17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

भारत में गरीबों के लिए संजीवनी बनी मोदी सरकार फ्री राशन वितरण योजना, इन राज्यों में घटी आय असमानता

एसबीआई के अध्ययन में 20 राज्यों के लिए गिनी गुणांक पर चावल की खरीद की हिस्से के प्रभाव का विश्लेषण किया गया. वहीं नौ राज्यों के लिए गिनी गुणांक पर गेहूं की खरीद के हिस्से के प्रभाव का विश्लेषण किया.

नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार की ओर से दिसंबर महीने भारत के करीब 81.35 करोड़ गरीबों को फ्री में राशन वितरण योजना में आगामी एक साल के लिए विस्तार किया गया है. देश के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट की मानें, तो सरकार की ओर से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत गरीबों को फ्री में राशन वितरण किए जाने से बिहार-झारखंड समेत कई राज्यों में आमदनी में व्याप्त असमानता में भारी गिरावट दर्ज की गई है.

अत्यंत गरीबी को नियंत्रित करने में पीएमजीकेएवाई की भूमिका अहम

समाचार एजेंसी भाषा की एक रिपोर्ट के अनुसार, एसबीआई इकोरैप ने इस परिकल्पना के साथ शोध शुरू किया कि कैसे मुफ्त खाद्यान्न वितरण गरीबों में अत्यंत गरीब आबादी के लिए धन के वितरण को प्रभावित कर रहा है. एसबीआई के अध्ययन में इसके लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के उस दस्तावेज से संकेत लिया गया, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि कैसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेएवाई) ने भारत में अत्यंत गरीबी को महामारी से प्रभावित साल 2020 में 0.8 फीसदी के न्यूनतम स्तर पर रखने में भूमिका निभाई है.

बिहार-झारखंड समेत इन राज्यों में घटी आय असमानता

एसबीआई के अध्ययन में 20 राज्यों के लिए गिनी गुणांक पर चावल की खरीद की हिस्से के प्रभाव का विश्लेषण किया गया. वहीं नौ राज्यों के लिए गिनी गुणांक पर गेहूं की खरीद के हिस्से के प्रभाव का विश्लेषण किया. बता दें कि भारत में चावल अब भी अधिकांश लोगों के लिए मुख्य भोजन है. एसबीआई के अध्ययन में कहा गया, ‘हमारे नतीजे बताते हैं कि धन के असमान वितरण वाले अलग-अलग आबादी वाले समूहों में चावल और गेहूं की खरीद ने अपेक्षाकृत पिछड़े राज्यों में गिनी गुणांक में कमी के जरिये आमदनी की असानता को कम करने में उल्लेखनीय प्रभाव डाला है. फ्री में राशन वितरण से जिन राज्यों में आमदनी की असमानता में गिरावट दर्ज की गई है, उनमें असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं.

फ्री के अनाज से अत्यंत गरीबों को मिल रहा फायदा

एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऊंची खरीद से फ्री अनाज वितरण के जरिये गरीब में अत्यंत गरीबों को फायदा मिल रहा है. इस खरीद की वजह से संभवत: छोटे और सीमान्त किसानों के हाथ में भी पैसा आया है. इससे यह भी पता चलता है कि समय के साथ सरकार की अनाज खरीद विभिन्न राज्यों में अधिक दक्ष और प्रभावी हो सकती है.

एएवाई के तहत गरीब परिवारों को मिलता है 35 किलो अनाज

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 के दिसंबर महीने में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के तहत 81.35 करोड़ गरीबों को एक साल तक फ्री में राशन देने का फैसला किया था. एनएफएसए के तहत सरकार वर्तमान में प्रति व्यक्ति प्रति महीने पांच किलोग्राम खाद्यान्न 2-3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्रदान करती है. अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) के तहत आने वाले परिवारों को प्रतिमाह 35 किलो अनाज मिलता है.

Also Read: Free Ration Scheme: मोदी सरकार का बड़ा फैसला, 80 करोड़ लोगों को अगले एक साल तक मिलता रहेगा फ्री राशन
गरीबों को तीन रुपये किलो चावल और दो रुपये किलो गेहूं

एनएफएसए के तहत गरीब लोगों को चावल तीन रुपये प्रति किलो और गेहूं दो रुपये प्रति किलो की दर से दिया जाता है. दिलचस्प तथ्य यह है कि एनएफएसए के तहत मुफ्त खाद्यान्न की वजह से परिवारों की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिये खरीदी गई मात्रा की लागत शून्य हो जाती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे बाजार मूल्य पर अनाज की मांग कम होगी और मंडी में अनाज के दाम घटेंगे. कुल मिलाकर इसका प्रभाव उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खाद्य मुद्रास्फीति पर पड़ेगा.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें