Gita Updesh | Bhagavad Gita Quotes: भगवद गीता जीवन जीने की कला सिखाने वाला शाश्वत ज्ञान है. इसमें बताया गया हर श्लोक व्यक्ति के विचारों, कर्म और आचरण को सुधारने की प्रेरणा देता है. सुख-दुख, दान-पुण्य और सदाचार से जुड़े गीता के उपदेश हमें यह समझाते हैं कि सच्चा जीवन केवल भौतिक उपलब्धियों से नहीं, बल्कि आंतरिक शांति और नैतिकता से पूर्ण होता है.
Gita Updesh | Bhagavad Gita Quotes: गीता उपदेश जो मन में भक्ति की अलख जगा दें

1. यश सबसे बड़ा धन है
गीता में कहा गया है –
बुद्धि, कुलीनता, इंद्रिय-निग्रह, शास्त्र-ज्ञान, पराक्रम, कम बोलना, शक्ति के अनुसार दान और कृतज्ञता – ये आठ गुण यश के साधन हैं और यश ही सबसे बड़ा धन है.
यह उपदेश हमें सिखाता है कि वास्तविक संपत्ति धन या पद नहीं, बल्कि सम्मान और यश है. जिस व्यक्ति में ये आठ गुण होते हैं, वह समाज में आदर पाता है और उसका जीवन प्रेरणा बन जाता है.
2. सदाचार ही कल्याण का साधन है
गीता का एक और उपदेश कहता है –
जो अपने सुख में प्रसन्न नहीं होता, दूसरे के दुख में दुखी नहीं होता और दान देकर पछतावा नहीं करता, वही सदाचारी कहलाता है; सदाचार ही कल्याण का साधन है.
इस संदेश का अर्थ है कि सच्चा धर्म संतुलन में है. जो व्यक्ति अपने मन को स्थिर रखता है और बिना स्वार्थ के दूसरों की भलाई करता है, वही वास्तव में धर्म का पालन करता है.
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3. Bhagvad Gita Quotes on Karma: कर्म करने से पहले करें विचार
गीता में कहा गया है –
धीर मनुष्य को चाहिए कि पहले कर्म के प्रयोजन, परिणाम तथा अपनी उन्नति का विचार करके ही कर्म को आरंभ करे. इस प्रकार कार्य करने वालों को कभी पछतावा नहीं होता.
यह संदेश जीवन के हर पहलू में लागू होता है. सोच-समझकर, विवेकपूर्वक किया गया कर्म ही सफलता और शांति दोनों देता है.
जब व्यक्ति अपने जीवन में संतुलन, सदाचार, विचारशीलता और विनम्रता अपनाता है, तब वह न केवल अपने लिए बल्कि समाज के लिए भी कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है.
कर्म के बारे में गीता में क्या लिखा है?
गीता में कहा गया है कि कर्म करना मनुष्य का कर्तव्य है. फल की चिंता किए बिना अपने कर्म को निष्ठा और समर्पण के साथ करना ही सच्चा धर्म है.
गीता के अनुसार कौन से कर्म श्रेष्ठ हैं?
वे कर्म श्रेष्ठ हैं जो निस्वार्थ भाव से किए जाएं, जिनमें दूसरों का भला हो और जिनका उद्देश्य आत्मिक उन्नति हो.
सदाचारी का क्या अर्थ है?
सदाचारी वह व्यक्ति होता है जो सही आचरण, सच्चे विचार और सद्भावना से जीवन जीता है. उसके कर्म समाज और खुद के लिए कल्याणकारी होते हैं.
गीता के अनुसार सबसे बड़ा धन क्या है?
भगवद गीता के अनुसार सबसे बड़ा धन ‘यश’ यानी अच्छा नाम और सम्मान है. यह धन व्यक्ति के सद्गुणों और अच्छे आचरण से प्राप्त होता है.
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