Teachers Day Special: कहते हैं “गुरु बिना ज्ञान नहीं, जीवन में मान नहीं”. कई बार तो गुरु माता-पिता से भी बढ़कर हो जाते हैं क्योंकि वो न सिर्फ हमारा मार्गदर्शन करते हैं, हमें सही राह पर सीखाना चाहते हैं बल्कि हमारी तरक्की ही उनका एक मात्र उद्देश्य बन जाता है. ये बात सिवान जिले से आने वाले संजय पाठक पर बिलकुल फिट बैठती है. संजय पाठक जिले के मैरवा में रानी लक्ष्मीबाई स्पोर्ट्स अकैडमी (Rani Laxmibai Sports Academy) चलाते हैं, जहां कमजोर व गरीब परिवार से आने वाली बच्चियों को सशक्त बनाने के लिए उन्हें हैंडबॉल, फुटबॉल जैसे स्पोर्ट्स की ट्रेनिंग दी जाती है. ये बच्चियां संजय पाठक को न सिर्फ अपना शिक्षक और गुरु मानती हैं बल्कि उन्हें अभिभावक जैसा सम्मान देती हैं.
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कंपटीशन में भाग ले रही हैं बिहार की बेटियां
रानी लक्ष्मीबाई अकैडमी के निदेशक संजय पाठक ने इस अकैडमी को चलाने के लिए काफी संघर्ष किया है. ये उनके त्याग और बलिदान का नतीजा है कि आज बिहार के इस जिले से लड़कियां राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में शामिल हो रही हैं.
जीत से मिली हिम्मत
संजय पाठक का सफर 2009 में शुरू हुआ, जब उनकी नियुक्ति गांव के आदर्श सरकारी मिडिल स्कूल में हुई. उन्होंने दो छात्रा को ट्रेन करके स्थानीय खेल प्रतियोगिता के लिए तैयार किया. इसमें जीत हासिल करने के बाद उनका हौसला बढ़ा और उन्होंने सिवान की बच्चियों को ट्रेनिंग देने का फैसला लिया. हालांकि, शुरुआत में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लोग संजय पाठक को भला बुरा कहते थे. सरकारी स्कूल के शिक्षक होने के कारण उनकी कुछ जिम्मेदारी भी थी और दायरा भी. साथ ही सबसे बड़ी दिक्कत थी आर्थिक सहयोग. लेकिन संजय पाठक ने हार नहीं मानी. खुद के दम पर अकैडमी की शुरुआत की.
कई सारी लड़कियों को किया जाता है ट्रेन
बिहार के इस शिक्षक ने स्कूल के मैदान में लड़कियों को प्रशिक्षण देना शुरू किया. धीरे धीरे उनसे प्रशिक्षण लेने के लिए और भी लड़कियां जुटीं. उन्होंने कहा कि अकैडमी की बच्चियां जबरदस्त मेहनत करती हैं और उनमें कौशल भी है. अकैडमी में अनुशासन का पालन किया जाता है. सभी लड़कियों की डाइट का और उनके स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जाता है. रानी लक्ष्मीबाई स्पोर्ट्स अकैडमी में लड़कियों को हैंडबॉल, फुटबॉल और रग्बी सीखाया जाता है.
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