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Dupahiya Web series review:कलाकारों के पावरफुल परफॉरमेंस से सजी है दुपहिया

अमेजॉन प्राइम वीडियो के हालिया रिलीज हुई वेब सीरीज दुपहिया में क्या है खास और कहां नहीं बनी बात.. जानते हैं इस रिव्यु में

वेब सीरीज – दुपहिया 

निर्माता -बॉम्बे फिल्म कार्टेल 

निर्देशक -सोनम नायर 

कलाकार – रेणुका शहाणे,गजराज राव, स्पर्श श्रीवास्तव,शिवानी रघुवंशी,भुवन अरोरा,यशपाल शर्मा,कोमल कुशवाहा,समर्थ महोर,अविनाश द्विवेदी, गोदान कुमार और अन्य

प्लेटफार्म – अमेजॉन प्राइम वीडियो 

रेटिंग –  तीन 

dupahiya web series review :अमेजॉन प्राइम वीडियो पर हालिया रिलीज हुई वेब सीरीज दुपहिया के ट्रेलर लांच के बाद से ही इसकी तुलना टीवीएफ के आइकोनिक शो पंचायत से शुरू हो गयी थी.यह तुलना जायज भी है क्योंकि गवई परिवेश में कहानी कहने की कला, बारीकियां, विवरण बहुत हद तक पंचायत वाला ही है. ऐसा लगता है कि पंचायत एक पैरेरल यूनिवर्स में अलग किरदारों के साथ चल रही है.जिस वजह से दुपहिया भी जमकर मनोरंजन करती है.वैसे इस शो का ताना बाना भले ही कॉमेडी से बुना गया है,लेकिन यह गंभीर मुद्दों को भी सामने लाती है.दहेज़ प्रथा, रंगभेद के साथ -साथ क्लेप्टमैनीऐक जैसे कई मुद्दे को भी यह सीरीज छूती है, लेकिन बिना किसी शोर शराबे के.जिस वजह से इस दुपहिया की सवारी सभी को एक बार तो बनती ही है.

सिर्फ दुपहिया के चोरी होने की नहीं है कहानी

 सीरीज की कहानी की बात करें तो यह बिहार के फिक्शनल गांव धड़कपुर की कहानी है.जिसे  बिहार का बेल्जियम भी कहा जाता है क्योंकि पिछले 24 सालों से यह गांव अपराध मुक्त है.इस बार 25 साल पूरे होने पर गांव को ट्रॉफी मिलने वाली है और हर घर को साफ पीने का पानी भी, लेकिन गांव वालों के ट्रॉफी पर तब पानी फिर जाता है,जब गांव के स्कूल के अस्थायी प्रिंसिपल बनवारी झा (गजराज राव ) अपनी बेटी रोशनी (शिवानी रघुवंशी ) की शादी में दहेज़ के लिए लाये गए दुपहिया के चोरी हो जाने की एफआईआर थाने में लिखवा देते हैं. दुपहिया नहीं तो शादी नहीं सरकारी नौकरी वाले मुंबई में सेटल दूल्हे कुबेर (अविनाश )की यह धमकी है , जिसके बाद बनवारी झा ही नहीं पूरा गांव दुपहिया के चक्कर में पड़ जाता है. दुपहिया की चोरी किसने की है .क्या चोरी हुआ दुपहिया वापस मिल पायेगा. क्या रोशनी की शादी हो पाएगी .एफआईआर लिखवा देने से गांव के अपराध मुक्त होने के सम्मान को जो ठेस पहुंची है. उसके लिए बनवारी झा पर क्या जुर्माना लगेगा.  यह पूरा घटनाक्रम और उससे जुड़े सभी सवाल 9 एपिसोड के जरिये सीरीज में है.इसके साथ ही यह एपिसोडस ये भी दर्शाते हैं कि यह सिर्फ दुपहिया के चोरी होने की कहानी नहीं है. यह महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देती है.जैसे हैं वैसे खुद को स्वीकारने की हिम्मत देती है. यह गांव के अपनेपन को भी बखूबी सामने लाती है.

सीरीज की खूबियां और खामियां 

 ग्रामीण जिंदगी से जुडी स्लाइस ऑफ़ लाइफ वाली कहानियां ओटीटी पर एक नया जॉनर बन गयी हैं. पंचायत के बाद दुपहिया इस बात को और  पुख्ता करती है. इस सीरीज में  जिस तरह से ग्रामीण छवि को बढ़ावा दिया गया है. वह सुकून देता है,लेकिन ग्रामीण अंचल से जुड़े लोगों के सपने, समस्या, असुरक्षा और चुनौतियों को भी यह कहानी बखूबी लेकर आती है.सीरीज की कहानी को नौ एपिसोड में कहा गया है, हर एपिसोड की एवरेज टाइमिंग 35 मिनट है और यह  सीरीज पूरी तरह से आपको बांधे रखती है. दुपहिया से जुड़े हर एपिसोड के ट्विस्ट सीरीज को रोचक बनाए  गए हैं. आखिर में चोर का जब पता चलता है तो इस कॉमेडी ड्रामा सीरीज को एक अच्छा थ्रिलर का भी टच देता है. सीरीज में लौंडा नाच वाला पूरा सीक्वेंस भी दिलचस्प है. खामियों की बात करें तो सीरीज में कहीं कहीं बिहारी लहजे को ठीक तरह नहीं पकड़ने की वजह से शिकायत हो सकती है लेकिन यह सीरीज गांव का परिवेश ,गांव की बोली ,देशीपन इसके आकर्षण को और बढ़ाते हैं.इससे इंकार नहीं है.सीरीज का पूरा ट्रीटमेंट हलके फुल्के कॉमेडी अंदाज में किया गया है, लेकिन सीरीज शुरुआत से आखिर तक लगातार अपने संवाद के ज़रिये सामाजिक पहलुओं को भी सामने लाती रहती है. इस दुनिया में हर रोज मैं कुछ और हो जाती हूं.  बड़ा जोर लगता है खुद को खुद बनाये रखने में जैसे कई संवाद इस शो की यूएसपी हैं. सीरीज का गीत संगीत औसत है और बैकग्राउंड म्यूजिक भी कुछ खास दृश्यों में प्रभाव नहीं बना पाया है.

कलाकारों ने दी है पावरफुल परफॉरमेंस

इस वेब सीरीज की सबसे बड़ी ताकत इसके कलाकार हैं. गजराज राव अपनी भूमिका में चमके हैं. वह अपने अभिनय से सिर्फ गुदगुदाते ही नहीं बल्कि कई पलों पर इमोशनल भी कर जाते हैं. स्पर्श श्रीवास्तव ने भूगोल का किरदार बहुत ही बढ़िया ढंग से पकड़ा है. उनको स्क्रीन पर देखना अच्छा लगता है. अमावस बनें भुवन अरोरा की भी तारीफ़ बनती है. उनके और स्पर्श  के बीच की खींचतान और जुगलबंदी खास है. शिवांगी और कोमल कुशवाहा अपनी – अपनी भूमिकाओं में जमी हैं. यशपाल शर्मा और अविनाश द्विवेदी ने भी अपने किरदारों  में रंग जमाया है.बाकी के किरदारों में टीपू बनें समर्थ महोर और दुर्लभ के किरदार में गोदान कुमार ने अपनी छाप छोड़ी है.रेणुका शहाणे का अभिनय अच्छा है, लेकिन बिहारी टोन में बोला गया उनका संवाद नेचुरल नहीं लगता है.बाकी के किरदारों ने भी अपनी -अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है.

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 14 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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