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पतंजलि के उत्पादों पर 12 फीसदी GST लगाने से बाबा रामदेव नाराज, सरकार को लिखी ”पाती”

नयी दिल्ली : अभी हाल ही में वस्तु एवं सेवाकर (GST) परिषद की ओर से करीब 1211 वस्तुओं के साथ पतंजलि के उत्पादों पर 12 फीसदी टैक्स लगाने के बाद योग गुरु बाबा रामदेव नाराज नाराज हो गये हैं. बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि ने कहा है कि GST परिषद की ओर से आयुर्वेदिक उत्पादों […]

नयी दिल्ली : अभी हाल ही में वस्तु एवं सेवाकर (GST) परिषद की ओर से करीब 1211 वस्तुओं के साथ पतंजलि के उत्पादों पर 12 फीसदी टैक्स लगाने के बाद योग गुरु बाबा रामदेव नाराज नाराज हो गये हैं. बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि ने कहा है कि GST परिषद की ओर से आयुर्वेदिक उत्पादों पर टैक्स लगाने के बाद वह सरकार को चिट्ठी लिख रही है, जिसमें उसने सरकार से कहा है कि वह इस फैसले पर फिर से विचार करे.

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कंपनी के प्रवक्ता एसके तिजारावाला ने एक अंग्रेजी के अखबार को बताया कि हम सरकार से आम आदमी के उपयोग वाले आयुर्वेदिक उत्पादों पर GST के तहत लगाये जाने वाले 12 फीसदी टैक्स पर दोबारा विचार करे. अभी तक कंपनी के आयुर्वेद उत्पादों पर करीब 5 फीसदी टैक्स लगता है. उनका कहना है कि आयुर्वेद उत्पादों पर भारी टैक्स लगाने के बाद लोग अच्छे दिनों से दूर हो जायेंगे, क्योंकि अच्छी सेहत के बिना अच्छे जीवन की कामना नहीं की जा सकती.

गौरतलब है कि योग गुरु बाबा रामदेव की पतंजलि की ओर से आयुर्वेद उत्पाद और स्वदेशी वस्तुओं के तौर पर भारत के बाजारों में टूथपेस्ट से लेकर शैंपू-बिस्कुट तक की बिक्री की जाती है. कंपनी के प्रवक्ता तिजारावाला का कहना है कि कंपनी मुनाफा कमाने के लिए नहीं, बल्कि आम आदमी के लिए किफायती दामों पर इलाज और देखभाल के लिए बाजार में स्वदेशी वस्तुओं की बिक्री करती है. उन्होंने बाबा रामदेव की ओर से कहा कि आयुर्वेदिक उत्पाद पर लगने वाला अधिक GST दर निराश करने वाला है. हम उन लोगों में से हैं, जिन्होंने उपभोक्ताओं के लिए किफायती दामों पर आयुर्वेद को फायदेमंद बनाया है. अब इस रास्ते पर अन्य कंपनियां चल रही हैं.

इसके पहले योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा था कि पतंजलि का टूथपेस्ट में 9 फीसदी और केश तेल के बाजार में उनकी कंपनी की 8 फीसदी हिस्सेदारी है. बाजार हिस्सेदारी में पतंजलि की खुदरा बिक्री इकाई दिव्य फार्मेसी ने कंपनी की कुल बिक्री में करीब 8 फीसदी का योगदान दिया है. आयुर्वेद के क्षेत्र में पतंजलि की बड़ी सफलता के बाद अधिकतर बड़ी उपभोक्ता वस्तु का निर्माण और बिक्री करने वाली कंपनियों ने अपने उत्पादों में आयुर्वेद आधारित उत्पादों को भी शामिल किया है. अधिक GST रेट के कारण प्रभावित होने वाली अन्य उपभोक्ता वस्तु निर्माता कंपनियों में डाबर और इमामी शामिल हैं.

GST परिषद की ओर से टैक्स की दरें तय किये जाने के बाद डाबर इंडिया के सीएफओ ललित मलिक ने भी बीते हफ्ते ही कहा था कि आयुर्वेदिक उत्पादों पर 12 फीसदी GST लगाने के सरकार के फैसले से कंपनी को निराशा हुई है. हमारा मानना है कि इससे आयुर्वेदिक श्रेणी पर ऐसे समय में प्रतिकूल असर पड़ेगा, जब सरकार परंपरागत भारतीय वैकल्पिक चिकित्सा को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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