World Heart Day: यह जरूरी नहीं कि आप बाहर से तंदुरुस्त दिखते हैं, तो भीतर से भी तंदुरुस्त हों. बीते 10 अगस्त को मशहूर हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव को व्यायाम करते समय हृदयाघात हुआ था. उपचार में पता चला कि उनके दिल के एक हिस्से में शत प्रतिशत ब्लॉकेज है, जबकि वे बाहर से पूरी तरह तंदुरुस्त नजर आते थे. ऐसे में अपने दिल की सेहत को जाने बिना आपका फिटनेस फ्रिक होना हृदयाघात की भी वजह बन सकता है. दरअसल, फिटनेस की चाह में क्षमता से अधिक वर्कआउट करना शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है और हार्ट अटैक व कार्डिएक अरेस्ट की वजह भी बन सकता है. जानें कैसे रखें आप अपने दिल का पूरा ख्याल.
युवाओं का दिल तेजी से हो रहा कमजोर
दुरुस्त होना अच्छी बात है, लेकिन आजकल युवाओं में तंदुरुस्ती के प्रति बढ़ता जुनून और बॉडी बिल्डिंग करने के लिए जिम जाने का बढ़ता ट्रेंड दिल के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है. ट्रेंड को फॉलो करने के चक्कर में अक्सर लोग भूल जाते हैं कि हर किसी की शारीरिक बनावट अलग-अलग होती है और सबके लिए व्यायाम का लेवल भी अलग होता है. आंकड़े भी यह बता रहे हैं कि युवाओं का दिल तेजी से कमजोर होता जा रहा है. पहले हृदयाघात बड़ी उम्र (60 वर्ष की उम्र के बाद) के लोगों में होने वाली बीमारी मानी जाती थी, लेकिन 40 वर्ष से कम उम्र के युवा भी हृदय रोग की चपेट में आ रहे हैं. साथ ही यह भी देखा गया है कि हृदयाघात से युवा मरीजों में मौत का जोखिम बुजुर्गों में मौत के जोखिम के समान ही होता है. आये दिन किसी कोई बड़ी हस्ती या आसपास के किसी व्यक्ति की अचानक हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट से मौत की खबरें इसका प्रमाण हैं.
तंदुरुस्त दिखने व होने में अंतर
बाहर से तंदुरुस्त व स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति को भी हृदयाघात आ सकता है. तंदुरुस्त व्यक्ति के दिल की स्थिति कैसी है, धमनियों में कितने प्रतिशत तक वसा का प्लाक है, यह बाहर से देख कर बोलना मुश्किल है. हालांकि, अपनी तंदुरुस्ती का ध्यान रख कर इसकी आशंका को जरूर कम किया जा सकता है, लेकिन, किसी तंदुरुस्त व्यक्ति को भी हृदयाघात होने की कई वजहें हो सकती हैं. खासकर, फैमिली हिस्ट्री वालों में आनुवंशिक कारक तो आ ही जाता है. 35 वर्ष या उससे अधिक उम्र के युवा, जिनके माता-पिता में से किसी को हृदयाघात हो चुका है, वे स्वस्थ होने की स्थिति में भी ट्रेडमिल टेस्ट करके जरूर देख लें. इस टेस्ट के दौरान मैक्सिमम एक्सरसाइज करना चाहिए, जितना आपका शरीर अनुमति दे. ऐसा नहीं कि सब-मैक्सिमल एक्सरसाइज यानी दो मिनट करके छोड़ दें. नहीं तो सही स्थिति का पता नहीं चल पायेगा.
शारीरिक व्यायाम न ज्यादा करें, न ही कम
हृदयाघात के मामले गतिहीन जीवनशैली जी रहे लोगों में ज्यादा देखने को मिलते हैं. खासकर, जो दिन भर में किसी तरह की कोई शारीरिक गतिविधि नहीं करते. फिजिकल एक्टिविटी ऑप्टिमल लेवल पर करनी जरूरी है. यानी जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज करना भी ठीक नहीं है. एक व्यक्ति को उसकी उम्र, वजन और फैमिली हिस्ट्री के हिसाब से व्यायाम करनी चाहिए.
भारी-भरकम व्यायाम करना क्यों खतरनाक
फिटनेस के प्रति अवेयर लोगों के लिए अगर व्यायाम करना जुनून बन जाये, यानी वह रोजाना ओवर जिमिंग या 3 से 4 घंटे व्यायाम करने लगें या अच्छा दिखने की चाह में हाइ इंटेंसिटी एक्सरसाइज करने लगें, तो यह उनके दिल के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है. अमेरिका की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रिसर्च के हिसाब से जो लोग हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी या कोरोनरी हार्ट डिजीज के मरीज हैं. जिम में घंटों व्यायाम करने पर उन्हें हार्ट राइम डिसऑर्डर का जोखिम रहता है. उनका ब्लड प्रेशर कम होने लगता है और हार्ट पर क्रोनिक स्ट्रेस बढ़ने लगता है, जिससे हार्ट की वॉल्व को नुकसान पहुंचता है और कार्डिएक अरेस्ट का भी खतरा रहता है.
