17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Christmas 2021: यीशु के जन्मदिवस को क्रिसमस के रूप में मनाते हैं, जानें यीशु के जन्म की कहानी

Christmas 2021: यीशु के जन्म दिवस को ही क्रिसमस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है. ईसाई समुदाय के लोग यीशु को ईश्वर का पुत्र मानते हैं. जानें यीशु के जन्म की पूरी कहानी.

क्रिसमस का त्योहार 25 दिसंबर को है. इस दिन को प्रभु यीशु के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि प्रभु यीशु ईश्वर के पुत्र हैं. धरती पर बढ़ रहे अत्याचार के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई और यातनाएं देने वालाें के खिलाफ लोगों को एक जुट किया इसी वजह से उन्हें क्रूस पर भी चढ़ा दिया गया. जाने प्रभु यीशु के जन्म से लेकर उन्हें क्रुस पर लटकाए जानेतक की कहानी.

ग्रैबियल ने मैरी से कहा उसे ईश्वर के पुत्र को जन्म देना है

कथा के अनुसार एक बार ईश्वर ने ग्रैबियल नामक अपना एक दूत मैरी नामक युवती के पास भेजा. ईश्वर के दूत ग्रैबियल ने मैरी को जाकर कहा कि उसे ईश्वर के पुत्र को जन्म देना है. यह बात सुनकर मैरी चौंक गई क्योंकि अभी तो वह कुंवारी थी, सो उसने ग्रैबियल से पूछा कि यह किस प्रकार संभव होगा? तो ग्रैबियल ने कहा कि ईश्वर सब ठीक करेगा. समय बीता और मैरी की शादी जोसेफ नाम के युवक के साथ हो गई.

जोसेफ को सपने में बताया जल्द ही गर्भवती होगी मैरी

भगवान के दूत ग्रैबियल जोसेफ के सपने में आए और उससे कहा कि जल्द ही मैरी गर्भवती होगी और उसे उसका खास ध्यान रखना होगा क्योंकि उसकी होने वाली संतान कोई और नहीं स्वयं प्रभु यीशु हैं. उस समय जोसेफ और मैरी नाजरथ जोकि वर्तमान में इजराइल का एक भाग है, में रहा करते थे. उस समय नाजरथ रोमन साम्राज्य का एक हिस्सा हुआ करता था. एक बार किसी कारण से जोसेफ और मैरी बैथलेहम, जोकि इस समय फिलस्तीन में है, में किसी काम से गए, उन दिनों वहां बहुत से लोग आए हुए थे जिस कारण सभी धर्मशालाएं और शरणालय भरे हुए थे जिससे जोसेफ और मैरी को अपने लिए शरण नहीं मिल पाई. काफी थक-हारने के बाद उन दोनों को एक अस्तबल में जगह मिली और उसी स्थान पर आधी रात के बाद प्रभु यीशु का जन्म हुआ.

ईश्वर के दूत प्रकट हुए और गडरियों को प्रभु यीशु के जन्म की जानकारी दी

अस्तबल के निकट कुछ गडरिए अपनी भेड़ें चरा रहे थे, वहां ईश्वर के दूत प्रकट हुए और उन गडरियों को प्रभु यीशु के जन्म लेने की जानकारी दी. गड़रिये उस नवजात शिशु के पास गए और उसे नमन किया. यीशु जब बड़े हुए तो उन्होंने पूरे गलीलिया में घूम−घूम कर उपदेश दिए और लोगों की हर बीमारी और दुर्बलताओं को दूर करने के प्रयास किए. धीरे−धीरे उनकी प्रसिद्धि चारों ओर फैलती गई.

Also Read: Christmas 2021: एक नहीं पूरे 12 दिन का उत्सव है क्रिसमस, जानें क्रिसमस से जुड़ी परंपराएं
यीशु के सद्भावनापूर्ण कार्यों के दुश्मनों ने उन्हें खूब यातनाएं दीं

यीशु के सद्भावनापूर्ण कार्यों के कुछ दुश्मन भी थे जिन्होंने अंत में यीशु को काफी यातनाएं दीं और उन्हें क्रूस पर लटकाकर मार डाला. लेकिन यीशु जीवन पर्यन्त मानव कल्याण की दिशा में जुटे रहे, यही नहीं जब उन्हें क्रूस पर लटकाया जा रहा था, तब भी वह यही बोले कि ‘हे पिता इन लोगों को क्षमा कर दीजिए क्योंकि यह लोग अज्ञानी हैं.’ उसके बाद से ही ईसाई लोग 25 दिसम्बर यानि यीशु के जन्मदिवस को क्रिसमस के रूप में मनाते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें