NSE Trading Account: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NSE) ने नवंबर 2025 में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. एनएसई पर यूनिक ट्रेडिंग अकाउंट्स की संख्या 24 करोड़ के पार पहुंच गई है, जो भारत में तेजी से बढ़ती इन्वेस्टमेंट कल्चर का सबूत है. पिछले साल अक्टूबर 2024 में यह आंकड़ा 20 करोड़ था. इसका मतलब यह है कि सिर्फ 12 महीनों में 4 करोड़ नए अकाउंट्स जुड़ गए. इसके साथ ही, 31 अक्टूबर 2025 तक यूनिक रजिस्टर्ड निवेशकों की संख्या 12.2 करोड़ दर्ज की गई, जो निवेशक आधार के मजबूत विस्तार है.
एक से अधिक ट्रेडिंग अकाउंट खोल सकते हैं निवेशक
निवेशक चाहें तो एक से अधिक ब्रोकरेज फर्मों के साथ अपने ट्रेडिंग अकाउंट्स खोल सकते हैं. यही कारण है कि ट्रेडिंग अकाउंट्स की संख्या यूनिक निवेशकों से कहीं अधिक होती है. डिजिटल ब्रोकिंग, डिस्काउंट ब्रोकर्स और मोबाइल-आधारित ट्रेडिंग ऐप्स ने इस रफ्तार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. आसान ऑनबोर्डिंग, कम लागत वाला ट्रेडिंग मॉडल और तेज़ तकनीकी पहुंच ने नए निवेशकों को आकर्षित किया है.
निवेश की दौड़ में कौन राज्य है सबसे आगे?
एनएसई के आंकड़ों के अनुसार, निवेशक अकाउंट्स की दौड़ में महाराष्ट्र सबसे आगे है.
- महाराष्ट्र: 4 करोड़ (17%)
- उत्तर प्रदेश: 2.7 करोड़ (11%)
- गुजरात: 2.1 करोड़ (9%)
- पश्चिम बंगाल: 1.4 करोड़ (6%)
- राजस्थान: 1.4 करोड़ (6%)
टॉप के इन 5 राज्यों के पास कुल अकाउंट्स का लगभग 49% हिस्सा है, जबकि टॉप 10 राज्य 73% से अधिक हिस्सेदारी रखते हैं. यह इस बात का सबूत है कि निवेश की मुख्य धारा देश के बड़े और आर्थिक रूप से सक्रिय राज्यों से संचालित हो रही है, जबकि छोटे शहरों और कस्बों की भागीदारी भी तेजी से बढ़ रही है.
कोरोना के बाद बढ़ी निवेश की रफ्तार
कोरोना महामारी के बाद भारत में खुदरा निवेशकों की संख्या में विस्फोटक वृद्धि देखने को मिली. आसान मोबाइल ट्रेडिंग, वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम और बेहतर बाजार रिटर्न ने निवेश की संस्कृति को मजबूत किया. 30 सितंबर 2025 तक एनएसई में लिस्टेड कंपनियों में व्यक्तिगत निवेशकों की हिस्सेदारी 18.75% पर पहुंच गई, जो पिछले 22 वर्षों में सबसे अधिक है. पिछले पांच वर्षों में बाजार के प्रदर्शन ने खुदरा निवेशकों का भरोसा और बढ़ाया है.
- निफ्टी 50: 15% वार्षिक औसत रिटर्न
- निफ्टी 500: 18% वार्षिक औसत रिटर्न
सरकार, सेबी और एनएसई के प्रयासों का असर
निवेशक सुरक्षा और बाजार पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पिछले कुछ वर्षों में कई नीतिगत और तकनीकी सुधार किए गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में वित्तीय पहुंच बढ़ाने के लिए कई प्रगतिशील कदम उठाए गए हैं. इनमें केवाईसी प्रक्रिया का सरलीकरण, डिजिटल इनोवेशन, निवेशक सुरक्षा तंत्र का विस्तार और आसान मोबाइल ट्रेडिंग सुविधाएं शामिल हैं. इन प्रयासों की बदौलत टियर-2, टियर-3 और छोटे शहरों के लाखों लोगों को शेयर बाजार तक आसान पहुंच मिली है.
निवेशक शिक्षा में एनएसई की बड़ी भूमिका
एनएसई निवेशक शिक्षा को अपनी प्राथमिकताओं में सबसे आगे रखता है. केवल वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में ही 11,875 निवेशक जागरूकता कार्यक्रम (आईएपी) आयोजित किए गए. इन कार्यक्रमों में करीब 6.2 लाख से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जबकि पूरे वित्त वर्ष 2025 में आईएपी की संख्या 14,679 थी. इसके अलावा, एनएसई के निवेशक सुरक्षा कोष (आईपीएफ) में भी 19% वार्षिक वृद्धि हुई, जो 31 अक्टूबर 2025 तक बढ़कर 2,719 करोड़ रुपये हो गया.
नए जमाने के निवेश विकल्पों से बढ़ी पहुंच
एनएसई केस सीबीबीओ श्रीराम कृष्णन ने कहा कि हाल के वर्षों में निवेशकों के पास निवेश के कई आधुनिक विकल्प उपलब्ध हुए हैं. इनमें इक्विटी, डेब्ट सिक्योरिटीज, ईटीएफ, आरईआईटी, इनफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट और सरकारी एवं कॉरपोरेट बॉन्ड शामिल हैं. ये विविध विकल्प निवेशकों के पोर्टफोलियो को मजबूत बनाते हैं और नए निवेशकों को आकर्षित करते हैं.
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भारत में निवेश का भविष्य उज्ज्वल
एनएसई का 24 करोड़ ट्रेडिंग अकाउंट्स का रिकॉर्ड भारत की आर्थिक प्रगति और वित्तीय सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है. तेज तकनीक, बढ़ती वित्तीय साक्षरता, और मजबूत नीतिगत ढांचा इन सबके संयोजन ने भारतीय शेयर बाजार को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है. यह रफ्तार आगे भी बने रहने की संभावना है और भारत का खुदरा निवेशक वर्ग वैश्विक स्तर पर भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.
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