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डरावना था फिल्म का पहला ही शॉट, हाथ-पांव कांपने लगे थे- करण देओल

मुुंबई: हिन्दी सिनेमा में देओल परिवार का बहुत बड़ा योगदान रहा है. धर्मेंद्र, सन्नी देओल और बॉबी देओल के बाद अब इस परिवार की तीसरी पीढ़ी हिन्दी सिनेमा में दस्तक देने जा रही हैं. सुपरस्टार सन्नी देओल के बेटे करण देओल ‘पल पल दिल के पास’ नाम की फिल्म से बॉलीवुड में एंट्री करने जा […]

मुुंबई: हिन्दी सिनेमा में देओल परिवार का बहुत बड़ा योगदान रहा है. धर्मेंद्र, सन्नी देओल और बॉबी देओल के बाद अब इस परिवार की तीसरी पीढ़ी हिन्दी सिनेमा में दस्तक देने जा रही हैं. सुपरस्टार सन्नी देओल के बेटे करण देओल ‘पल पल दिल के पास’ नाम की फिल्म से बॉलीवुड में एंट्री करने जा रहे हैं. शीर्षक के बाबत पूछे जाने पर करण ने कहा कि ये उनके दादा की फिल्म का सुपरहीट गीत का हिस्सा है और पापा सन्नी देओल का पंसदीदा है. यही कारण है कि मेरी पहली फिल्म का नाम ‘पल पल दिल के पास’ है.

करण देओल से उनकी फिल्म, परिवार और पसंद-नापसंद के बारे में उर्मिला कोरी ने विस्तृत बातचीत की. पेश है बातचीत के मुख्य अंश…

उर्मिला: फिल्म में आपका पहला शॉट क्या था कितना आसान और मुश्किल था

करण: पहला शॉट बहुत ही डरावना था. हम घाटी पर शूटिंग कर रहे थे. अगर गाड़ी नीचे गिर जाती थी तो मैं यहां नहीं होता. हिमाचल की सड़कें भी ठीक नहीं थी. मुझे गाड़ी चलानी थी, फिर गाड़ी का शीशा नीचे करके डायलॉग बोलना था. मुझ लगा आसान होगा. जो पिकअप ट्रक में चला रहा था उसका क्लच थोड़ा अलग था. इसलिए पहली बार मैंने तय मार्क से पहले गाड़ी रोक दी वहीं दूसरी बार में मार्क से बहुत आगे चला गया. एक बार तो ट्रक बंद पड़ गया. मेरे हाथ कांपने लगे. मैं इतना नर्वस हो गया कि रोने लगा. मुझे लगा इतना सिंपल शॉट नहीं दे पा रहा हूं. मेरा एक दोस्त है रमन, उसने मुझे समझाया तब मैं थोड़ा ठीक हुआ. अगले दिन से फिर सब ठीक हो गया.

उर्मिला: सनी देओल को एक निर्देशक के तौर पर कैसा पाते हैं

करण: वह निर्देशक के तौर पर बहुत ही सख्त थे. आप सभी को पता है कि वे परफेक्शनिस्ट हैं. वे छोटी सी छोटी बात को पकड़ लेते थे फिर चाहे आंखें थोड़ी सी खुली या बंद ही क्यों न हो. वो फिर मॉनिटर पर मुझे मेरी गलतियां दिखाते थे. कभी कभी मुझे गुस्सा आ जाता था कि ये कहां से इतनी बारीक गलतियां पकड़ लेते हैं. फिर लगता कि आखिरकार वे मेरी भलाई के लिए ही बोल रहे हैं. शूटिंग दरअसल एक तरह से मेरे लिए इंडस्ट्री की तैयारी थी. शॉट अच्छा होने पर वे केवल ओके बोलते थे. कभी भी औसत या अच्छा नहीं कहा. वे चाहते थे कि मैं चीजों को और भी ज्यादा बेहतर करूं इसलिए उन्होंने कभी मेरी तारीफ नहीं की.

