी भी चीज के लिए जिद न करें. समय के साथ, वे आपके रिश्ते को स्वीकार सकते हैं.
अपने इरादों को साफ रखें
माता पिता यह यकीन दिलाएं कि आप कोई जल्दबाजी या विद्रोह नहीं करने वाले हैं. उन्हें भरोसा दिलाएं कि शादी के बाद भी आप परिवार से जुड़कर रहेंगे.
क्या न करें
- गुस्से या भावुक होकर भागकर शादी करने की धमकी न दें.
- जाति पर बहस न करें- इससे तनाव बढ़ता है.
- माता-पिता को दोष देने से बचें. वे अपनी सोच में बंधे हो सकते हैं, पर उनका उद्देश्य आमतौर पर आपकी भलाई होता है.
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