Vidur Niti: महात्मा विदुर महाभारत के अत्यंत प्रभावशाली पात्रों में से एक थे, जिनका जन्म राजपरिवार में नहीं हुआ, फिर भी उनके विचार और नीति शास्त्र ने राजाओं से भी अधिक असर छोड़ा. दासीपुत्र होने के बावजूद उन्होंने सत्य, धर्म और नीति की रक्षार्थ कभी समझौता नहीं किया. वे हमेशा धर्म के अनुसार जीते और जीवन के हर पहलू में विवेक और संयम का पालन किया. विदुर के विचार आज भी हमारे लिए जीवन को सही दिशा देने वाले मार्गदर्शक बने हुए हैं.
- महात्मा विदुर के अनुसार, वही व्यक्ति सच्चा ज्ञानी होता है जो सम्मान या प्रशंसा मिलने पर अहंकार से फूल नहीं उठता है. ऐसा व्यक्ति संयम और विनम्रता का प्रतीक होता है, जो आत्मज्ञान से युक्त होता है. आदर मिलने पर भी जिसकी दृष्टि स्थिर बनी रहे, वही वास्तव में ज्ञान का अधिकारी कहा जा सकता है.
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- विदुर नीति के मुताबिक, जो व्यक्ति अपने अनादर या अपमान होने पर विचलित नहीं होता, वही सच्चे अर्थों में ज्ञानी कहलाता है. ऐसा व्यक्ति आत्मसंयमी, विवेकशील और स्थिर बुद्धि वाला होता है. वह बाहरी सम्मान या अपमान से प्रभावित हुए बिना, अपने धर्म और कर्तव्य के मार्ग पर अडिग रहता है.
- विदुर नीति के अनुसार, जिसका चित्त गंगा जी के शांत प्रवाह के समान होता है, जो क्रोध, अपमान या प्रशंसा जैसी स्थितियों में भी विचलित नहीं होता है. वही सच्चा ज्ञानी कहलाता है. ऐसा व्यक्ति जीवन की हर परिस्थिति में संतुलन बनाए रखता है और आत्मिक शांति को प्राप्त करता है.
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