उर्मिला: किसिंग सीन में पिता के सामने कितने सहज थे

करण: इमोशनल सीन और वो किसिंग सीन हमने बाद में किए. तब तक पापा के साथ निर्देशक के तौर पर भी एक रेपो बन गया था. हां किसिंग सीन की शूटिंग के वक्त उन्होंने कहा कि मैं मॉनिटर पर रहूंगा, तुम इतने युवा तो हो कि तुम्हें पता होगा कि ये सीन कैसे करना है.

उर्मिला: खबरें आ रही थी कि आपके पिता ने कई सीन्स को दुबारा रीशूट किया

करण: बहुत सारे नहीं कुछ कुछ सीन. दिल्ली में कुछ सीन ठीक से शूट नहीं हुए थे तो हमने उसे फिर से मुम्बई में सेट बनाकर शूट किया.

उर्मिला: फिल्म जल्द ही रिलीज होने वाली है. पापा सनी देओल ने इंडस्ट्री के अप्स एंड डाउन पर आपको कुछ समझाया है?

करण: पापा ने दो दिन पहले कहा कि आपकी पिक्चर चले या ना चले, इसको आपको अपनी शुरुआत के तौर पर देखना चाहिए ना कि अंत की तरह. एक एक्टर के तौर पर आपको ग्रो करना है. पिक्चर भले ही ना चले लेकिन लोगों को आपकी मेहनत दिखनी चाहिए ताकि आपको काम मिलता रहे. मैंने फिल्म में कुछ भी ओवर द टॉप नहीं किया है. खुद को ज्यादा से ज्यादा कंटेंपररी रखा है. फिल्म में मैं रॉकी के किरदार में हूं.

उर्मिला: सनी देओल पिता के तौर पर कैसे रहे है?

करण: पापा बहुत प्यार करते हैं. बचपन में जो मांगता था वो लाकर भी देते थे लेकिन अनुशासन भी था. वो जरूरी था वरना बच्चे बिगड़ जाते हैं. हमारे पास एक वीएच प्लेयर था. मैंने ऐसे ही मजाक में उसमें चम्मच घुसा दिया था. उसके बाद उन्होंने मुझे बहुत डांटा था. उन्होंने कहा कि तुम्हें चीजों की वैल्यू करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि तुम घर में सबसे बडे हो और आगे चलकर सबका ख्याल रखना है इसलिए तुम्हें जिम्मेदार बनना ही चाहिए. दादाजी की तरह मुझे भी पोएट्री से लगाव है और मैं भी लिखता रहता हूं.

उर्मिला: आपने अपनी मां से क्या लिया है

करण: मेरा लुक मेरी मां से मिलता है. हमारी मुस्कान भी एक जैसी ही है.

उर्मिला: दादा धर्मेंद्र ने एक्टिंग में आपको क्या टिप्स दिए. उनसे जुड़ी क्या यादें रहीं हैं.

करण: बाबा का कहना है कि एक्टिंग रिएक्शन का नाम है. वही सहज होता है. बाबा के साथ बहुत सारी यादें हैं क्योंकि हम एक ही घर में रहते हैं. वहीं पले बढ़े हैं. मैं वीडियो गेम्स बहुत खेलता था और वे बगल में बैठकर ताश खेलते थे. मुझे बचपन में होल्स टॉफी खाने का बहुत शौक था. उनके पास बहुत सारी टॉफी होती थी. वे इंडस्ट्री में अपनी शुरुआत के बारे में बताते थे. अपने संघर्ष के बारे में. उनकी वजह से हम लोग आज यहां है. वे नहीं होते थे हम भी नहीं होते.

उर्मिला: धर्मेंद्र की बायोपिक बनती है तो क्या आपका उनका किरदार निभाना चाहेंगे.

करण: मैं उनका बेटा हूं तो मुझे नहीं लगता कि मैं न्याय कर पाऊंगा. उनके साथ एक इमोशनल अटैचमेंट होगा. इस वजह से नहीं कर पाऊंगा. उनकी जिंदगी बहुत ही कलरफुल थी. मुझे नहीं लगता कि कोई इस जमाने में उनके किरदार में फिट बैठ पाएगा.

