सलमान खान की बतौर निर्माता फिल्म ‘नोटबुक’ जल्द ही सिनेमाघरों में दस्तक देगी. सलमान बताते हैं ये फिल्म सिर्फ थाई फिल्म से प्रेरित है. प्रस्तुत है सलमान खान की उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
आप ‘नोटबुक’ के निर्माता के तौर पर कैसे जुड़े?
नोटबुक की कहानी काफी समय पहले मेरे लिए आयी थी. अब मेरी इमेज बदल गयी है कि तो मैं ये फिल्म नहीं कर सकता था. सुभाष घई मेरे पास जब युवराज लेकर आये थे तो मैंने उनसे कहा था कि मुझे हीरो में काम करना है, लेकिन वे नहीं मानें. मैंने बाद में हीरो सूरज को लेकर बनायी.
मोहनीश बहल की बेटी प्रनुतन इस फिल्म से लांच हो रही हैं?
मोहनिश की शाहबजादी के होने की वजह से मैंने प्रनूतन को नहीं लिया. मैंने इनका ऑडिशन बाहर में एक ऑडिशन देखा था. जिसमें वे मुझे बहुत अच्छी लगी थीं. मैंने तुरंत मोहनिश को फोन किया अरे तुम्हारी बेटी लॉ कर रही थी न. उसने बोला हां पढ़ाई पूरी कर ली अब वो एक्टिंग करना चाहती है. उसकी दादी बहुत बड़ी एक्ट्रेस थी. मां और पिता भी एक्ट्रेस हैं. ऐसे में मैं उसे एक्टिंग करने से रोक सकता हूं?
सलमान आप मौजूदा दौर के युवा अभिनेताओं को क्या राय देना चाहेंगे?
मुसीबत से दूर रहो. वैसे आप नहीं जानते कि आपकी लाइफ में कब मुसीबत आ जाये .
सलमान अभिनेता और निर्माता दोनों में से आप सबसे ज्यादा क्या इंज्वॉय करते हैं?
मैं दोनों को इंज्वॉय करता हूं. निर्माता के तौर पर ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. प्रोडक्शन और पैसे का तो पूरी टीम देख लेते हैं, लेकिन स्क्रिप्टिंग और म्यूजिक सहित दूसरे डिपार्टमेंट में बहुत मेहनत लगती है.जब आप खुद एक्टिंग करते हैं ऐसे में निर्माता के तौर पर ये सब डिपार्टमेंट देखना बहुत मुश्किल हो जाता है. बहुत एनर्जी लगती है
आपने कभी अपनी लाइफ में नोटबुक लिखा है?
मैंने एक बार मेरी डायरी लिखनी शुरू की थी तो पहले तो मैंने बहुत सच लिखा. जो मेरा सच होता है न उसमें दूसरे तकलीफ में आ जाते हैं.
इस फिल्म में टीचर की बात की जा रही है आपके बचपन में आपको कौन से टीचर अच्छे लगते थे अभी भी मिलना जुलना होता है क्या ?
फादर हेनरी हैं. उन्हें अब आंखों से दिखता नहीं है़ पादरी हैं. मझगांव में रहते हैं. अभी भी मैं उनके संपर्क में हूं. एक डिसूजा टीचर हुआ करती थीं. पांडे सर जो हमारे पीटी टीचर हुआ करते थे. सभी से संपर्क में हूं. मेरी पंसदीदा टीचर वो हैं. जो मुझे बहुत पीटते थे. उन्हीं से सीखा है किस तरह से हैंडल कीजिए सिचुएशन को. चौथी कक्षा से पीटने का सिलसिला शुरू हुआ था तो कॉलेज तक खत्म नहीं हुआ क्योंकि फादर एलवु हमेशा ही मेरे संपर्क में थे. वे मेरे स्कूल के प्रिंसिपल थे. बोर्ड एग्जाम पास होने के बाद उन्होंने मुझसे पूछा कि अब आप क्या करेंगे बेटे. मैंने कहा कि मैं जेजे स्कूल अॉफ आर्ट्स ज्वॉइन करुंगा. उन्होंने कहा कि बहुत अच्छे. गया था एडमिशन लेने जेजे स्कूल आॅफ आर्ट्स में लेकिन वहां गया तो पास वाला जेवियर ज्यादा अच्छा लग गया क्राउड की वजह से. आर्ट और साइंस था. आर्ट्स लेने का मन था, फिर दिमाग लगाया कि लोगों को समझ आ जायेगा कि यहां पढ़ने नहीं चिल करने आया है फिर मैंने साइंस ले लिया. घर पर आया तो मां खुश कि बेटा डॉक्टर बनेगा. पापा ने कहा कि दो महीने भी साइंस पढ़ लिया तो मैं अपना नाम बदल दूंगा. एक दिन फादर एलवु मुझसे मिले और पूछा कि क्या कर रहे हो. मैंने बताया कि साइंस कर रहा हूं.उन्होंने एक तमाचा जड़ दिया कि डॉक्टर बनोगे. हाल ही में कैंसर की वजह से उनकी मौत हो गयी. फादर एलवु और फादर हेनरी की मार की वजह से ही मैं जो हूं आज हूं.
बायोपिक का ट्रेंड है क्या आपकी बायोपिक बननी चाहिए?
मेरी बायोपिक बाप रे बाप! मेरी लाइफ लार्जर दैन लाइफ होती तो मैं कटघरे में नहीं होता. आपकी अदालत नहीं. असली अदालत की बात कर रहा हूं. इतनी लार्जर दैन लाइफ होती थी तो वहां जाने की जरूरत नहीं होती थी .
वेब सीरिज का इन दिनों ट्रेंड काफी पॉपुलर है?
मुझे वेब सीरिज वाहियात लगते हैं. मुझे डिजिटल प्लेटफाॅर्म पर काफी आॅफर आ चुके हैं, लेकिन मैं नहीं कर सकता हूं. बहुत तहजीब और तमीज वाला रोमांस मुझे पसंद है.