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सरकारी बैंकों को उठाना पड़ सकता है करोड़ों का नुकसान, SC ने माफ किया मोरेटोरियम लोन का इंटरेस्ट

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पब्लिक सेक्टर बैंकों को मार्च-अगस्त 2020 के दौरान मोरेटोरियम के लिए चुने गए सभी लोन अकाउंट पर कम्पाउन्ड इंटरेस्ट की माफी से 1,800-2,000 करोड़ का बोझ उठाना पड़ सकता है. इस फैसले में 2 करोड़ से ऊपर के लोन को शामिल किया गया हैं. इससे नीचे के लोन को पिछले साल नवंबर में ही लोन माफी पर ब्लैंकेट इंटरेस्ट मिला था.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पब्लिक सेक्टर बैंकों को मार्च-अगस्त 2020 के दौरान लोन मोरेटोरियम के लिए चुने गए सभी लोन अकाउंट पर कम्पाउन्ड इंटरेस्ट की माफी से 1,800-2,000 करोड़ का बोझ उठाना पड़ सकता है. इस फैसले में 2 करोड़ से ऊपर के लोन को शामिल किया गया हैं. इससे नीचे के लोन को पिछले साल नवंबर में ही लोन माफी पर ब्लैंकेट इंटरेस्ट मिला था.

बैंकिंग सूत्रों हवाले से मीडिया में आ रहे समाचार के अनुसार, शुरुआत में 60 फीसदी कर्जदारों ने मोरेटोरियम से फायदा उठाया था, लेकिन बाद में यह घटकर 40 फीसदी रह गया. लॉकडाउन के समय तो यह और भी कम था. गौर करने वाली बात यह है कि जहां तक पब्लिक सेक्टर बैंकों का संबंध है, कॉरपोरेट मामलों में यह 25 फीसदी तक कम था. इसलिए मार्च-अगस्त 2020 के दौरान पब्लिक सेक्टर बैंकों में मोरेटोरियम के लिए चुने गए सभी लोन अकाउंट पर कम्पाउन्ड इंटरेस्ट की माफी का फैसला लिया गया है.

2020-21 के दौरान कम्पाउन्ड इंटरेस्ट सपोर्ट स्कीम के तहत सरकार के पास लगभग 5,500 करोड़ की लागत थी और इस योजना में उन सभी उधारकर्ताओं को शामिल किया गया था, जो शीघ्र ही मोरेटोरियम का लाभ नहीं उठा पा रहे थे. आरबीआई ने पिछले साल 27 मार्च को महामारी के कारण 1 मार्च से 31 मई के बीच पड़ने वाले टर्म लोन की किस्तों के भुगतान पर मोरेटोरियम लोन की घोषणा की थी. बाद में इसे 31 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया गया था.

सूत्रों ने कहा कि शीर्ष अदालत का यह आदेश केवल उन लोगों तक सीमित है, जिन्होंने उस दौरान मोरेटोरियम का लाभ उठाया था. इसका मतलब साफ है कि बैंक केवल उस अवधि के लिए कम्पाउन्ड इंटरेस्ट में माफी देंगे, जिसमें उधारकर्ता ने मोनेटोरियम का लाभ उठाया था.

जाहिर है सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने ही निर्देश दिया था कि कोरोना महामारी के बीच पिछले साल घोषित की गई छह महीने की मोरेटोरियम लोन अवधि के लिए उधारकर्ताओं से कोई कम्पाउन्ड इंटरेस्ट या पेनल्टी इन्टरेस्ट नहीं लिया जाएगा और पहले से ही वसूल की गई राशि को वापस, क्रेडिट या एडजेस्ट किया जाएगा.

इसके साथ ही, केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के फैसले के साथ हस्तक्षेप न करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ब्याज पर पूरी तरह से माफी के लिए याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस तरह के कदम से अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि ब्याज माफी से जमाकर्ताओं पर असर पड़ेगा.

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Posted by : Vishwat Sen

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