Ikkis: दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र को एक आखिरी बार बड़े पर्दे पर देखने के लिए दर्शकों के दिलों में जबरदस्त उत्सुकता है. उनके निधन के करीब एक महीने बाद ‘इक्कीस’ सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है. ऐसे में फैंस के लिए यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि धर्मेंद्र को आखिरी बार देखने का मौका है. फिल्म ‘इक्कीस’ नए साल के मौके पर यानी 1 जनवरी को रिलीज होगी. धर्मेंद्र चाहते थे कि लोग इस कहानी को देखें और उनके किरदार को महसूस करें, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. अब फिल्म के निर्देशक श्रीराम राघवन ने धर्मेंद्र से जुड़ी कुछ खास और भावुक बातें साझा की हैं, जो इस फिल्म को और भी खास बना देती हैं.
पंजाब छोड़ने का दर्द था धर्मेंद्र में
श्रीराम राघवन ने द हिंदू के साथ एक इंटरव्यू में बताया कि धर्मेंद्र के लिए इस फिल्म में एक्टिंग करना सिर्फ अभिनय नहीं था, बल्कि अपने जीवन के अनुभवों को जीना था. धर्मेंद्र की चाल, बोलने का अंदाज और चेहरे की भावनाएं सब कुछ किरदार का हिस्सा था. उन्हें किसी तरह की बनावट की जरूरत नहीं थी. फिल्म में जो दर्द दिखाया गया है, वह धर्मेंद्र के अपने जीवन से जुड़ा हुआ था. धर्मेंद्र के दिल में पंजाब छोड़ने का दर्द सालों से बसा हुआ था. गांव, मिट्टी और अपने लोगों से दूर रहने का जो अहसास उन्होंने असल जिंदगी में जिया था, वही भावना उनके किरदार में भी साफ नजर आती है.
अपने डायलॉग्स को खुद बदल देते थे धर्मेंद्र
फिल्म में “घर लौटने” का जो विचार है, वह पूरी तरह धर्मेंद्र के अनुभव से जुड़ा हुआ था. इसी वजह से वह अपने किरदार में पूरी तरह डूब गए थे. श्रीराम राघवन ने यह भी बताया कि धर्मेंद्र अपने डायलॉग्स को लेकर काफी क्रिएटिव थे. वह अक्सर डायलॉग्स को अपने अंदाज में बदल देते थे, उन्हें थोड़ा और सच्चा बना देते थे. डायरेक्टर ने उनकी कई इम्प्रोवाइज की हुई लाइनों को फिल्म में शामिल किया है. दोनों के बीच कविताओं को लेकर भी कई बातचीत होती थी. धर्मेंद्र खुद भी कविता लिखते थे, लेकिन उन्हें कभी जल्दबाजी नहीं थी कि उन्हें छपवाया जाए.
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