रांची : आशुतोष राणा एक संजीदा अभिनेता, वक्ता, संवेदनशील लेखक और कवि. उनका जन्म मध्यप्रदेश के एक छोटे से गांव गाडरवाडा (सिटी ऑफ ओशो) में हुआ था. फिल्म दुश्मन में साइको किलर के रूप अपनी पहचान बनानेवाले आशुतोष ने संघर्ष में लज्जा शंकर पांडेय की भूमिका निभाने के बाद खुद को फिल्म जगत में स्थापित कर लिया
आशुतोष अब तक सात भाषाओं में अभिनय क्षमता दिखा चुके हैं. खलनायक कैटेगरी में दो बार फिल्म फेयर अवार्ड ले चुके हैं. वो शनिवार को प्रभात खबर गुरु सम्मान समारोह में शामिल होने के लिए रांची में थे. इस दौरान धर्मेंद्र और अभिषेक रॉय ने उनसे खास बातचीत की.
मोबाइल पर ‘मौन मुस्कान की मार’ पुस्तक लिखने में कितना समय लगा?
इसका उदाहरण मैं देना चाहूंगा कि आज जब फ्लाइट पर था, तो मेरी एक कहानी खत्म हो गयी. मोबाइल में लिखने का यह फायदा है कि कोई अतिरिक्त सेटअप की जरूरत नहीं होती. खाली समय का बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है.
सोशल मीडिया का निगेटिव इंपैक्ट क्या देखने को मिला है?
यह लोगों की धारणा है. यह वैसे ही है जैसे शस्त्र या फिर बंदूक किसी सिपाही को मिल जाये तो यह सुरक्षित रखने के लिए होगा. वहीं यह किसी डाकू या चोर के हाथ लग जाये तो समस्या. समस्या हथियार नहीं, उसके इस्तेमाल करने पर निर्भर करता है.
छात्र राजनीति से जुड़े रहे हैं, राजनीति में होते तो सपनों का भारत कैसा होता?
मैं समझता हूं लोगों को उनकी इच्छा के मुताबिक नहीं, बल्कि उनकी क्षमता और योग्यता के मुताबिक काम मिलना चाहिए. मैं इस दिशा में ही काम करता. कभी-कभी जो काम कर रहे हैं, उन्हें काम और आराम करने वालों को काम देना चाहिए.
कलाकार का साहित्यकार होना कितना महत्वपूर्ण है?
देखिये चाहे लिखना हो या अभिनय हो, यह भाव का खेल है. शब्द उसके वाहक और संवाहक होते हैं. भाव प्रदान होना आवश्यक है, चाहे आप अभिनेता हो या रचनाकार या हो साहित्यकार.
आपने अपनी पत्नी रेणुका शहाने को कविता लिखकर ही प्रपोज किया था, वह कौन-सा था?
प्रिय लिखकर निचे लिख दू नाम तुम्हारा. कुछ जगह बीच में छोड़ नीचे लिख दूं सदा तुम्हारा…….
झारखंड में फिल्म पॉलिसी लागू हो गयी है. युवा कलाकारों के लिए क्या संदेश देंगे?
अपनी इच्छा और क्षमता को पहचानना जरूरी है. जरूरी नहीं कि जो काम करने की क्षमता है उसे करने की आवश्यकता हाे और जो करने की क्षमता हो, उसे करने की इच्छा. अपनी इच्छा और क्षमता के बीच के द्वंद्व को मिटा दें. अंत में सुख और शांति की जीवन ही प्रिय होना चाहिए.