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आरबीआई ने एनईएफटी-आरटीजीएस सिस्टम में किए जरूरी बदलाव, विदेशी चंदों की रोजाना मिलती रहेगी जानकारी

विदेशी बैंकों से एफसीआरए खाते में योगदान स्विफ्ट (सोसायटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशंस) और भारतीय बैंकों से एनईएफटी (नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर) और आरटीजीएस (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) के जरिये भेजा जाता है.

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम से जुड़े लेन-देन को लेकर एनईएफटी और आरटीजीएस प्रणालियों में जरूरी बदलाव किए हैं. गृह मंत्रालय के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से विदेशों से भेजे जाने वाले पैसे समेत विदेशी चंदा देने वालों के बारे में दैनिक आधार पर रिपोर्ट देने के लिए कहे जाने के बाद केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया है. विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के तहत विदेशी चंदा एसबीआई की नई दिल्ली मुख्य शाखा के एफसीआरए खाते में ही आना चाहिए.

रोजाना गृह मंत्रालय को जानकारी देगा एसबीआई

विदेशी बैंकों से एफसीआरए खाते में योगदान स्विफ्ट (सोसायटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशंस) और भारतीय बैंकों से एनईएफटी (नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर) और आरटीजीएस (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) के जरिये भेजा जाता है. आरबीआई ने एक सर्कुलर में कहा कि गृह मंत्रालय (एमएचए) की मौजूदा आवश्यकताओं के संदर्भ में दानकर्ता के नाम, पते, मूल देश, राशि, मुद्रा और प्रेषण के उद्देश्य समेत सभी विवरण इस तरह के लेनदेन में दर्ज किए जाने आवश्यक हैं. एसबीआई को दैनिक आधार पर इसके बारे में जानकारी गृह मंत्रालय को देनी है.

बदलाव 15 मार्च से होगा प्रभावित

केंद्रीय बैंक ने कहा कि एनईएफटी और आरटीजीएस प्रणालियों में जरूरी बदलाव किए गए हैं. आरबीआई का यह निर्देश 15 मार्च, 2023 से प्रभाव में आएगा. आरबीआई ने बैंकों से एनईएफटी और आरटीजीएस प्रणाली के माध्यम से एसबीआई को विदेशी दान भेजते समय अपेक्षित विवरण प्राप्त करने के लिए आवश्यक परिवर्तन करने को कहा है.

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एफसीआरए नियम सख्त

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद से, एफसीआरए से संबंधित नियमों को कड़ा किया गया है. इसके तहत कानून के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन करने को लेकर लगभग 2,000 गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के एफसीआरए पंजीकरण भी रद्द किए गए हैं.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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