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National Sports Day 2022 : Hockey की नर्सरी है खूंटी, लेकिन आज भी नहीं है बालिका आवासीय प्रशिक्षण केंद्र

National Sports Day 2022: झारखंड का खूंटी जिला हमेशा से हॉकी की नर्सरी रहा है. ओलंपिक में भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलाने वाले जयपाल सिंह मुंडा खूंटी जिले के टकरा गांव के रहने वाले थे. निक्की प्रधान भी खूंटी जिले के हेसेल गांव की रहने वाली है. खूंटी को यूं ही हॉकी की नर्सरी नहीं कहा जाता है.

National Sports Day 2022: झारखंड का खूंटी जिला हमेशा से हॉकी की नर्सरी रहा है. ओलंपिक में भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलाने वाले जयपाल सिंह मुंडा खूंटी जिले के टकरा गांव के रहने वाले थे. टोक्यो में हुए ओलंपिक के सेमीफाइनल तक पहुंचने वाली भारतीय टीम की प्रमुख खिलाड़ी रही निक्की प्रधान भी खूंटी जिले के हेसेल गांव की रहने वाली है. खूंटी को यूं ही हॉकी की नर्सरी नहीं कहा जाता है. ये धरती दो दर्जन से अधिक अंतरराष्ट्रीय और दो सौ से अधिक राष्ट्रीय स्तर के हॉकी खिलाड़ियों की रही है, जिन्होंने देश-विदेश में खूंटी का नाम रोशन किया है. सुविधाओं की बात करें, तो इस जिले में अब तक बालिका आवासीय प्रशिक्षण केंद्र तक नहीं है. इसके बाद भी बेटियां नाम रोशन कर रही हैं.

हॉकी स्टेडियम को तरस रहा जिला

खूंटी से जयपाल सिंह मुंडा, मनोहर तोपनो, निक्की प्रधान ओलंपिक तक पहुंचे तो सावित्री पूर्ति, आल्मा गुड़िया, हेलन सोय, विष्वासी पूर्ति, पुष्पा प्रधान, गुड्डी कुमारी, स्वर्गीय गोपाल भेंगरा, अनिमा सोरेंग, सामुयेल नाग, हुयुर गुड़िया, सुषील तोपनो सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रहे. सैकड़ों हॉकी खिलाड़ी पैदा करने वाले खूंटी जिले में ढंग का एक हॉकी स्टेडियम तक नहीं है. खूंटी के एसएस प्लस टू उच्च विद्यालय स्थित हॉकी स्टेडियम में एक बार भी किसी प्रकार की प्रतियोगिता का आयोजन नहीं हुआ. अब उस स्टेडियम को एस्ट्रोटर्फ को बदल दिया गया. बिरसा कॉलेज परिसर में एक नया एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम का निर्माण किया जा रहा है.

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नहीं है बालिका आवासीय प्रशिक्षण केंद्र

खूंटी जिले से बड़ी संख्या में बालिकाएं हॉकी खिलाड़ी उभरकर सामने आयी हैं. इसके बाद भी आज तक सरकार के स्तर से एक भी बालिका आवासीय प्रशिक्षण केंद्र की शुरुआत नहीं की गयी है. बालक के लिए एकमात्र एसएस प्लस टू हाईस्कूल में आवासीय प्रशिक्षण केंद्र है. रनिया को छोड़कर सभी प्रखंडों में डे बोर्डिंग मौजूद है. खूंटी, तोरपा, कर्रा और अड़की में बालक और बालिका, मुरहू और मारंगहादा में बालिका डे बोर्डिंग है. पूर्व में चारिद में भी बालकों का डे बोर्डिंग था, जो फिलहाल बंद है. इसके अलावा जिला हॉकी संघ द्वारा कच्चाबारी, मरचा, पंडरा और तोकेन में भी खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जाता है. पर्याप्त सुविधा नहीं मिलने के बाद भी युवा खिलाड़ियों में हौसले की कमी नहीं है. सैकड़ों की संख्या में युवा प्रतिदिन हॉकी का अभ्यास करते हैं. बिरसा कॉलेज मैदान में ही प्रतिदिन लगभग 100 की संख्या में विद्यार्थी अभ्यास करने पहुंचते हैं.

रिपोर्ट : चंदन कुमार, खूंटी

Prabhat Khabar Digital Desk
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