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नहीं रहे ‘अबकी बार मोदी सरकार’ स्लोगन लिखने वाले एड गुरु पीयूष पांडेय, मुंबई में लीं अंतिम सांसें

Piyush Pandey Death: भारत के विज्ञापन जगत के दिग्गज पीयूष पांडे का मुंबई में निधन हो गया. वे ‘अबकी बार, मोदी सरकार’ जैसे ऐतिहासिक स्लोगन और कैडबरी, फेविकोल, एशियन पेंट्स जैसे यादगार विज्ञापनों के रचयिता थे. 1982 में ओगिल्वी इंडिया से जुड़े पांडे ने भारतीय रचनात्मकता को वैश्विक पहचान दिलाई. उन्हें पद्मश्री और लंदन इंटरनेशनल अवार्ड्स से सम्मानित किया गया. प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और उद्योग जगत के दिग्गजों ने उनके निधन पर शोक जताया. उनका अंतिम संस्कार शिवाजी पार्क श्मशान में किया जाएगा.

Piyush Pandey Death: भारत के विज्ञापन जगत के महानायक और ‘अबकी बार, मोदी सरकार’ जैसे ऐतिहासिक स्लोगन के रचयिता पीयूष पांडेय का शुक्रवार को मुंबई में निधन हो गया. वे लंबे समय से सांस संबंधी बीमारी से ग्रस्त थे. शुक्रवार सुबह 5:50 बजे उन्होंने मुंबई के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनकी बहन और प्रसिद्ध गायिका इला अरुण ने उनके निधन की पुष्टि की और बताया कि वे परिवार में सबसे खुशमिजाज और शरारती सदस्य थे.

‘अबकी बार मोदी सरकार’ से ‘फेविकोल’ तक की यात्रा

पीयूष पांडेय भारतीय विज्ञापन उद्योग के वह चेहरा थे, जिन्होंने रचनात्मकता को भारतीय भावनाओं से जोड़ा. उन्होंने 2014 के आम चुनावों के दौरान भाजपा के लिए ‘अबकी बार, मोदी सरकार’ जैसा शक्तिशाली नारा लिखा, जिसने भारतीय राजनीति में एक नई परिभाषा गढ़ दी. विज्ञापन की दुनिया में पांडेय ने ‘फेविकोल का अंडे वाला विज्ञापन’, कैडबरी का ‘कुछ खास है’ और एशियन पेंट्स का ‘हर खुशी में रंग लाए’ जैसे यादगार विज्ञापन दिए. उनके बनाए कैंपेन सिर्फ विज्ञापन नहीं थे, बल्कि भारतीय संस्कृति, रिश्तों और भावनाओं की झलक थे.

ओगिल्वी इंडिया से लेकर वैश्विक स्तर तक पहुंच

पीयूष पांडेय ने 1982 में ओगिल्वी इंडिया से अपने करियर की शुरुआत की. उनकी रचनात्मकता और देसी अंदाज ने कंपनी को नई पहचान दिलाई. धीरे-धीरे वे ओगिल्वी ग्लोबल क्रिएटिव हेड के पद तक पहुंचे. वह 2004 में कान्स लायंस जूरी की अध्यक्षता करने वाले पहले एशियाई बने. यह उपलब्धि भारतीय विज्ञापन उद्योग के लिए गौरव का क्षण थी. उन्होंने साबित किया कि भारतीय रचनात्मकता दुनिया में किसी से कम नहीं है.

खेल और संस्कृति से गहरा लगाव

कम ही लोग जानते हैं कि पीयूष पांडेय ने विज्ञापन की दुनिया में आने से पहले रणजी ट्रॉफी में राजस्थान की क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया था. खेल के प्रति उनका जुनून जीवनभर बना रहा. इला अरुण ने बताया कि वे अक्सर कहते थे, “हमारा परिवार 11 लोगों की क्रिकेट टीम है, नौ भाई-बहन और माता-पिता.” विज्ञापन जगत के साथ-साथ उन्होंने भारत की सांस्कृतिक एकता को दर्शाने वाले प्रसिद्ध गीत ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ के बोल भी लिखे, जिसे आज भी हर भारतीय गर्व से याद करता है.

पुरस्कार और सम्मान

पीयूष पांडेय को उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. उन्हें 2016 में पद्मश्री और 2024 में लंदन इंटरनेशनल अवार्ड्स द्वारा ‘लेजेंड अवार्ड’ से सम्मानित किया गया. इन सम्मानों ने न केवल उनके व्यक्तिगत योगदान को मान्यता दी, बल्कि भारतीय विज्ञापन उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई.

दिग्गजों ने जताया शोक

उनके निधन पर देशभर से श्रद्धांजलियों की बाढ़ आ गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा, “पीयूष पांडेय जी की रचनात्मक प्रतिभा को सभी ने सराहा. उन्होंने विज्ञापन और संचार की दुनिया में अभूतपूर्व योगदान दिया. उनके साथ हुई बातचीत हमेशा याद रहेगी.” वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उन्हें “भारतीय विज्ञापन जगत की महान और दिग्गज शख्सियत” बताया. वहीं, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि पांडेय की रचनात्मकता ने कहानी कहने के तरीकों को बदल दिया.

उद्योग जगत का सम्मान

उद्योगपति गौतम अदाणी ने लिखा, “पीयूष पांडे सिर्फ महान विज्ञापन विशेषज्ञ नहीं थे, बल्कि उन्होंने भारतीय विज्ञापन को आत्मविश्वास और स्वदेशी पहचान दी.” आनंद महिंद्रा ने कहा कि पांडेय की बेबाक हंसी और जीवन को उत्साह से जीने का अंदाज उनके बनाए ब्रांडों से भी ज्यादा याद किया जाएगा. बैंकर उदय कोटक ने बताया कि 2003 में कोटक महिंद्रा बैंक का पहला विज्ञापन अभियान पांडेय ने ही बनाया था, जिसने बैंकिंग को आम लोगों से जोड़ा.

रचनात्मकता और विनम्रता का प्रतीक

जयपुर में जन्मे पीयूष पांडेय अपने काम में देसीपन, ईमानदारी और सहजता के प्रतीक थे. उन्होंने हमेशा कहा कि “एक अच्छा विज्ञापन वही होता है जो लोगों की भाषा में उनकी भावना कह दे.” अपने अंतिम वर्षों में वे ओगिल्वी से सलाहकार की भूमिका में जुड़े रहे और मुंबई के शिवाजी पार्क में अपनी पत्नी के साथ रहते थे. उनका अंतिम संस्कार शनिवार सुबह शिवाजी पार्क श्मशान में किया जाएगा.

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भारत के ‘एड गुरु’ की विरासत

पीयूष पांडेय का जीवन भारतीय रचनात्मकता, सादगी और प्रेरणा का प्रतीक है. उन्होंने यह साबित किया कि शब्दों में वह ताकत है जो न केवल किसी ब्रांड को पहचान देती है, बल्कि पूरे देश को एक भाव में जोड़ सकती है. उनकी रचनाएं, उनके विचार और उनकी मुस्कान भारतीय विज्ञापन जगत में हमेशा अमर रहेंगे.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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