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Gita Updesh: बुराई, भय और चिंता से मुक्त रहने की चाबी – गीता के 3 उपदेश जो जीवन की हर परेशानी को बना देंगे आसान

Gita Updesh: अगर आप जीवन में सुख-शांति संतुलन और सकरात्मकता चाहते है तो गीता के ये उपदेश जरूर जानें. श्रीकृष्ण के तीन अनमोल ज्ञान मन को स्थिरता देते हैं और हर कठिन परिस्थिति में सही दिशा दिखाते हैं.

Gita Updesh: भगवद् गीता जीवन जीने की कला सिखाने वाला ज्ञान का सागर है. श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद गीता के माध्यम से मनुष्य को हर परिस्थिति में धैर्य, सदाचार और विश्वास बनाए रखने की प्रेरणा दी है. गीता के उपदेश न केवल हमारे कर्मों को दिशा देते हैं बल्कि मन को भी शांति प्रदान करते हैं. आइए जानते हैं गीता के कुछ ऐसे प्रेरणादायक उपदेश जो आज भी जीवन को बेहतर बनाने की राह दिखाते हैं.

Gita Updesh: जीवन को सरल और शांत बनाने वाले श्रीकृष्ण के अमूल्य संदेश

Best Bhagavad Gita Quotes For Peaceful Life
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1. बुराई का बदला बुराई से नहीं, भलाई से दें

कोई कितना ही बुरा करे, बदले में उसका बुरा न चाहकर यह समझो कि अपने ही दांतों से जीभ कट गई है, और बुराई करने वालों के लिए भी भगवान से मंगल कामना करो.

-भगवद गीता

गीता का यह संदेश क्षमा और करुणा की भावना को दर्शाता है. जब कोई हमें कष्ट देता है, तो स्वाभाविक रूप से हम बदला लेने का विचार करते हैं, परंतु श्रीकृष्ण कहते हैं कि ऐसा करने से मन में नकारात्मकता बढ़ती है. जैसे जीभ कटने पर हम अपने दांतों को दोष नहीं देते, वैसे ही दूसरों की गलतियों को भी हमें  सहनशीलता से देखना चाहिए. यह दृष्टिकोण जीवन में शांति और संतुलन बनाए रखता है.

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2. सदाचार का पालन जीवन का आधार है

Gita Updesh
How bhagavad gita helps in overcoming life problems

सदाचार पालन से मनुष्य दीर्घायु, मनचाही संतान, अचल संपत्ति पाता है. इससे अकाल मृत्यु आदि का भी नाश होता है तथा लोक-परलोक सुधरता है.

भगवद गीता उपदेश

सदाचार यानी नैतिकता और सही आचरण जीवन को स्थिर और समृद्ध बनाते हैं. श्रीकृष्ण बताते हैं कि जो व्यक्ति सच्चाई, ईमानदारी और धर्म के मार्ग पर चलता है, उसे जीवन में सुख, स्वास्थ्य और सफलता प्राप्त होती है. सदाचार का पालन न केवल इस लोक में बल्कि परलोक में भी कल्याण लाता है.

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3. भगवान की इच्छा में ही हमारा कल्याण है

भगवान जो कुछ करते हैं और करेंगे उसमें मेरा ही हित है – ऐसा विश्वास रखकर हर परिस्थिति में निश्चिंत रहना चाहिए. भगवान का विश्वास ही चिंता रहित रहने का उपाय है.

– श्रीकृष्ण गीता उपदेश

जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, परंतु जो व्यक्ति ईश्वर पर पूर्ण विश्वास रखता है, वह हर कठिनाई में भी शांत रहता है. श्रीकृष्ण का यह उपदेश सिखाता है कि जो कुछ भी घट रहा है, वह हमारे कल्याण के लिए ही है. यह भावना हमें तनाव और भय से मुक्त कर सच्चे आत्मविश्वास की ओर ले जाती है.

गीता उपदेश केवल आध्यात्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि व्यवहारिक जीवन के लिए भी आवश्यक हैं. अगर मनुष्य क्षमा, सदाचार और ईश्वर पर विश्वास के इन तीन सिद्धांतों को अपनाए, तो जीवन में न तो द्वेष रहेगा और न ही चिंता. यही सच्चा गीता ज्ञान है – जो हमें कर्म, विश्वास और शांति के मार्ग पर ले जाता है.

गीता में डर के बारे में क्या लिखा है?

भगवद गीता में डर को अज्ञान और मोह का परिणाम बताया गया है। श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो व्यक्ति आत्मा की अमरता को जान लेता है, उसे किसी बात का भय नहीं रहता,गीता सिखाती है कि भय को जीतने का सबसे बड़ा उपाय है – भगवान पर पूर्ण विश्वास रखना और अपने कर्म पर ध्यान देना, फल की चिंता नहीं करना.

गीता की 18 बातें क्या हैं?

गीता के 18 अध्याय जीवन के 18 गूढ़ रहस्यों को प्रकट करते हैं. इनमें कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग, आत्मा का स्वरूप, सत्य, धर्म, त्याग, विश्वास, और ईश्वर के प्रति समर्पण जैसे सिद्धांत शामिल हैं. हर अध्याय मानव जीवन को बेहतर और उद्देश्यपूर्ण बनाने की दिशा में एक कदम है.

कृष्ण के अंतिम शब्द क्या थे?

महाभारत के अनुसार, श्रीकृष्ण के अंतिम शब्द थे – मेरा समय आ गया है. उन्होंने जीवन के अंतिम क्षणों में भी शांति और आत्मज्ञान का उदाहरण प्रस्तुत किया. उनका संदेश यह था कि हर आत्मा अमर है और मृत्यु केवल शरीर का परिवर्तन है.

गीता में तीन पाप कौन से बताए गए हैं?

गीता में सीधे तीन पाप शब्द नहीं कहा गया, लेकिन श्रीकृष्ण ने काम (अत्यधिक इच्छा), क्रोध (गुस्सा) और लोभ (लालच) को मानव पतन का मुख्य कारण बताया है. ये तीनों गुण मनुष्य की बुद्धि को भ्रष्ट करते हैं और उसे धर्म के मार्ग से भटका देते हैं.

गीता का सबसे प्रभावशाली श्लोक कौन-सा है?

गीता के दो श्लोक सबसे प्रभावशाली माने जाते हैं – कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन – यह सिखाता है कि कर्म करते रहो, परिणाम की चिंता मत करो.
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान स्वयं पृथ्वी पर अवतार लेते हैं.

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Pratishtha Pawar
Pratishtha Pawar
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