Gita Updesh: अक्सर जीवन में हमें यह समझ नहीं आता कि हमारा सही कर्तव्य क्या है. हम कई बार दुविधा में फंस जाते हैं कि जो हम कर रहे हैं वह सही है या गलत. श्रीमद्भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कर्तव्य और अकर्तव्य का बड़ा ही सरल और गहरा संदेश दिया है.
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं –
जिससे दूसरों का हित होता है वही कर्तव्य है. जिससे किसी का भी अहित होता है वह अकर्तव्य है. कर्तव्य-अकर्तव्य का परीक्षण इसी कसौटी पर होना चाहिए.
इस उपदेश से यह साफ हो जाता है कि कर्तव्य केवल अपने लिए नहीं बल्कि समाज और दूसरों के हित के लिए होना चाहिए. अगर हमारे कार्य से किसी को पीड़ा, हानि या नुकसान होता है तो वह कभी भी कर्तव्य नहीं हो सकता.
Gita Updesh: कैसे पहचानें कि असली कर्तव्य क्या है?

- समाज के लिए उपयोगिता देखें – यदि आपके काम से दूसरों को लाभ हो रहा है, खुशहाली आ रही है, तो वह निश्चित रूप से कर्तव्य है.
- स्वार्थ से परे सोचें – केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए किया गया कार्य कर्तव्य नहीं कहलाता. कर्तव्य वह है जिसमें दूसरों का भी हित छिपा हो.
- अहित की कसौटी पर परखें – यदि आपके कार्य से किसी का भी नुकसान हो रहा है, तो वह कर्तव्य नहीं बल्कि अकर्तव्य यानि पाप है.
- धर्म और नीति का पालन करें – गीता बताती है कि सच्चा कर्तव्य वही है जिसमें धर्म और नैतिकता दोनों का समावेश हो.
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अक्सर केवल अपने लिए सोचने लगे हैं. ऐसे में गीता का यह उपदेश हमें याद दिलाता है कि असली कर्तव्य वही है जो दूसरों के कल्याण में सहायक हो. यही सच्चा धर्म है और यही जीवन का उद्देश्य.
अगर आप भी कभी असमंजस में हों कि क्या करना चाहिए, तो बस यह सोचें कि आपके कार्य से किसी का भला होगा या बुरा. यही कसौटी आपको सही दिशा दिखा देगी.
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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

