MPPSC Success Story Mayanka Chaurasiya: कहते हैं सफलता उन्हीं को मिलती है जो आखिरी दम तक हारते नहीं हैं. कुछ ऐसी ही कहानी मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की मयंका चौरसिया की है, जिन्होंने 10 साल की पढ़ाई और 8 बार परीक्षा देने के बाद आखिरकार DSP का पद हासिल कर लिया. मयंका ने फैसला कर लिया था कि अगर DSP का पद नहीं मिला तो वे शादी नहीं करेंगी. लेकिन उनके परिवार ने उन्हें सपोर्ट किया. आइए, जानते हैं मयंका चौरसिया (Mayanka Chaurasiya Success Story) की सक्सेस स्टोरी.
MPPSC Success Story: बीटेक करने के बाद कई ऑफर मिले
मयंका का जन्म मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के लवकुशनगर में हुआ है. उनकी शुरुआती शिक्षा लवकुशनगर से हुई और बाद में उन्होंने भोपाल के बसंल कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद कैंपस प्लेसमेंट में नौकरी के कई ऑफर मिले. लेकिन उन्हें कुछ अलग करना था. मयंका को सिविल अधिकारी बन देश की सेवा करनी थी.
MPPSC Success Story: बार-बार मेन्स में फेल होने से परेशान
मयंका चौरसिया ने वर्ष 2016 में तैयारी शुरू की. पहली बार में ही उनका प्रीलिम्स निकल गया था. लेकिन मेन्स में सेलेक्शन नहीं हुआ. 2017 और 2018 में भी प्रीलिम्स निकला और मेन्स में फिर असफल हो गईं. बार-बार मेन्स में अटक जाने से सेल्फ डाउट होने लगा. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. परिवार ने भी समझाया.
Mayanka Chaurasiya: 6-12 बजे तक लाइब्रेरी में पढ़ाई करती थीं
परिवार के समझाने पर नए जोश के साथ मयंका ने 2012 में फिर से तैयारी शुरू की. सोशल मीडिया से दूरी बना लिया. लोगों से मिलना कम कर दिया. पूरा ध्यान सिर्फ-और-सिर्फ पढ़ाई पर लगा दिया. लाइब्रेरी में सुबह 6 रात 12 बजे तक पढ़ाई करती थीं.
Mayanka Chaurasiya: खुद से वादा किया, शादी नहीं करूंगी
लेकिन मेन्स के दौरान सेहत बिगड़ गई और परीक्षा बीच में छोड़नी पड़ी. 2022 में इंटरव्यू तक पहुंचीं लेकिन फाइनल लिस्ट में नाम नहीं आया. 10 साल से पढ़ाई करने के बाद और 8 बार मेन्स देने के बाद भी रिजल्ट नहीं निकलने पर मयंका काफी निराश हो गईं. उन्होंने खुद से वादा किया कि जब तक अपना सपना पूरा नहीं कर लेती हैं तब तक शादी नहीं करेंगी.
परिवार के साथ और अटूट संकल्प से मिली सफलता
इतनी मेहनत के बाद आखिरकार जब रिजल्ट आया तो उसमें मयंका का नाम था. डीएसपी बनने की खबर सुनते ही, वे बहुत खुश हुईं. उन्होंने कहा कि अटूट धैर्य, परिवार के साथ, और संकल्प ने उन्हें यहां तक पहुंचाया है.
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