Mahatma Gandhi Jayanti 2025 : मोहनदास करमचंद गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता होने के साथ ही एक विपुल लेखक और ग्रंथकार भी थे. उन्होंने अपने जीवनकाल में कई किताबें लिखीं, जिनमें उन्होंने जीवन, राजनीति, दर्शन और अहिंसक प्रतिरोध के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा किये. उनकी जयंती पर हम महात्मा गांधी द्वारा लिखित उल्लेखनीय पुस्तकों को सूचीबद्ध कर रहे हैं, जो छात्रों के लिए बेहद उपयोगी मानी जाती हैं…
सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा
‘सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा’ (The Story of My Experiments with Truth) महात्मा गांधी की सबसे महत्वपूर्ण रचनाओं में से एक मानी जाती है. इस आत्मकथा में गांधीजी ने जीवन के अनुभवों को विस्तार से बताया है, अपनी आध्यात्मिक और दार्शनिक यात्रा का वर्णन किया है और सत्य एवं अहिंसक प्रतिरोध के साथ अपने प्रयोगों पर चर्चा की है. यह पुस्तक उनके विश्वासों, संघर्षों और उनके कार्यों को निर्देशित करने वाले सिद्धांतों की गहरी समझ प्रदान करती है. महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा’ (The Story of My Experiments with Truth) 1925 से 1929 के बीच साप्ताहिक किस्तों में लिखी थी और इसे उनकी पत्रिका ‘नवजीवन’ में प्रकाशित किया गया था. मूल रूप से गुजराती भाषा में लिखी गयी इस किताब का हिंदी एवं अंग्रेजी समेत कई भाषाओं में अनुवाद उपलब्ध है.
हिंद स्वराज
हिंदी स्वराज (Indian Home Rule) महात्मा गांधी की प्रमुख किताबों में से एक है और उनके जीवन और विचारों को गहराई से बताती है. यह किताब महात्मा गांधी ने 1909 में लिखी थी. यह वो समय था, जब भारतीय राजनीति में उनका प्रवेश पूरी तरह नहीं हुआ था. लेकिन इस किताब की प्रस्तावना बताती है कि यह छोटी सी पुस्तक गांधीजी की आत्मा कही जाती है. शताब्दी के अधिक वर्षों का सफर तय कर चुकी यह पुस्तक आज भी उतनी ही प्रासंगिक व लोकप्रिय है, जितनी प्रकाशन के समय थी. यह किताब छात्रों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम की एक मौलिक समझ प्रदान करती है.
गोखले: मेरे राजनीतिक गुरु
गोपाल कृष्ण गोखले को गांधी अपना गुरु मानते थे और उन्हें राष्ट्र के प्रति एक अनुकरणीय सेवक के रूप में देखते थे. उन्होंने राजनीतिक क्षेत्र में अपने काम को आकार देने के लिए गोखले की उपलब्धियों से प्रेरणा ली. मूल रूप से महात्मा गांधी द्वारा गुजराती भाषा में लिखी गयी यह पुस्तक 1955 में प्रकाशित हुई थी. इसमें महात्मा गांधी द्वारा लिखे गये लेख और गोखले पर दिये गये व्याख्यानों का संकलन है, जिसे बाद में अंग्रेजी (Gokhale: My Political Guru) में भी प्रकाशित किया गया.
दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास
यह पुस्तक दक्षिण अफ्रीका में गांधी के अनुभवों और सक्रियता का एक वृत्तांत प्रस्तुत करती है, जहां उन्होंने सत्याग्रह (अहिंसक प्रतिरोध) की अपनी अवधारणा को विकसित और परिष्कृत किया. इसमें उन्होंने भारतीय समुदाय के संघर्षों और अन्याय एवं भेदभाव को दूर करने के लिए अपने अहिंसक दृष्टिकोण के विकास का वर्णन किया है. गांधीजी की आत्मकथा के बाद यह उनकी बेहद महत्वपूर्ण पुस्तक मानी जाती है. दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास (Satyagraha in South Africa) पुस्तक भी उन्होंने मूल रूप से गुजराती में लिखी थी. छात्र इसे हिंदी एवं अंग्रेजी में पढ़ सकते हैं.
द लॉ एंड द लॉयर्स
महात्मा गांधी की द लॉ एंड द लॉयर्स’ (The Law and the Lawyers) पुस्तक शिक्षा और नैतिकता की गहराई में उतरती है, जो गांधी के साहित्यिक योगदान के एक पहलू को दर्शाती है. यह पुस्तक एक सभ्य समाज के भीतर कानून के उद्देश्य पर गांधी के दृष्टिकोण को समाहित करती है. इसमें गांधीजी ने इस बात पर जोर दिया है कि वकीलों को किसी भी पेशेवर विशेषाधिकार से ऊपर ‘सत्य और सेवा’ को प्राथमिकता देनी चाहिए.
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