तंदरुस्ती के लिए सप्लीमेंट सोच-समझ के लें
तंदुरुस्ती के लिए व्यायाम के साथ हॉर्मोन, ड्रग्स या एंडोजेनिक स्टेरॉयड नहीं लेने चाहिए. इनका असर हार्ट की आर्टरीज पर पड़ता है, वह ठीक से काम नहीं कर पाता और हार्ट अटैक हो सकता है. साथ ही कोई भी सप्लीमेंट प्रॉपर शारीरिक जांच के बाद और डॉक्टर से उचित परामर्श के बाद ही लें. कई युवा जल्दी बॉडी बिल्डिंग की चाह में प्रोटीन, वे-प्रोटीन या स्टेरॉयड जैसे स्टीम्यूलेंट का सेवन करते हैं. लंबे समय तक इनके इस्तेमाल से हृदय ज्यादा सक्रिय हो जाता है और हार्ट बीट घटने-बढ़ने की शिकायत शुरू हो जाती है. एसोसिएटेड एशिया रिसर्च फाउंडेशन की रिसर्च के अनुसार, अपने देश में बॉडी बिल्डिंग करने वाले करीब 30 लाख लोग स्टेरॉयड लेते हैं, जिनमें से 73 प्रतिशत लोग 16 से 35 वर्ष के हैं.
वर्कआउट करते समय इन बातों का रखें ध्यान
अपनी उम्र और स्वास्थ्य के हिसाब से ही कोई भी व्यायाम चुनें. वर्कआउट उतना ही करें, जितना आपका शरीर इजाजत दे. दूसरों की देखादेखी एकाएक ज्यादा व्यायाम न करके रोजाना संतुलित व्यायाम करें.
व्यायामशाला ऐसा चुनें, जहां के प्रशिक्षक जानकार व अनुभवी हों.
व्यायामशाला में व्यायाम करते हुए एक निश्चित नियम का अनुसरण करें.
व्यायाम की डायरी मेंटेन करें, जिसमें अपनी हृदय गति, एक्सरसाइज और रिलेक्स की अवधि का रिकार्ड रखें.
संभव हो तो हाइ इंटेंसिटी एक्सरसाइज करने से पहले दिल की सेहत और जरूरी मेडिकल जांच कराएं.
हर दिन 8 से 10 गिलास पानी जरूर पीएं. व्यायामशाला में भी आप थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहें, क्योंकि व्यायाम के दौरान हमारे शरीर में पानी का काफी नुकसान होता है.
व्यायाम करने से 2 घंटे पहले धूम्रपान या अल्कोहल का सेवन एकदम न करें.
हर दिन आप 7 से 8 घंटे की अच्छी नींद लें. नींद के दौरान शरीर की मांसपेशियां व टिशूज रिलेक्स होते हैं.
इन लक्षणों को नहीं करें
कभी नजरअंदाज न करें
तंदुरुस्त लोगों को लगातार थकावट रहना.
सीने मे दर्द हो, जो कुछ मिनट में खत्म न हो.
सीने की बायीं ओर या बीचोंबीच कसाव व जकड़न.
जब दर्द सीने से हाथों, जबड़े, गर्दन, पीठ व पेट की ओर जाता महसूस हो. चलने पर दर्द ज्यादा हो, जबकि आराम करते समय कम हो जाना.
गले में चोकिंग या खिंचाव आना.
दिल की धड़कन अनयिमित होना, सांस लेने में तकलीफ होना, जोर-जोर से सांस लेना पड़े.
एकाएक बहुत कमजोरी महसूस होना.
स्वस्थ हृदय के लिए कितना व्यायाम जरूरी
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, हृदय को स्वस्थ रखने के लिए व्यक्ति को सप्ताह में 180 मिनट की शारीरिक व्यायाम जरूर करनी चाहिए.
जो लोग व्यायाम नहीं करते हैं, उन्हें शुरुआत में 5 से 10 मिनट तक व्यायाम करनी चाहिए. जिसे आप अपनी शारीरिक क्षमता और हृदय गति के हिसाब से रोजाना 30 से 60 मिनट तक बढ़ा सकते हैं.
आप सप्ताह में कम-से-कम 5 दिन तेज कदम से टहलना, जॉगिंग, साइकलिंग, सीढ़ी चढ़ना, एरोबिक, तैराकी, नृत्य जैसे व्यायाम कर सकते हैं.
इन जांचों की मदद से करते रहें दिल का हाल पता
टीएमटी : इसके लिए आपको ट्रेडमिल पर चलना या दौड़ना होता है. इस दौरान हृदय पर तनाव के असर को रिकॉर्ड किया जाता है.
इसीजी : इलेक्ट्रो कार्डियो ग्राम (इसीजी) दिल के स्वास्थ्य का हाल बताने वाला सबसे सामान्य टेस्ट है. इसीजी में दिल की धड़कन को विद्युत तरंगों के रूप में देखा जा सकता है.
इको : इको कार्डियोग्राम टेस्ट में हाइ फ्रीक्वेंसी की ध्वनि तरंगों से हार्ट के वाल्व और चैंबर्स की तस्वीर बनायी जाती है और आपके हृदय के काम करने की क्षमता के बारे में पता चलता है.
खून जांच : इन तीनों बेसिक हार्ट टेस्ट के अलावा कुछ ब्लड टेस्ट होते हैं, जैसे - लिपिड प्रोफाइल, कंपलीट ब्लड काउंट आदि.