Success Story: हिंदी दिवस के अवसर पर हम आपको एक ऐसे युवा के बारे में बताएंगे, जिन्होंने हिंदी माध्यम से पढ़ाई करते हुए साबित कर दिया कि सपनों की कोई भाषा नहीं होती. मेरठ के साधारण परिवार में जन्मे निशांत जैन ने डाकघर की लिपिक की नौकरी छोड़कर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की. उनकी कहानी यह संदेश देती है कि मेहनत, लगन और सही दिशा मिलने पर कोई भी छात्र अपनी मंजिल पा सकता है. हिंदी माध्यम होने के बावजूद निशांत ने अंग्रेजी पर ध्यान न देकर अपने सिलेबस और पढ़ाई पर पूरा फोकस किया और यूपीएससी परीक्षा में इतिहास रच डाला. डाकघर से लेकर संसद और फिर IAS तक का उनका सफर हर हिंदी भाषी छात्र के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो यह बताता है कि अगर जज्बा और समर्पण मजबूत हो तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती.
पोस्ट ऑफिस में बने बाबू
निशांत जैन का जन्म 30 अक्टूबर 1986 को मेरठ में हुआ. स्नातक के बाद उन्होंने पोस्ट ऑफिस में लिपिक की नौकरी जॉइन की. नौकरी के दौरान ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी.
हिंदी माध्यम से यूपीएससी की तैयारी
निशांत ने अंग्रेजी पर ध्यान न देकर अपने सिलेबस और पढ़ाई पर फोकस किया. उन्होंने UPSC की सभी परीक्षा हिंदी माध्यम में दी. पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली, लेकिन हार न मानते हुए उन्होंने तैयारी जारी रखी.
हिंदी में टॉप कर इतिहास रचा
दूसरे प्रयास में निशांत ने हिंदी माध्यम में प्रथम रैंक और ऑल ओवर लिस्ट में 13वीं रैंक हासिल कर इतिहास रचा. यह साबित करता है कि भाषा कभी बाधा नहीं, बल्कि लक्ष्य की दिशा तय करने वाली ताकत बन सकती है.
संसद में नौकरी और अनुभव
पहले प्रयास में असफल रहने के दौरान निशांत ने संसद में भाषा अनुवादक के रूप में काम किया। हिंदी साहित्य में उनकी गहरी रुचि और ज्ञान ने उन्हें इस भूमिका में उत्कृष्ट बनाया.
वर्तमान पोस्टिंग
वर्तमान में IAS निशांत जैन जयपुर विकास प्राधिकरण के सचिव हैं. इससे पहले वह बाड़मेर कलेक्टर के पद पर कार्यरत थे. उनकी कहानी लाखों छात्रों के लिए प्रेरणा है, जो हिंदी माध्यम से सपने देख रहे हैं और उन्हें पूरा करने का जज्बा रखते हैं.

