Digital Fraud: ऑनलाइन ठगों से सावधान हो जाएं. इसका कारण यह है कि देश में डिजिटल धोखाधड़ी में एक बार फिर से तेजी आ गई है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने चेतावनी दी है कि देश में डिजिटल धोखाधड़ी (डिजिटल फ्रॉड) के मामलों में फिर से तेजी आ गई है. जुलाई 2025 से फ्रॉड के मामलों में अचानक वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे बैंकिंग क्षेत्र और उपभोक्ताओं के बीच सतर्कता की जरूरत बढ़ गई है.
जुलाई से फिर बढ़े धोखाधड़ी के मामले
टी रबी शंकर ने शुक्रवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एक कार्यक्रम में कहा कि इस वर्ष की शुरुआत से लेकर जुलाई तक धोखाधड़ी के मामलों में गिरावट देखी गई थी, लेकिन जुलाई के बाद से मामलों में फिर उछाल आने लगा है. उन्होंने बताया कि यह वृद्धि मौसमी या चक्रीय हो सकती है और आरबीआई इस प्रवृत्ति के पीछे के कारणों की जांच कर रहा है.
डिजिटल भुगतान में सबसे ज्यादा फ्रॉड
आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट 2024-25 के अनुसार, देश में वित्त वर्ष 2024-25 में धोखाधड़ी के मामलों की संख्या घटकर 23,953 रह गई, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 36,000 से अधिक थी. इन मामलों में अधिकांश घटनाएं डिजिटल भुगतान चैनल, जैसे कार्ड और इंटरनेट लेनदेन से जुड़ी थीं. निजी क्षेत्र के बैंक संख्या के हिसाब से 60% मामलों के लिए जिम्मेदार हैं, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का हिस्सा मूल्य के आधार पर 71% से अधिक है.
म्यूल हंटर सिस्टम से धोखाधड़ी पर निगरानी
आरबीआई ने हाल ही में ‘म्यूल हंटर’ नाम की एक डिजिटल प्रणाली शुरू की है. यह सिस्टम उन खातों का पता लगाने में मदद करता है, जिनके जरिए धोखाधड़ी की रकम को आगे भेजा जाता है. इससे धोखाधड़ी की रकम की ट्रैकिंग और रिकवरी प्रक्रिया को और मजबूत बनाया गया है.
फिनटेक कंपनियों से बढ़ी प्रतिस्पर्धा
टी रबी शंकर ने कहा कि जब यूपीआई (यूपीआई) जैसी प्रणालियों की शुरुआत हुई थी, तब पारंपरिक बैंकों ने इसकी क्षमता को पूरी तरह नहीं पहचाना. इसके उलट, फिनटेक कंपनियों ने अपनी लचीली संरचना और तेज निर्णय क्षमता के दम पर डिजिटल फाइनेंस सेक्टर में बड़ा स्थान बना लिया. उन्होंने माना कि पारंपरिक बैंक उच्च अनुपालन लागत, विस्तृत शाखा नेटवर्क और जटिल आईटी ढांचे के कारण धीमे हैं, जिससे वे प्रतिस्पर्धा में पीछे रह सकते हैं.
बैंकों को चाहिए तकनीकी लचीलापन
आरबीआई डिप्टी गवर्नर ने चेतावनी दी कि केवल “क्रमिक डिजिटलीकरण” करने से बैंक प्रतिस्पर्धी नहीं बन पाएंगे. उन्होंने बैंकों से कहा कि उन्हें मुख्य अवसंरचना (कोर इन्फ्रास्ट्रक्चर) को आधुनिक बनाना होगा, ताकि वे फिनटेक माहौल में टिके रह सकें. उन्होंने यह भी कहा कि अब बैंकों की प्रतिस्पर्धात्मकता बैलेंस शीट पर नहीं, बल्कि डेटा प्रबंधन और तकनीकी क्षमता पर निर्भर करेगी.
बैंकों के लिए खतरा बन सकती है डिजिटल करेंसी
टी रबी शंकर ने निजी डिजिटल करेंसी को लेकर चिंता व्यक्त की और कहा कि यह बैंकों के अस्तित्व के लिए खतरा बन सकती हैं. इसके साथ ही, उन्होंने बताया कि केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) के आगमन से बैंकिंग उद्योग में बड़े बदलाव आएंगे और बैंकों को इसके प्रभावों को समझते हुए रणनीतिक तैयारी करनी चाहिए.
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खत्म नहीं हुआ है डिजिटल फ्रॉड का खतरा
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर का यह बयान बताता है कि भारत में डिजिटल फ्रॉड का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है. उपभोक्ताओं और बैंकों को अपनी साइबर सुरक्षा और तकनीकी प्रणालियों को और मजबूत करने की जरूरत है, ताकि डिजिटल अर्थव्यवस्था की विश्वसनीयता बरकरार रह सके.
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