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”प्रेम और बिछोह” की कालजयी रचना देवदास के 100 साल पूरे

प्यार व बिछोह की कालजयी रचना ‘देवदास’ के आज 100 साल पूरे हो गये. शरतचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखी इस उपन्यास पर 16 फिल्में बनी हैं. 30 जून 2017 को प्रकाशित इस किताब के 100 साल पूरे हो रहे हैं , तो इस अमर कृति के बारे में चर्चा करना जरुरी है, आखिर देवदास में क्या […]

प्यार व बिछोह की कालजयी रचना ‘देवदास’ के आज 100 साल पूरे हो गये. शरतचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखी इस उपन्यास पर 16 फिल्में बनी हैं. 30 जून 2017 को प्रकाशित इस किताब के 100 साल पूरे हो रहे हैं , तो इस अमर कृति के बारे में चर्चा करना जरुरी है, आखिर देवदास में क्या खास था, जो करोड़ों भारतीयों के दिलों को इसने छुआ.

क्या है देवदास उपन्यास में
देवदास में एक धनाढ्य परिवार के लड़के और मध्यम वर्ग की लड़की की कहानी है.कहानी का प्लॉट 1900 ईस्वी की है. देवदास और पारो बचपन के दोस्त हैं, लेकिन बड़ा होते ही उन्हें अहसास होता है कि दोनों एक दूसरे को चाहने लगे हैं. पारो चाहती है कि उसकी शादी देवदास से हो जाये लेकिन देवदास का परिवार इस बात के लिए राजी नहीं होता है. दोनों परिवारों में तल्खी बढ़ जाती है. उधर पारो की शादी दूसरे शख्स से हो जाती है. देवदास अपने प्यार को हासिल करने में नाकाम रहता है. अपनी जिंदगी के इस ट्रेजेडी से दूर भागने के लिए देवदास शराब का सहारा लेता है.
देवदास पर बन चुकी है 16 फिल्में
देवदास की लोकप्रियता का आलम यूं कि इस पर कई भाषाओं में फिल्में बन चुकी है. तमिल, तेलगु, हिंदी और बंगला सभी क्षेत्रीय भाषाओं में देवदास को बनाया गया है. शाहरुख खान और दिलीप कुमार की इमेज के साथ ट्रेजेडी किंग का खिताब इस फिल्म के साथ ही जुड़ा. फिल्म इंडस्ट्री के लोग तो यहां तक कहते हैं कि ‘देवदास’ ने शाहरुख को पुनर्जीवन दिया.
देवदास भारत में क्यों है इतना लोकप्रिय
देवदास जैसी रचना इतनी ज्यादा पढ़ी और पसंद इसलिए भी की गयी क्योंकि यह आम भारतीयों की कहानी है. भारत में आज भी अरैंज मैरेज का रिवाज है, इस परिस्थिति में लोग अपने युवा अवस्था में जिससे प्यार करते हैं, उनसे शादी नहीं हो पाती. अकसर शादी के दौरान दो परिवारों के बीच पैसे और प्रतिष्ठा सामने आ जाते हैं और प्यार का दुखांत हो जाता है.

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