International Translation Day 2025 : अनुवाद एक ऐसी विधा है, जो राष्ट्रों को एक साथ लाने, संवाद, समझ और सहयोग को सुविधाजनक बनाने, विकास में योगदान देने तथा विश्व शांति व सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इसलिए अंतरराष्ट्रीय अनुवादक महासंघ और संयुक्त राष्ट्र ने 24 मई, 2017 को एक प्रस्ताव पारित कर 30 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस के तौर पर मनाने की शुरुआत की. अनुवाद ने साहित्य की विशाल दुनिया को और अधिक विशाल बनाने में अहम भूमिका निभायी है. अनुवाद की बदौलत रूसी में लिखा गया साहित्य हिंदी भाषी पाठक पढ़ रहा और कन्नड़ में लिखी गयी किताब अंग्रेजी पढ़ने वालों के पास पहुंच रही है. यह वजह है अनुवाद को सम्मान देने के लिए कई पुरस्कार दिये जाते हैं.
साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार
यह भारत में अनुवाद के क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है. इस पुरस्कार की शुरुआत साहित्य अकादमी ने वर्ष 1989 में की थी. उद्देश्य था भारत की 24 मान्यता प्राप्त भाषाओं में साहित्यिक कृतियों के उत्कृष्ट अनुवादों को सम्मानित करना. इस पुरस्कार के साथ वर्तमान में 50,000 की नकद राशि और एक उत्कीर्ण ताम्रफलक (पट्टिका) दिया जाता है. यह पुरस्कार उन अनुवादकों को दिया जाता है जिन्होंने किसी भारतीय भाषा से दूसरी भारतीय भाषा में उत्कृष्ट अनुवाद किया हो.
पेन ट्रांसलेशन पुरस्कार
‘पेन ट्रांसलेशन पुरस्कार’ एक वार्षिक सम्मान है, जो उत्कृष्ट साहित्यिक अनुवादों को दिया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य अन्य भाषाओं से अंग्रेजी में किये गये बेहतरीन अनुवादों को पहचान और सम्मान देना है. यह पुरस्कार अनुवादकों के महत्वपूर्ण काम को उजागर करता है, जो अक्सर लेखक की छाया में रहता है. पेन संस्था विभिन्न देशों में स्थित अपने केंद्रों के माध्यम से कई प्रकार के अनुवाद पुरस्कार देती है. इनमें से दो प्रमुख प्रकार हैं- पेन ट्रांसलेशन पुरस्कार एवं पेन ट्रांसलेट्स .वर्ष 2025 में भारतीय लेखिका गीतांजलि श्री को उनके कहानी संग्रह ‘यहां हाथी रहते थे’ के अंग्रेजी अनुवाद ‘वंस एलिफेंट्स लिव्ड हियर’ के लिए यह पुरस्कार दिया गया है. इसका अनुवाद डेजी रॉकवेल ने किया है, जिन्होंने गीतांजलि श्री के अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता उपन्यास ‘रेत समाधि’ का भी अनुवाद किया था.
अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार
अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार प्रतिवर्ष किसी ऐसी पुस्तक के लिए दिया जाता है, जिसका अंग्रेजी में अनुवाद किया गया हो और जो ब्रिटेन या आयरलैंड में प्रकाशित हुई हो.अंग्रेजी के विश्वस्तरीय उपन्यासों को प्रमुखता देनेवाले इस पुरस्कार के तहत मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी गयी कृति को बुकर पुरस्कार या अंग्रेजी में अनूदित कृति को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिया जाता है. अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की शुरुआत 2005 में मैन बुकर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार के रूप में हुई थी. वर्ष 2015 में मूल बुकर पुरस्कार के नियमों में विस्तार किया गया और किसी भी राष्ट्रीयता के लेखकों को इसमें भाग लेने की अनुमति दी गयी, बशर्ते किताब अंग्रेजी में हों और यूके में प्रकाशित हुई हो. तब से यह पुरस्कार हर साल किसी एक किताब के लिए दिया जाता है, जो किसी अन्य भाषा में लिखी गयी हो और अंग्रेजी में अनुवादित हो. हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री और कन्नड़ लेखिका बानू मुश्ताक को यह पुरस्कार मिल चुका है.
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