TET Mandatory For Teachers Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि शिक्षक के रूप में नियुक्ति पाने तथा प्रोन्नति पाने के इच्छुक सभी शिक्षकों का टेट (शिक्षक पात्रता परीक्षा ) पास करना अनिवार्य है. शिक्षकों की नियुक्ति और सेवा शर्तों को लेकर कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. आदेश के अनुसार, जिन शिक्षकों की सेवा अवधि पांच साल से अधिक शेष है, उन्हें दो साल के भीतर शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना अनिवार्य होगा. अगर शिक्षक ऐसा करने में असफल रहते हैं तो उन्हें या तो त्यागपत्र देना होगा या फिर अनिवार्य सेवानिवृत्ति का सामना करना पड़ेगा.
TET Mandatory For Teachers Supreme Court: अल्पसंख्यक संस्थानों को फिलहाल राहत
कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों पर आरटीई (RTE) एक्ट के तहत टेट की अनिवार्यता फिलहाल लागू नहीं होगी. यह छूट तब तक जारी रहेगी जब तक कि वृहद पीठ इस मामले पर अंतिम निर्णय नहीं ले लेती. यह फैसला इसलिए अहम है क्योंकि अल्पसंख्यक संस्थान अक्सर अनुच्छेद 30 के तहत विशेष अधिकारों का हवाला देते हुए आरटीई प्रावधानों से छूट की मांग करते हैं.
TET Mandatory For Teachers Supreme Court: एनसीटीई का 2011 का आदेश
बता दें कि 29 जुलाई 2011 को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने स्पष्ट किया था कि देशभर में शिक्षक पद पर नियुक्ति के लिए टेट पास करना अनिवार्य होगा. इसके बाद से ही टेट शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता का मानक बन गया.
TET Mandatory For Teachers Supreme Court: कोर्ट का 2014 के फैसले पर संदेह
पीठ ने अपने आदेश में 2014 के उस निर्णय पर भी सवाल उठाया है, जिसमें कहा गया था कि अल्पसंख्यक संस्थानों के शिक्षकों को टेट पास करने से छूट दी जा सकती है. कोर्ट ने माना कि यह निर्णय अनुच्छेद 30 के प्रावधानों के विपरीत हो सकता है. इसलिए वृहद पीठ इस पर विचार करेगी कि क्या अल्पसंख्यक संस्थानों के शिक्षकों पर भी टेट की शर्त लागू होनी चाहिए या नहीं.
इस आदेश से साफ है कि अब सामान्य स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के लिए टेट पास करना हर हाल में आवश्यक होगा. वहीं, अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को फिलहाल राहत मिली है, लेकिन भविष्य में वृहद पीठ का फैसला उनकी स्थिति को बदल सकता है.
यह भी पढ़ें- बीएचयू में एडमिशन पाने का आखिरी मौका, Offline करें आवेदन