उर्मिला: आपके दादा और पापा दोनों ही डांस में कमजोर रहे हैं. आप कितने अच्छे डांसर हैं..

करण: मैंने काफी क्लासेज किए हैं. गणेश आचार्य, शम्पा गोस्वामी, शीजर इन सभी ने सिखाया है. शम्पा ने बहुत ज्यादा मदद की. डांस इस जमानें में बहुत जरुरी है. आप डांस से भाग नहीं सकते हैं. एक्टर बनना है तो डांस भी आना चाहिए. फिल्म में डांस भी है(हंसते हुए). उम्मीद है कि पापा से बेहतर ही किया होगा. बॉबी चाचा हम में से सबसे अच्छे डांसर हैं.

उर्मिला: आपके चाचा अपने कैरियर में बहुत दौर से गुजरे हैं और डिप्रेशन का शिकार हुए. आपने उनकी स्थिति से क्या सीखा

करण: शराब बहुत ही बुरी चीज है. आपके बुरे वक्त को वो और ज्यादा बुरा बना देता है. मैंने चाचा को देखा है इसलिए मैंने तय किया है कि अल्कोहल से दूर ही रहूगा. अल्हकोहल दादाजी और चाचा दोनों के लिए बहुत ही खराब साबित हुआ. जब आप नेगिटिव जोन में होते हैं और ड्रिंक करतें हैं तो वो आपको और निगेटिव बना देता है. हमेशा काम को लेकर एक्टिव रहो. ये नहीं चल रहा है तो मैं कैरेक्टर रोल कर लूं. कुछ न कुछ करते रहना होगा. लीड ही जिंदगी नहीं है. एक एक्टर के लिए काम करते रहना ज्यादा जरुरी है. आप कैमरे के लिए काम करते हैं. ऐसे में कहीं न कहीं आपका काम नोटिस हो ही जाएगा.

उर्मिला: आप देओल परिवार से हैं तो लोगों की आप पर लोगों की पैनी निगाह होगी. आलोचनाओं के लिए खुद को कितना तैयार किया है

करण: आप जब फिल्मी परिवार से आते हैं तो अपने आसपास ढेर सारी आलोचना सुनते हैं. इस तरह से दिमागी तौर पर ही आपकी तैयारी शुरू हो जाती है कि इससे कैसे डील करना है. हर फिल्म हिट नहीं हो सकती. जो फिल्म नहीं चलती तो एक्टर के तौर पर आपको आलोचना के लिए तैयार रहना होता है. आलोचनाओं को सुनकर आगे बढ़ते जाना ही सबसे सही है. एक एक्टर की ग्रोथ नहीं रुकनी चाहिए. आप जितनी भी फिल्में करते जाते हो आपकी ग्रोथ होती जाती है. ये काफी महत्वपूर्ण है. वर्कप्लेस में कोई ना कोई होगा जो आपका काम पसंद नहीं करेगा. काफी सारे लोगों को आपका काम बहुत पंसद आएगा. ये तो चलता रहता है. सबकी अपनी अपनी राय है.

उर्मिला: एक्टिंग के अलावा और आपको किसमें दिलचस्पी है

करण: मुझे एक्टिंग के अलावा निर्देशन से भी लगाव है. शायद 15 साल बाद मैं फिल्में निर्देशित करना चाहूंगा.

उर्मिला: मौजूदा दौर के एक्शन स्टार टाइगर श्रॉफ और ऋतिक रोशन पर आपका क्या कहना

करण: बहुत ही कमाल का एक्शन है इनका. टाइगर ने तो एक्शन को एक अलग ही लेवल पर पहुँचा दिया है. लेकिन मैं रॉ एक्शन को ज़्यादा पसंद करता हूं, जो बाबा और पापा करते थे. फिर सुनील शेट्टी,सलमान खान ने किया. आज तो सब पॉलिश तरीके से होता है. एक्टर को मॉडल बनना पड़ता है. सिक्स पैक सबको बनाना है. एक्टिंग का सिक्स पैक से क्या लेना-देना है, मैं नहीं समझ पाता हूं.

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