‘खिचड़ी’ में हंसा पारेख और ‘‘एक महल हो सपनो का’ में नीलू नानावती की भूमिकाओं के लिए पहचाने जाने वाली अनुभवी अभिनेत्री सुप्रिया पाठक का मानना है कि आज के टेलीविजन धारावाहिकों में काम करने में उनकी दिलचस्पी नहीं है क्योंकि वे ‘पिछड़ी सोच वाले’ और ‘बहुत लंबे’ होते हैं.
उन्होंने कहा, ‘आजकल जो धारावाहिक बनाए जाते हैं वे एक जैसे और बहुत पिछड़ी सोच वाले होते हैं. हम 60, 70 के दशक में बनाई जाने वाली फिल्मों जैसे धारावाहिकों की तरह बात कर रहे हैं और आज टीवी पर ऐसी ही कहानियां दिखाई जा रही हैं. केवल घिसी पिटी और भड़कीली. इनमें मेरी रूचि नहीं है.’
अभिनेत्री ने कहा, ‘मुझे इस बात से भी दिक्कत है कि धारावाहिक इतने लंबे होते हैं कि वे चले जा रहे हैं और चले जा रहे हैं. उन्हें अनावश्यक रूप से खींचा जाता हैं. मैंने जितना भी काम किया है, वह वैसा है कि मैं देखना चाहूंगी. अगर मैं खुद नहीं देख सकती तो मैं कैसे उम्मीद कर सकती हूं कि लोग देखें.’
एक हजार एपिसोड तक चलने वाले ‘‘एक महल हो सपनों का’ धारावाहिक में काम करने के बारे में पाठक ने कहा कि उस धारावाहिक की अपनी कहानी थी जिसमें उसके किरदारों पर समय लगाया गया ना कि आज की तरह कहानी के नाम पर धारावाहिक की किसी भी चीज को खींचा गया. वेब सीरीज के नये माध्यम के बारे में पूछे जाने पर 58 वर्षीया अभिनेत्री ने कहा कि यह दिलचस्प फॉर्मेट है हालांकि प्रोडक्शंस में दोहराव है.
उन्होंने कहा, ‘हर कोई एक तरह के कार्यक्रम बना रहा है जैसे कि अंडरवर्ल्ड और ऐसी ही चीजें। मैं उम्मीद करती हूं कि कोई इस प्रवृत्ति को तोड़े वरना हम फिर से एक ही चक्की में पिस जाएंगे.’ समानांतर सिनेमा अभियान के दौरान ‘‘बाजार’, ‘‘मिर्च मसाला’ और ‘‘कलयुग’ जैसी फिल्मों के लिए पहचान बनाने वाली पाठक का मानना है कि दर्शक को कंटेट लुभाता है ना कि फिल्म से जुड़े बड़े नाम.
थिएटर, टीवी और बॉलीवुड की अनुभवी अभिनेत्री एल्केमिस्ट लाइव द्वारा आयोजित दिल्ली थिएटर उत्सव के तीसरे संस्करण में काम करने जा रही हैं. अभिनेता और अपने पति पंकज कपूर के साथ पाठक 30 अगस्त को नयी दिल्ली के सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में ‘‘ड्रीम्ज सहर’ नाटक में अभिनय करेंगी.