Nivedita Menon Retired: कौन हैं निवेदिता मेनन, जिनके रिटायरमेंट की खबरें लगातार कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर तैर रही हैं. इन्हीं तैरती हुई खबरों में कुछ एक सोशल मीडिया वीडियो भी वायरल हो रहे हैं. इन वीडियो में कुछ स्टूडेंट संभवत: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के कैंपस में अपनी लेडी प्रोफेसर को विदाई देते दिख रहे हैं. वीडियो में जो प्रोफेसर हैं, उनका नाम निवेदिता मेनन बताया जा रहा है. वीडियो वारयल होने के बाद आम यूजर्स के मन में जो सबसे पहला सवाल आया वो ये कि आखिर ये निवेदिता मेनन कौन हैं. सोशल मीडिया यूजर्स ने गूगल से Nivedita Menon Kaun Hai, nivedita menon in Hindi जैसे कई सवाल पूछ लिए. तो आइए, जानते हैं कि आखिरी कौन हैं निवेदिता मेनन, जेएनयू से उनका क्या कनेक्शन रहा है.
Nivedita Menon Retirement: पहले बात वायरल वीडियो की…
सोशल मीडियाा पर जो वीडियो वारयल हो रहा है, उसमें कुछ स्टूडेंट्स एक महिला को घेर के लाल सलाम के नारे लगाते नजर आ रहे हैं. कॉलेज की दीवारों को देखें तो यह जेएनयू का प्रतीत होता है. वहीं जिस विभाग के आगे ये वीडियो शूट हुआ है, वो विभाग है School Of International Studies. वीडियो में सभी छात्र नारे लगा रहे हैं, “कॉमरेड दीदी को लाल सलाम, रेड सैल्यूट टू कॉमरेड”.

Nivedita Menon Kaun Hai: कौन है निवेदिता मेनन?
निवेदिता मेनन महाराष्ट्र के पुणे में पैदा हुई हैं. वे पेशे से एक लेखिका और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली (JNU Delhi) में राजनीतिक विचारों की प्रोफेसर हैं. उन्होंने पीएचडी की डिग्री हासिल की है. JNU की ऑफिशियल वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार, निवेदिता Centre For Comparative Politics and Political Theory की फैकल्टी हैं. वेबसाइट ने उनकी फोटो समेत प्रोफाइल भी डाली है. जेएनयू से पहले वे लेडी श्री राम कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय के पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट में भी पढ़ा चुकी हैं. साथ ही उनकी छवि एक फेमिनिस्ट स्कॉलर के रूप में विकसित हुई है. अपने विचारों और स्पीच को लेकर वे कई बार विवादों से घिरी हैं. कश्मीर में भारत के विलय पर की गई टिप्पणी को लेकर भी वे विवादों से घिर गई थीं.
Nivedita Menon Books: निवेदिता मेनन बुक्स
निवेदिता पेश से एक लेखिका भी हैं. उनकी कई किताबें और जरनल पब्लिश हो चुके हैं. वर्ष 2012 में उनकी किताब आई थी Seeing like a Feminist. वहीं वर्ष 2004 में उनकी किताब आई थी Recovering Subversion: Feminist Politics Beyond the Law.

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