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जाते-जाते भी सरकार पर सवाल खड़ा कर गये राजन, कहा – मुश्किल है एक अप्रैल से जीएसटी लागू करना

नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक ने आज कहा है कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को एक अप्रैल, 2017 से लागू करना चुनौतीपूर्ण होगा. रिजर्व बैंक की ओर से यह बयान गर्वनर रघुराम राजन द्वारा आज आखिरी मौद्रिक समीक्षा पेश किये जाने के दौरान आया. हालांकि, केंद्रीय बैंक ने कहा है कि इस अप्रत्यक्ष कर के […]

नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक ने आज कहा है कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को एक अप्रैल, 2017 से लागू करना चुनौतीपूर्ण होगा. रिजर्व बैंक की ओर से यह बयान गर्वनर रघुराम राजन द्वारा आज आखिरी मौद्रिक समीक्षा पेश किये जाने के दौरान आया. हालांकि, केंद्रीय बैंक ने कहा है कि इस अप्रत्यक्ष कर के लागू होने का मूल्य वृद्धि पर ‘‘सीमित’ असर ही होगा क्योंकि खुदरा सूचकांक समूह की आधे से ज्यादा वस्तुएं जीएसटी के दायरे से बाहर होंगी. चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में रिजर्व बैंक ने जीएसटी विधेयक के पारित होने को आर्थिक सुधारों के मामले में बढती राजनीतिक आम सहमति के लिहाज से बेहतर बताया और कहा कि इससे कारोबारी धारणा कोबढावा मिलेगा और अंतत: निवेश बढेगा. रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने जीएसटी लागू होने से महंगाई बढने की आशंकाओं को खारिज करतेहुए कहा कि इसके वास्तविक प्रभाव के बारे में तभी आकलन लग सकेगा जब जीएसटी की दर तय होगी. हालांकि, कई देशों में यह देखा गया है कि इस व्यवस्था के लागू होने के बाद मुद्रास्फीति का असर ज्यादा समय नहीं रह पाया.


उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में शामिल 55 प्रतिशत पर जीएसटी का असर नहीं

रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में शामिल वस्तुओं में से करीब 55 प्रतिशत पर जीएसटी का कोई असर नहीं होगा. इसके साथ ही कर-पर-कर लगने का असर भी नयी व्यवस्था में जाता रहेगा. कुल मिलाकर कई वस्तुओं और सेवाओं पर इसका प्रभावी असर कम होगा. पटेल ने कहा, ‘‘आधार व्यापक होने पर आपकोऊंची दर कीजरूरत नहीं होती है. पहली बात कि मुद्रास्फीति का असर एकबारगी होगा. दूसरा, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में शामिल वस्तुओं काबड़ा हिस्सा जीएसटी के दायरे से बाहर होगा और जो दीर्घकालिक प्रभाव होगा वह काफी सीमित होगा.’ जीएसटी का जो पूरा प्रभाव दिखेगा वह अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में ही दिखेगा.

जीएसटी से कारोबारी धारणा और निवेश को बढ़ावा मिलेगा : राजन

राजन ने रिजर्व बैंक का गवर्नर का पद छोड़ने से पहले आज जारी अपनी आखिरी समीक्षा में कहा, ‘‘जीएसटी से आखिर में कारोबारी धारणा और निवेश को बढावा मिलेगा.’ राजन का रिजर्व बैंक गवर्नर के तौर पर मौजूदा कार्यकाल चार सितंबर को समाप्त हो रहा है. उन्होंने कहा कि जीएसटी विधेयक का पारित होना आर्थिक सुधारों के मामले में राजनीतिक आमसहमति बढने का बेहतर संकेत देता है. जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक कल लोकसभा में पारित होने के साथ ही इस पर संसद की मुहर लगगयी है. इसके पारित होने के साथ ही सरकार अब इसे एक अप्रैल, 2017 की तय समयसीमा के भीतर लागू करने पर जोर दे रही है. मौद्रिक समीक्षा पेश करने के बाद संवाददाताओं के साथ बातचीत में राजन ने कहा की जीएसटी का मुद्रास्फीति पर असर इसकी दर से तय होगा. इसके अलावा जीएसटी व्यवस्था के तहत दी जाने वाली छूट भी इसकी दिशा तय करेगी. राजन ने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति के मामले में इस बात पर काफी कुछ निर्भर करेगा कि किस वस्तु का दाम कम होता है और किसके दाम बढते हैं. कुछ वस्तुओं के दाम कम होंगे. रिजर्व बैंक का ध्यान इस समय मार्च, 2017 तक 5 प्रतिशत मुद्रास्फीति लक्ष्य को हासिल करने पर है. हमें नहीं लगता कि जीएसटी 2017 से पहले ही लागू हो जायेगा.’ जीएसटी में केंद्रीय स्तर पर लगने वाला उत्पाद शुल्क और सेवाकर तथा राज्यों के सतर पर लगने वाले मूल्य वर्धित कर यानी वैट तथा अन्य स्थानीय कर समाहित हो जायेंगे.

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