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Parenting Tips: पहले 7 सालों में ही कैसे तय हो जाता है बच्चे का फ्यूचर? जान लें ताकि ना हो कोई गलती

Parenting Tips: बच्चों के पहले 7 साल केवल पढ़ाई या खेलकूद सीखने के नहीं होते, बल्कि पूरी जिंदगी की नींव रखने वाले साल होते हैं. इस दौरान बच्चों को प्यार, पेशेंस, अच्छी आदतें और सुरक्षित माहौल देना सबसे जरूरी है.

Parenting Tips: बचपन के शुरुआती साल सिर्फ खेलकूद और मस्ती के लिए नहीं होते, बल्कि इन्हीं सालों में बच्चे की पूरी ज़िंदगी की नींव रखी जाती है. साइंटिफिक रिसर्च बताती है कि जन्म से लेकर 7 साल तक बच्चे का दिमाग सबसे तेजी से डेवलपमेंट होता है और 90 प्रतिशत ब्रेन डेवलपमेंट इसी दौरान पूरा हो जाता है. एक्सपर्ट के अनुसार इस उम्र में बच्चा स्पॉन्ज की तरह हर एक्सपीरियंस को एब्जॉर्ब करता है चाहे वह भाषा हो, आदतें हों, इमोशंस हों या फैमिली मेंबर्स का व्यवहार. यही वजह है कि कम उम्र में मिले एक्सपीरियंस, प्यार, माहौल और सीख उनकी थिंकिंग, कॉन्फिडेंस और फ्यूचर की दिशा तय करते हैं. कह सकते हैं कि पहले 7 सालों में डाली गई बुनियाद पर ही पूरी जिंदगी की इमारत खड़ी होती है.

परिवार और माहौल का गहरा असर

एक्सपर्ट्स के अनुसार बच्चे शुरुआत में अपने परिवार और आस-पास के माहौल से ही सीखते हैं. अगर उन्हें प्यार, सिक्योरिटी और पॉजिटिव माहौल मिलता है, तो उनका कॉन्फिडेंस और ट्रस्ट बढ़ता है. वहीं, अगर लगातार डांट, डर या उन्हें नजरअंदाज किया जाए तो बच्चा अंदर से डरपोक, गुस्सैल या इनसिक्योर महसूस करने लगता है. यही कारण है कि पैरेंट का व्यवहार बच्चों की मेंटलिटी पर गहरा असर डालता है.

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आदतें और वैल्यूज यहीं से बनते हैं

एक्सपर्ट्स की अगर मानें तो 7 साल तक बच्चे अपनी डेली रूटीन की आदतें और लाइफ वैल्यू सीख जाते हैं. जैसे दूसरों से कैसे बात करनी है, मुश्किल हालात में कैसे रिएक्ट करना है, या फिर डिसिप्लिन और ईमानदारी जैसी बातें. ये आदतें बाद में बदलना काफी मुश्किल हो जाता है क्योंकि ये उनके अंदर गहरी जड़ें जमा लेती हैं.

इमोशनल और सोशल स्किल्स

इसी उम्र में बच्चे अपनी इमोशंस को पहचानना और उन्हें जाहिर करना सीखते हैं. अगर पैरेंट्स उन्हें सुनते हैं, समझते हैं और सही गाइड करते हैं तो बच्चे इमोशनली स्ट्रॉन्ग बनते हैं. इसके साथ ही दोस्त बनाना, चीजें और बातें शेयर करना और टीमवर्क जैसी सोशल स्किल्स भी इन्हीं सालों में शेप लेती हैं.

पैरेंट्स को क्यों रहना चाहिए सावधान?

अक्सर माता-पिता सोचते हैं कि बच्चा छोटा है, अभी समझता नहीं है. लेकिन सच यह है कि बच्चा हर चीज नोटिस करता है और उसी पैटर्न को कॉपी करता है. अगर घर का माहौल पॉजिटिव होगा तो बच्चा खुशमिजाज और कॉन्फिडेंट बनेगा, और अगर माहौल स्ट्रेस से भरा हुआ होगा तो उसके पर्सनालिटी पर भी इसका असर पड़ेगा.

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Saurabh Poddar
Saurabh Poddar
Digital Media Journalist having more than 2 years of experience in life & Style beat with a good eye for writing across various domains, such as tech and auto beat.

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