Safe Drinking Water Tips: हमारे शरीर में लगभग 70% पानी है. पानी न सिर्फ प्यास बुझाता है बल्कि हमारे पूरे शरीर को स्वस्थ और तंदुरुस्त रखने में भी मदद करता है. अब जरा सोचिए जल अगर अशुद्ध हो जाए तो क्या होगा? हम बीमार पड़ने लगेगे ,इंसानी आयु घट जाएगी और एक दिन हमारा अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा. आजकल के बढ़ते प्रदूषण ने पानी को भी प्रदूषित कर दिया है. नदिया, तालाब, कुएं और यहां तक की घर के हैंड पंप की पानी तक प्रदूषित हो चुकी है. पीने वाले पानी में तरह-तरह के खतरनाक रसायन पाए जा रहे हैं, जो हमारे शरीर में जाकर कई जानलेवा बीमारियां उत्पन्न करने में सक्षम हैं. हमारे धरती पर वैसे भी शुद्ध पानी की बड़ी किल्लत है क्योंकि धरती पर मौजूद कुल पानी में मात्र 3% पानी ही पीने योग्य है. इससे स्पष्ट है की ‘ जल ही जीवन हैं ‘ स्लोगन की अहमियत हर गुजरते पल के साथ बढ़ती जा रही है क्योंकि कल की तुलना में शुद्ध जल आज ज्यादा कीमती और दुर्लभ हो चुका है. इसलिए आजकल छोटे से छोटे शहर,गांव और कस्बा के लोग भी अपने घरों में वाटर प्यूरीफायर लगा रहे हैं, ताकि शुद्ध पानी प्राप्त किया जा सके. अब ऐसे में पानी के विषय में एक ठोस ज्ञान का होना जरूरी हो गया है तो आइए आज के इस लेख में पानी शुद्धता-अशुद्धता के विषय में कुछ ऐसी जरूरी जानकारियां देते हैं जो शायद आप नही जानते होंगे.
पानी में टीडीएस ( TDS ) क्या होता है?
टीडीएस का मतलब होता है “कुल घुले हुए ठोस”. यानी पानी में घुले हुए ऐसे मिनरल्स जिन्हें नग्न आंखों से नही देखा जा सकता है. पानी विभिन्न रास्तों से होकर हमारे घरों और ऑफिस तक पहुंचता है, इसी यात्रा के दौरान पानी में सॉलिड पदार्थ घुल जाते हैं जिन्हे टीडीएस कहा जाता है.
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टीडीएस (TDS) देखना क्यों जरूरी?
पानी में टीडीएस को जांचना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि टीडीएस की अधिकता और न्यूनतम दोनों ही हानिकारक है, क्योंकि इन दोनों तरह के पानी को पीने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. टीडीएस की मात्रा में असंतुलन पानी के स्वाद और क्वालिटी दोनो को खराब कर देता है.
कम या ज्यादा टीडीएस का अर्थ क्या है?
पानी में टीडीएस कम होने का अर्थ है की उसमें जरूरी मिनरल्स जैसे कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम का अभाव. टीडीएस कम होने से स्वास्थ्य संबंधी कई चुनौतियों जैसे हड्डियों का कमजोर होना, दांतों का खराब होना और दिल के रोगों का सामना करना पड़ सकता है.वही ज्यादा टीडीएस पानी में खुले हुए मिनरल्स और अशुद्धियों को दर्शाता है. इस पानी को पीने से पेट संबंधी समस्याएं है जैसे उल्टी, दस्त, पेट दर्द ओर किडनी स्टोन जैसी कुछ अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.
टीडीएस की सही मात्रा क्या है?
टीडीएस की सही मात्रा का अर्थ है पानी में टीडीएस का सही संतुलन. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 1 लीटर पानी में 300 मिलीग्राम से कम टीडीएस होना चाहिए वही ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक पानी में 500 मिलीग्राम से कम टीडीएस होनी चाहिए.
RO की जरूरत कब होती है?
अपने घर ,ऑफिस या अन्य किसी जगह RO लगवाने से पहले यह देख लें कि वहां पर RO लगवाने की जरूरत है भी या नही. अगर आपके घर के पानी का टीडीएस और पानी की शुद्धता की जांच के उपरांत पानी अगर संतुलित पाया जाता है तब RO लगवाने की कोई जरूरत नही है.RO हार्ड वाटर को सॉफ्ट वाटर में बदलता है और उसे पीने योग्य बनाता है.
पानी की शुद्धता की जांच कैसे करें?
अगर आप अपने घर के पानी की शुद्धता की जांच करना चाहते हैं तो इसके कई तरीके हैं. कुछ तरीके इस प्रकार हैं
- पानी को देखकर : सबसे प्राथमिक जांच है पानी को देखकर पता लगाना की वह शुद्ध है या नही. अगर पानी रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन और झागहीन है यानी की पानी में कोई रंग ना हो , कोई गंध ना हो कोई स्वाद ना हो और झाग ना दिखे तो समझो पहले टेस्ट में पानी पास कर गया है.
- टीडीएस मीटर का उपयोग: टीडीएस मीटर से पानी में घुले हुए अशुद्धियों और मिनरल्स की मात्रा की जांच की जा सकती है
- बैक्टीरिया टेस्ट किट का उपयोग: पानी में बैक्टीरिया की मौजूदगी है या नहीं है, इसकी जांच करने के लिए आप बैक्टीरिया टेस्ट किट का उपयोग भी कर सकते हैं
- पानी का पिएच जांचे: पीने योग्य सामान्य पानी का पीएच 6.5 से 8.5 के बीच होता है. अगर पानी की पीएच का स्तर इससे अलग आता है तो पानी पीने योग्य नही है.
- उबालकर जांचे: पानी को उबालने से उसमें मौजूद अशुद्धियां नीचे बैठ जाती हैं, इसे यह पता लगाया जा सकता है कि पानी शुद्ध है या नही.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.