Gita Updesh: जीवन में अपने गुरुजनों और वृद्धों का सम्मान करना केवल संस्कार नहीं, बल्कि हमारे जीवन की सफलता और समृद्धि का मार्ग भी है. भगवद गीता में यह उपदेश हमें स्पष्ट रूप से बताता है कि जो व्यक्ति नित्य अपने गुरुओं को प्रणाम करता है और वृद्धों की सेवा करता है, उसका जीवन केवल खुशहाल ही नहीं बनता, बल्कि उसमें बल, विद्या और यश की भी वृद्धि होती है.
श्रीमद्भगवद् गीता कोट्स इन हिन्दी
जो नित्य गुरुनाजनों को प्रणाम करता है और वृद्धों की सेवा करता है – उसकी आयु, विद्या, यश और बल की वृद्धि होती है तथा वह महापुरुषों में सम्मान प्राप्त करता है.
– गीता उपदेश
गुरु और वृद्ध केवल ज्ञान और अनुभव के स्रोत नहीं होते, बल्कि वे हमें जीवन की कठिन परिस्थितियों में सही मार्गदर्शन देते हैं. नित्य प्रणाम और सेवा से व्यक्ति में विनम्रता, धैर्य और सहनशीलता का विकास होता है. यह आदत जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक प्रभाव डालती है.
बड़े बूढ़ों की सेवा से होती है आयु, विद्या और यश में वृद्धि
गीता उपदेश के अनुसार, गुरु और वृद्धों का सम्मान करने वाले व्यक्ति की आयु लंबी होती है और उसका ज्ञान निरंतर बढ़ता है. साथ ही समाज में उसका यश और मान-सम्मान भी बढ़ता है. यह न केवल व्यक्तिगत सफलता दिलाता है, बल्कि समाज में उसकी प्रतिष्ठा को भी मजबूत बनाता है.
इनकी सेवा से समाज में बढ़ता है मान
गुरुजन और वृद्धों का आदर करने वाला व्यक्ति न केवल अपने जीवन में सफलता प्राप्त करता है, बल्कि महापुरुषों और समाज के आदरणीय व्यक्तियों में भी सम्मान पाता है. यह उपदेश हमें यह सिखाता है कि सम्मान, सेवा और आचार्य का आदर ही असली महानता की पहचान है.
आज जहां लोग अक्सर अपने स्वार्थ में व्यस्त रहते हैं, इस उपदेश को अपनाना बेहद जरूरी है. छोटे-छोटे कार्य जैसे किसी वरिष्ठ को समय देना, उनके अनुभव को सुनना, या उनकी सेवा करना, व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है.
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