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संजय दत्त की रिहाई पर बॉम्बे हाईकोर्ट सख्त, दोबारा जाना पड़ सकता है जेल !

मुंबई : कुछ महीनों पहले जेल से छूटकर अपने घर-परिवार के बीच समय बिता रहे बाॅलीवुड अभिनेता संजय दत्त के लिए लगता है कि उन्हें इतनी जल्दी चैन की सांसें नसीब नहीं होनेवाली. दरअसल, बॉम्‍बे हाईकोर्ट की पीठ ने अभिनेता संजय दत्त को तय समय से पहले जल्‍दी रिहा करने को लेकर महाराष्‍ट्र सरकार और […]

मुंबई : कुछ महीनों पहले जेल से छूटकर अपने घर-परिवार के बीच समय बिता रहे बाॅलीवुड अभिनेता संजय दत्त के लिए लगता है कि उन्हें इतनी जल्दी चैन की सांसें नसीब नहीं होनेवाली. दरअसल, बॉम्‍बे हाईकोर्ट की पीठ ने अभिनेता संजय दत्त को तय समय से पहले जल्‍दी रिहा करने को लेकर महाराष्‍ट्र सरकार और जेल विभागसेकड़े सवाल किये हैं.

खड़ी हो सकती है नयी मुश्किल

अदालत ने पूछा है कि संजय दत्त के अच्‍छे व्‍यवहार का आकलन किस तरह किया गया. इसके अलावा, अदालत जानना चाहती है कि जब उन्होंने अपनी सजा की आधी अवधि परोल पर बाहर ही बितायी, तो उन्‍हें रिहा कैसे किया गया. इससे संजय दत्त के लिए नयी मुश्किल खड़ी हो सकती है. आैर अगर मामले ने तूल पकड़ लिया तो उन्हें दोबारा जेल भी जाना पड़ सकता है.

सजा की अवधि

गौरतलब है कि संजय दत्त को हथियार रखने के मामले में पांच साल कैद की सजा सुनायी गयी थी. ये हथियार 1993 के विस्फोटों में इस्तेमाल खेप का हिस्सा थे. मुकदमे के दौरान जमानत पर चल रहे संजय दत्त ने उच्चतम न्यायालय द्वारा उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखे जाने के बाद मई 2013 में आत्मसमर्पण कर दिया था. दत्त को पुणे की यरवदा जेल में उनके अच्छे आचरण को देखते हुए आठ महीने पहले फरवरी 2016 में रिहा कर दिया गया था.

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किन मानदंडों पर विचार किया गया

न्यायमूर्ति आरएम सावंत और न्यायमूर्ति साधना जाधव की खंडपीठ सोमवार को पुणे निवासी प्रदीप भालेकर की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. भालेकर ने दत्त के सजा काटते समय उन्हें बार-बार परोल और फरलो दिये जाने को चुनौती दी थी. अदालत ने राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल करने को कहा, जिसमें उल्लेख हो कि दत्त के साथ नरमी बरती जाते समय किन मानदंडों पर विचार किया गया और क्या प्रक्रिया अपनायी गयी.

एक हफ्ते बाद आगे की सुनवाई

न्यायमूर्ति सावंत ने कहा, क्या डीआईजी, कारावास से सलाह ली गयी या जेल अधीक्षक ने सीधे अपनी सिफारिश राज्यपाल को भेज दी? उन्होंने कहा, यह भी बताइये कि अधिकारियों ने यह मूल्यांकन कैसे किया कि दत्त का आचरण अच्छा था? जब वह आधे समय परोल पर रहे तो अधिकारियों को इस तरह का आकलन करने का वक्त कब मिल गया? अदालत मामले में एक हफ्ते बाद आगे की सुनवाई करेगी.

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कितना परोल

जांच और लंबी सुनवाई के दौरान दत्त ने जेल में डेढ़ साल बिताया. मुंबई की टाडा अदालत ने 31 जुलाई, 2007 को संजय दत्त को शस्त्र अधिनियम के तहत छह साल के कड़े कारावास की सजा सुनायी थी और 25000 रुपये का जुर्माना लगाया था. उच्चतम न्यायालय ने 2013 में फैसले को कायम रखा, लेकिन सजा को घटाकर पांच साल का कर दिया. इसके बाद दत्त ने बाकी सजा काटने के लिए आत्मसमर्पण कर दिया था. दत्त को जेल में सजा काटने के दौरान दिसंबर 2013 में 90 दिन की परोल दी गयी थी. बाद में 30 और दिन की परोल दी गयी थी.

लटकी पड़ी हैं फिल्में

फिलहाल, संजय दत्त अपनी फिल्मों की शूटिंग निबटाने में व्यस्त हैं. यही नहीं, वह नयी फिल्में भी साइन कर रहे हैं. इनमें से कुछ जल्द ही फ्लोर पर आनेवाली हैं. उनकी जिंदगी पर बन रही ‘दत्त बायोपिक’ तो इन दिनों बॉलीवुड की सबसे बड़ी खबरों में शुमार है. उनकी आगामी फिल्मों में ‘दत्त बायोपिक’केअलावा, ‘भूमि’, ‘मुन्नभाई’ सिरीज की एकफिल्म, ‘पद्मावती’औरसलमानखानकेसाथएकअनाम फिल्म शामिल हैं. बताया जाता है कि इन फिल्मों में निर्माताओंकेकरोड़ोंरुपयेफंसेहैं.अगरसंजयदत्तकोजेलहोजातीहै,तोएकअनुमानकेमुताबिकलगीाग1,200करोड़रुपयेदांवपरलगजायेंगे.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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