How To Shift Train on Track in Hindi: हम रोजाना ट्रेनों को रेल की पटरी पर दौड़ते हुए देखते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इतनी भारी-भरकम ट्रेन आखिर पटरी पर चढ़ाई कैसे (Rolling in of Coaches) जाती है? क्या इंजन पहले चढ़ाया जाता है या एक-एक करके डिब्बे लाए जाते हैं? यह सवाल जितना सामान्य लगता है, उतना ही रोचक और तकनीकी इसका जवाब है. यह सवाल रेलवे सहित अन्य परीक्षाओं के लिए उपयोगी हो सकता है. इसलिए यहां How To Shift Train on Track के बारे में जानें.
ट्रेन को पटरी पर चढ़ाने की पूरी प्रक्रिया (Rolling in of Coaches)
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रेन को पटरी पर चढ़ाने की प्रक्रिया को रेलवे की भाषा में इसे “Rolling in of Coaches” कहा जाता है. जब एक नई ट्रेन या कोच तैयार होता है (जैसे कि चेन्नई के ICF या रायबरेली के मॉडर्न कोच फैक्ट्री में), तब उस कोच को पटरी पर चढ़ाने के लिए एक विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती है-
- Track Alignment: सबसे पहले पटरी को पूरी तरह समतल और सीधा किया जाता है. इसके लिए इंजीनियरिंग टीम लेवलिंग और गेज की जांच करती है.
- Hydraulic Jack या Crane का इस्तेमाल: कोच को एक जगह पर लाकर हाइड्रोलिक जैक या भारी क्रेन की मदद से उठाया जाता है.
- Wheelset का फिक्सिंग: कोच के नीचे पहियों (Wheelsets) को लगाया जाता है और फिर कोच को धीरे-धीरे पटरी पर उतारा जाता है.
- Shunting Engine या Hand Pushing: जब एक कोच पटरी पर आ जाता है, तो उसे शंटिंग इंजन या हाथ से धक्का देकर आगे बढ़ाया जाता है, ताकि दूसरे कोच जुड़े जा सकें.
- Brake Testing और Final Check: सभी कोच जुड़ जाने के बाद ब्रेक सिस्टम, इलेक्ट्रिकल कनेक्शन, और सिक्योरिटी फीचर्स की जांच की जाती है.
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कैसे चढ़ाई जाती है ट्रेन पटरी पर? (How To Shift Train on Track)
जब किसी नए कोच या इंजन का निर्माण होता है (जैसे कि चेन्नई के ICF या रायबरेली के MCF में), तो उसे पहले असेंबली लाइन से यार्ड तक लाया जाता है. इसके बाद, वहां नीचे लगे पहियों (Wheel Sets) को ट्रेन के कोच के साथ जोड़ा जाता है. इस दौरान भारी-भरकम क्रेन या हाइड्रोलिक जैक की मदद से कोच को उठाया जाता है और फिर धीरे-धीरे उसे पटरी पर उतारा जाता है.
How To Shift Train on Track: क्या-क्या होता है?
इसके बाद शंटिंग इंजन या हाथ से धक्का देकर कोच को आगे बढ़ाया जाता है और बाकी कोच जोड़े जाते हैं. जब सभी डिब्बे पटरी पर आ जाते हैं, तो उनकी ब्रेकिंग सिस्टम, इलेक्ट्रिक कनेक्शन और बाकी सुरक्षा परीक्षण किए जाते हैं.
कहां होता है ये काम? (Rolling in of Coaches)
भारत में यह काम अधिकतर ICF (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री), चेन्नई, और मॉडर्न कोच फैक्ट्री, रायबरेली में किया जाता है. वहां ट्रेन निर्माण के बाद उसे यार्ड में लाकर पटरी पर चढ़ाया जाता है.
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