Leather Industry Revenue: भारत के चमड़ा उद्योग को अमेरिकी व्यापार नीति से बड़ा झटका लग सकता है. क्रिसिल रेटिंग्स की ओर से गुरुवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में भारतीय चमड़ा और संबद्ध उत्पाद उद्योग के राजस्व में 10-12% तक की गिरावट आने की संभावना है.
अमेरिका ने लगाया 50% का भारी शुल्क
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने भारतीय चमड़ा उत्पादों पर 50% का भारी शुल्क लगाया है. यह कदम भारतीय निर्यातकों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि अमेरिका इस उद्योग के लिए सबसे बड़ा निर्यात बाजार है. भारत से चमड़ा उत्पादों का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका को भेजा जाता है और भारी शुल्क के चलते इन उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता में कमी आने की आशंका है.
घरेलू मांग से नहीं भर पाएगी कमी
क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि भले ही भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कटौती, आयकर में कमी, नियंत्रित मुद्रास्फीति और कम ब्याज दरों जैसे कारकों से घरेलू मांग में मामूली सुधार देखने को मिल सकता है, लेकिन यह सुधार निर्यात में आई गिरावट की भरपाई नहीं कर सकेगा. निर्यात पर अत्यधिक निर्भरता रखने वाले इस क्षेत्र के लिए अमेरिकी बाजार में बाधा आने का सीधा असर राजस्व पर पड़ेगा.
उद्योग के सामने नई चुनौतियां
भारत का चमड़ा उद्योग लाखों लोगों को रोजगार देता है और निर्यात राजस्व का अहम स्रोत है. अमेरिकी शुल्क के बाद छोटे और मध्यम स्तर की कंपनियों पर सबसे अधिक दबाव पड़ेगा. रिपोर्ट के अनुसार, निर्यात में कमी से उत्पादन घट सकता है, जिससे कार्यबल और मार्जिन दोनों प्रभावित होंगे.
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संभावित रास्ते और उम्मीदें
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अब यूरोप, मध्य पूर्व और एशियाई देशों में नए निर्यात बाजार तलाशने होंगे, ताकि अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम हो. इसके अलावा, सरकार से नीतिगत समर्थन, जैसे निर्यात प्रोत्साहन और कर राहत, इस उद्योग को स्थिर बनाए रखने में मदद कर सकते हैं.
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