Madhabi Puri Buch: बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को निर्देश दिया कि वह भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश पर चार मार्च तक कोई कार्रवाई न करे. बुच, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के प्रबंध निदेशक सुंदररमन राममूर्ति और चार अन्य अधिकारियों ने इस आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.
विशेष अदालत के आदेश को दी गई चुनौती
मुंबई स्थित एसीबी की विशेष अदालत ने शनिवार को शेयर बाजार में कथित धोखाधड़ी और विनियामक उल्लंघन के मामलों में बुच समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था. इस फैसले को याचिकाकर्ताओं ने अवैध और मनमाना करार देते हुए रद्द करने की मांग की. न्यायमूर्ति एस. जी. डिगे की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने इस मामले पर मंगलवार को सुनवाई तय की और तब तक एसीबी अदालत के आदेश पर कोई कार्रवाई न करने का निर्देश दिया.
वरिष्ठ वकीलों की दलीलें
याचिकाकर्ताओं की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सेबी के तीन मौजूदा पूर्णकालिक निदेशकों – अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण जी और कमलेश चंद्र वार्ष्णेय का पक्ष रखा. वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने बीएसई के प्रबंध निदेशक और सीईओ सुंदररमन राममूर्ति, इसके पूर्व चेयरमैन और जनहित निदेशक प्रमोद अग्रवाल की ओर से दलीलें पेश कीं. याचिकाओं में तर्क दिया गया कि विशेष अदालत ने बिना नोटिस जारी किए और पक्ष सुने बिना यह आदेश पारित किया, जो कानूनी रूप से अस्थिर है.
विशेष अदालत ने क्या कहा?
विशेष न्यायाधीश शशिकांत एकनाथराव बांगर ने अपने आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया विनियामकीय चूक और मिलीभगत के पर्याप्त सबूत हैं, जिसकी निष्पक्ष जांच आवश्यक है. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस जांच की निगरानी करेगी और 30 दिनों के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. अदालत ने संज्ञेय अपराध के पहलुओं को रेखांकित करते हुए कहा कि यह मामला गंभीर वित्तीय धोखाधड़ी और विनियामकीय उल्लंघन से जुड़ा है, जिस पर जांच जरूरी है.
शिकायतकर्ता के आरोप
मीडिया रिपोर्टर सपन श्रीवास्तव, जिन्होंने यह शिकायत दर्ज कराई थी, ने बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं, बाजार में हेरफेर और भ्रष्टाचार की जांच की मांग की थी. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि सेबी के अधिकारी अपने वैधानिक कर्तव्यों का पालन करने में असफल रहे, जिससे कॉरपोरेट धोखाधड़ी को बढ़ावा मिला. उन्होंने यह भी दावा किया कि एक नियामकीय मानकों को पूरा न करने वाली कंपनी को सूचीबद्ध करने की अनुमति देकर नियमों का उल्लंघन किया गया. शिकायतकर्ता ने यह भी कहा कि उन्होंने कई बार पुलिस और अन्य नियामक एजेंसियों से संपर्क किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट और सेबी की प्रतिक्रिया
बुच पर पहले भी अमेरिका स्थित रिसर्च और इन्वेस्टमेंट फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने हितों के टकराव के आरोप लगाए थे. इस बीच, राजनीतिक तनाव के बीच बुच ने शुक्रवार को सेबी प्रमुख के रूप में अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा किया. सेबी ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि वह अदालत के आदेश को चुनौती देने के लिए उचित कानूनी कदम उठाएगा और सभी मामलों में नियामकीय अनुपालन सुनिश्चित करेगा.
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