Gita Updesh: महाभारत केवल युद्ध की कथा नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन देने वाला महाग्रंथ है. इस महागाथा में हर पात्र का अपना महत्व है, परंतु जब स्त्री की अस्मिता पर आघात हुआ, तब श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को वह उपदेश दिए जो आज भी हर स्त्री के लिए बड़ी सीख हैं.
द्रौपदी के चीरहरण का प्रसंग महाभारत का सबसे हृदयविदारक क्षण माना जाता है. जब सभा में धर्म और न्याय मौन थे, तब श्रीकृष्ण ने द्रौपदी का सम्मान बचाकर न केवल एक पत्नी की मर्यादा की रक्षा की बल्कि पूरे समाज को यह संदेश दिया कि स्त्री का अपमान करना सबसे बड़ा अधर्म है.
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“जो अपने धर्म और सम्मान की रक्षा करती है, वही सच्चे अर्थों में संसार को दिशा देती है.” – श्रीकृष्ण
जब द्रौपदी संकट की घड़ी में श्री कृष्ण से पूछती है कि मुझ पर यह संकट कैसा प्रभु तब –
श्रीकृष्ण द्रौपदी को बताते है कि मैंने तुम्हें अपना माध्यम बनाया है जिससे लोग युगों युगों तक इस अपमान को याद रखें और समझेंगे कि –
- पत्नी पति का अभिमान होती है – श्रीकृष्ण द्रौपदी को बताते है कि पत्नी केवल जीवनसंगिनी ही नहीं, बल्कि पति के गौरव की भी प्रतीक होती है. उसका सम्मान करना ही पति का सबसे बड़ा कर्तव्य है.
- घर की मर्यादा कुल की लाज होती है – किसी भी स्त्री का अपमान पूरे कुल का अपमान है. श्रीकृष्ण ने इस बात को स्पष्ट किया कि परिवार और वंश की इज्जत स्त्री की मर्यादा से जुड़ी होती है.
- स्त्री का अपमान करने वालों का विनाश ही धर्म है – महाभारत में यही कारण रहा कि जिन्होंने द्रौपदी का अपमान किया, उनका अंत विनाशकारी हुआ. यह संदेश हर युग के लिए प्रासंगिक है.
यह प्रसंग आज भी हमें याद दिलाता है कि समाज की वास्तविक प्रगति तभी संभव है जब स्त्री को उसका सम्मान और अधिकार मिले.
श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को केवल रक्षा नहीं की, बल्कि उसे माध्यम बनाकर पूरी दुनिया को यह सीख दी कि स्त्री का सम्मान ही धर्म का आधार है.
महाभारत के इस प्रसंग से हर स्त्री को आत्मबल मिलता है और हर पुरुष को यह संदेश कि स्त्री की रक्षा और सम्मान करना ही सच्चा धर्म है.
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