Vande Bharat Train: भारतीय रेलवे (Indian Railaways) की ट्रेनों में सफर करने वालों के लिए एक बड़ी ही महत्वपूर्ण खबर है. वह यह है कि अब आप जल्द ही वंदे भारत स्लीपर ट्रेन (Vande Bharat Sleepler Train) में सफर करेंगे. वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों के निर्माण के लिए प्लांट की शुरुआत कर दी गई है. इन ट्रेनों का निर्माण टीटागढ़ रेल सिस्टम्स लिमिटेड (TRSL) और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) मिलकर करेंगी. इन दोनों कंपनियों की साझेदारी में पश्चिम बंगाल के उत्तरपाड़ा स्थित संयंत्र में वंदे भारत शयनयान (स्लीपर) ट्रेन के निर्माण के लिए एक नई प्रोडक्शन यूनिट का शुभारंभ किया गया. इस यूनिट में करीब 80 वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों का निर्माण किया जाएगा.
क्या है वंदे भारत स्लीपर ट्रेन की खासियत
- यह देश की पहली लंबी दूरी की स्लीपर ट्रेन होगी, जो मध्यम उच्च गति (Semi High-Speed) से चलेगी.
- यात्रियों को लेटकर यात्रा करने की सुविधा मिलेगी, जो अब तक वंदे भारत ट्रेनों में नहीं थी.
वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों में होगा क्या
- स्वदेशी तकनीक का प्रयोग
- स्मार्ट ऑनबोर्ड सिस्टम
- बेहतर सुरक्षा और आरामदायक लेआउट
24,000 करोड़ रुपये का मेगा कॉन्ट्रैक्ट
- वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों के निर्माण के लिए भारतीय रेलवे ने TRSL-BHEL गठजोड़ किया है.
- TRSL-BHEL उत्तरपाड़ा की निर्माण इकाई से 80 वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों के निर्माण का करेंगी.
- ये दोनों कंपनियां 35 साल तक उनका रखरखाव करेंगी.
- वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों के निर्माण के लिए TRSL-BHEL को करीब 24,000 करोड़ का ठेका दिया गया है.
उत्तरपाड़ा प्लांट की विशेषताएं
- पश्चिम बंगाल के उत्तरपाड़ा वाले प्लांट में अब वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों का उत्पादन शुरू हो गया है.
- यह भारत की एकमात्र साइट है, जहां एक ही जगह पर स्टेनलेस स्टील और एल्युमिनियम कोच बनाए जा सकते हैं.
- फिलहाल इस प्लांट की उत्पादन क्षमता साल में 300 कोच बनाने की है, जिसे जरूरत पड़ने पर 850 कोच सालाना तक बढ़ाया जा सकता है.
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उद्घाटन के दौरान कौन-कौन रहे मौजूद
वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों के निर्माण के लिए पश्चिम बंगाल के उत्तरपाड़ा के नई प्रोडक्शन यूनिट के उद्घाटन समारोह में TRSL के वाइस चेयरमैन और MD उमेश चौधरी के साथ BHEL की निदेशक बानी वर्मा सहित दोनों कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे. वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों का निर्माण देश के रेल नेटवर्क को नई दिशा देगा. यह पहल न केवल मेक इन इंडिया को बढ़ावा देती है, बल्कि यात्रियों को भी भविष्य की यात्रा का अनुभव प्रदान करेगी.
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