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एक दूधवाला कैसे बना करोड़ों का मालिक? आज खड़ा है देश में दूध का साम्राज्य

Success Story: वेद राम नागर ने अपने कारोबार की शुरुआत साइकिल से दूध बेचकर की और उसे एक विशाल डेयरी साम्राज्य में बदल दिया. 60 लीटर दूध से शुरू हुआ उनका सफर आज 36 लाख लीटर प्रतिदिन की बिक्री तक पहुंचा है. उनकी कहानी यह सिखाती है कि मेहनत, धैर्य और सही रणनीति से कोई भी छोटा सपना बड़ा बन सकता है. पारस मिल्क आज उनकी मेहनत का जीवंत प्रमाण है, जो न केवल एक ब्रांड है, बल्कि उनकी दूरदर्शिता और संघर्ष की विरासत भी है.

Success Story: देश में श्वेत क्रांति के जनक और अमूल जैसे ब्रांड के संस्थापक डॉ वर्गीज कुरियन को तो हर कोई जानता है. लेकिन, इसी देश में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्होंने छोटी शुरुआत करके विशाल डेयरी के साम्राज्य को खड़ा कर दिया. इस शख्स का नाम वेद राम नागर है, जिन्हें पारस मिल्क के संस्थापक के रूप में जाना जाता है. उन्होंने अपने कारोबार की शुरुआत बेहद साधारण तरीके से की थी. वेद राम नागर के बारे में कहा जाता है कि कभी वे साइकिल से रोजाना करीब 60 लीटर दूध बेचा करते थे. आज उनकी कंपनी रोजाना करीब 36 लाख लीटर दूध बेचती है. आइए, जानते हैं कि उन्होंने छोटी शुरुआत से डेयरी का विशाल साम्राज्य कैसे खड़ा कर दिया.

वेद राम नागर का शुरुआती जीवन

वेद राम नागर का जन्म 1933 में उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में एक साधारण परिवार में हुआ था. उनके पास कोई बड़ा पारिवारिक व्यवसाय या आर्थिक समर्थन नहीं था. युवावस्था में उन्होंने छोटे स्तर पर काम शुरू किया. 27 साल की उम्र यानी 1960 के आसपास उन्होंने दूध बेचने के काम को अपने करियर के तौर पर चुना. उस समय उनके पास सीमित संसाधन थे और वे साइकिल पर सवार होकर गांव-गांव जाकर दूध बेचते थे. यह काम कठिन था. खासकर, सर्दियों की ठंड में उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था. लेकिन, उनकी मेहनत और बड़े सपने उन्हें आगे बढ़ाते रहे.

वेद राम नागर ने 60 लीटर दूध से रखा पहला कदम

वेद राम नागर ने अपने व्यवसाय की नींव बहुत छोटे पैमाने पर रखी. शुरुआत में वे केवल 60 लीटर दूध इकट्ठा करके बेचते थे. यह दूध वे आसपास के गांवों से जमा करते थे और फिर साइकिल के जरिए घर-घर पहुंचाते थे. उस समय उनका लक्ष्य सिर्फ आजीविका चलाना नहीं था, बल्कि वे इसे एक बड़े कारोबार में बदलना चाहते थे. 20 साल तक इस तरह मेहनत करने के बाद वर्ष 1980 में उन्होंने पहली बड़ी छलांग लगाई और एक छोटी फर्म की स्थापना की.

दूध के कारोबार शुरुआत और उसका विस्तार

  • 1984 में पहली यूनिट: वेद राम ने दूध और उससे बने उत्पादों के उत्पादों के लिए एक छोटी यूनिट की शुरुआत की. यह उनके कारोबार को संगठित करने की दिशा में पहला कदम था.
  • 1986 में वीआरएस फूड्स की स्थापना: 1986 में उन्होंने अपनी कंपनी को औपचारिक रूप दिया और इसका नाम “वीआरएस फूड्स” (वेद राम एंड संस) रखा. इस समय भी उनका उत्पादन सीमित था, लेकिन उनकी नजर भविष्य पर थी.
  • 1987 में पहला मिल्क प्लांट: 1987 में उन्होंने गाजियाबाद के साहिबाबाद में अपना पहला बड़ा मिल्क प्लांट “पारस” के नाम से स्थापित किया. यह कदम उनके व्यवसाय को एक नई ऊंचाई पर ले गया. इस प्लांट ने दूध के उत्पादन और वितरण को बढ़ाने में मदद की.
  • 1992 में दूसरा प्लांट: साहिबाबाद की सफलता के बाद उन्होंने बुलंदशहर के गुलावठी में दूसरा मिल्क प्लांट लगाया. इस समय तक “पारस” ब्रांड दिल्ली और आसपास के इलाकों में पहचान बनाने लगा था.

पारस मिल्क का उदय

हिंदी की वेबसाइट नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, “पारस” नाम से दूध और डेयरी उत्पादों की सप्लाई शुरू करने के बाद वेद राम नागर ने अपने व्यवसाय को तेजी से विस्तार दिया. शुरुआत में जो कारोबार 60 लीटर दूध से शुरू हुआ था, वह धीरे-धीरे लाखों लीटर तक पहुंच गया. वर्ष 2004 में उन्होंने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक और मिल्क प्लांट स्थापित किया, जिससे कंपनी का दायरा दिल्ली-एनसीआर से बाहर बढ़ा. उनकी मेहनत और रणनीति ने पारस मिल्क को अमूल और मदर डेयरी जैसे बड़े ब्रांड्स के साथ प्रतिस्पर्धा करने लायक बनाया.

वेद राम नागर की चुनौतियां और सफलता

  • चुनौतियां: वेद राम नागर को को शुरुआत में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. सीमित पूंजी, संसाधनों की कमी और बड़े प्रतिस्पर्धियों का दबाव उनके सामने थे. इसके बावजूद, उन्होंने स्थानीय स्तर पर दूध का कलेक्शन और वितरण की मजबूत प्रणाली बनाई.
  • सफलता: उनकी दूरदर्शिता और कड़ी मेहनत का नतीजा यह निकला कि आज पारस मिल्क हर दिन 36 लाख लीटर दूध बेचती है. कंपनी के पास पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में दूध संग्रहण केंद्र हैं.

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वेद राम नागर का निधन और विरासत

2005 में वेद राम नागर का निधन हो गया. उनके जाने के बाद उनके बेटों ने कारोबार को संभाला. 2008 में कंपनी का नाम बदलकर “वेदराम एंड संस प्राइवेट लिमिटेड” कर दिया गया. उनके पांच बेटों में से एक सुरेंद्र सिंह नागर राज्यसभा सांसद हैं, जबकि बाकी बेटे व्यवसाय को आगे बढ़ा रहे हैं. पारस मिल्क अब सिर्फ डेयरी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हेल्थकेयर, रियल एस्टेट, शिक्षा और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में भी सक्रिय है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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